बिना खेत तैयार किये आप इस विधि से गन्ने की बिजाई कर सकते है !
अगर आप गेहूं की भी फसल लेना चाहते है और गन्ना भी समय पर बोया जा सके तो यह विधि अपनानी चाहिए !
नवम्बर माह में बेड प्लान्टर से गेहूं बोया जाता है ! यह प्लान्टर गन्ने की बिजाई के लिए भी खुड (लाइन) निकाल देता है ! खुड से खुड का फासला 3 फीट रखना चाहिए !
खुड से खुड के बिच गेहूं की 3 लाइन बोई जाती है !
जब गेहूं को तीसरा पानी लगाया जाता है तो उस समय २ आँख वाली गन्ने की गुल्लियो को बोया जाता है !
बीज को लगाने से पहले प्रति एकड़ 80 kg नाइट्रोजन,
30 kg फॉस्फोरस,
25 kg पोटाश खुडो में डालना चाहिए ! बुवाई के समय नाइट्रोजन का तीसरा हिस्सा डाले , फोस्फोरस व् पोटाश पूरी दे !
लगाने से पहले टुकडो को फफूंद नाशी से उपचारित किया जाता है ! इसके लिए 50 ltr पानी में
100 ग्राम बेविस्टीन (कार्बेन्डाजिम ) मिलाकर घोल बनाया जाता है ! फिर इस घोल में 10 से 15 मिनट गन्ने के बीज को डुबो कर रखा जाता है !
2 लाइन बोने के बाद एक लाइन को खाली छोड़ देना चाहिए ! इस से सूरज की रौशनी अच्छी तरह मिलती है और पैदावार ज्यादा होती है !
ट्रेंच विधि या गडडा विधि
इस विधि में परम्परागत विधि से 30 प्रतिशत तक गन्ना ज्यादा होता है !
इस विधि में पानी की मात्रा कम लगती है ! खरपतवार कम होते है और खाद का सही इस्तेमाल होता है !
इस विधि से गन्ने की बिजाई के लिए 1 फीट गहरी 1 फीट चौड़ी नालिया बनाई जाती है
!
इन नालियों में 25 cm लम्बे 2 या 3 आँख वाले गन्ने आड़े लगाये जाते है ! गन्ने से गन्ने के टुकड़े की दुरी 10 cm राखी जाती है !
एक नाली से दूसरी नाली की दुरी 4 फीट राखी जाती है ! इस से हम दूसरी दलहनी फसल भी ले सकते है जिससे अतिरिक्त मुनाफा होगा और जमीं की उर्वरा शक्ति भी ज्यादा होगी !
इस विधि द्वारा गन्ने के टुकड़े लगाने से पहले रासायनिक खाद पहले गड्डों में डाल ले ! एक एकड़ खेत में 80 kg नाइट्रोजन 30 kg फॉस्फोरस व् 25 kg पोटाश डाले ! बुवाई के समय नाइट्रोजन का तीसरा हिस्सा डाले , फोस्फोरस व् पोटाश पूरी दे ! 10 kg zinc भी खेत में दे!
पहले बताये अनुसार बीज का उपचार करे !
को-238,
को-239, को-118, को-98014, को-94184,
को स 01434,को स 07250
गन्ने की श्री विधि
बिजाई की इस विधि में ग्रीन हाउस में नर्सरी तैयार की जाती है !
इस विधि में बड
(आँख ) काटने वाली मशीन की मदद से गन्ने की एक आँख वाली बड काट ली जाती है !
पहले बताये अनुसार बीज का उपचार करे !
इस कटी गई बड को प्लास्टिक की ट्रे में लगाया जाता है जिसमे नारियल का बुरादा या केंचुआ खाद या गोबर की गली सड़ी खाद भरी होती है !
लगाने के बाद पानी का छिडकाव किया जाता है !
एक महीने बाद प्लास्टिक ट्रे से निकालकर खेत में लगाया जाता है !
पहले बताये अनुसार खाद का प्रयोग करे !
इस विधि से बीज केवल
60 से 80 kg ही लगता है जबकि परम्परागत तरीके से 20 से 25 क्विंटल बीज लगता है !
गन्ने की पोली बैग विधि
इस विधि से उन किसानो को ज्यादा फायदा होता है जो गेहूं की कटाई के बाद समय पर गन्ने की बिजी करना चाहते है !
इस विधि में मिटटी व् गोबर की गली सदी खाद बराबर मात्रा में लेकर मिलाया जाता है ! इसके पश्चात् 1 क्विंटल मिटटी व् खाद के मिश्रण में 20 EC 10 ml
क्लोरोपाइरीफास मिलाई जाती है !
इस मिश्रण को 5 x 5 इंच लम्बाई चौड़ाई की पोलीथीन बैग जिसमे साइड और निचे छेद होते है उनमे भरा जाता है !
एक आँख वाले गन्ने के टुकडो को इन पोलीथीन बैग में इस तरह लगाया जाता है की आँख ऊपर की तरफ हो ! इस विधि में
8 क्विंटल बीज की मात्रा लगती है !
लगाने से पहले टुकडो को फफूंद नाशी से उपचारित किया जाता है ! इसके लिए 50 ltr पानी में 100 ग्राम बेविस्टीन (कार्बेन्डाजिम ) मिलाकर घोल बनाया जाता है ! फिर इस घोल में 10 से 15 मिनट गन्ने के बीज को डुबो कर रखा जाता है !
पोलीथीन बैग में रखकर उपर हलकी सी मिटटी की परत चढ़ा दी जाती है और पानी का छिडकाव किया जाता है !
एक महीने पश्चात् खेत में लगाने के लिए पौधे तैयार हो जाते है !
गेहूं की कटाई के तुरंत पश्चात् खेत तैयार करके रिजर द्वारा 3 फीट की दुरी पर खुड बनाकर इन पौधो की रोपाई की जाती है ! रोपाई के तुरंत बाद पानी दे देना चाहिए !
गन्ने की जोड़ी पंक्ति विधि
जिन किसान भाइयो को खेत में गन्ने की फसल के साथ साथ सब्जियों की फसल लेनी होती है वो इस विधि को अपना सकते है !
इस विधि में गन्ने की 2 पंक्तिया साथ बोई जाती जाती है ! जिनमे 2 से 2.5 फीट की दुरी रखी जाती है ! इन 2 पंक्तियों की दुरी दूसरी 2 पंक्तियों से 4.5 फीट होती है जिनमे हम दूसरी सब्जियों वाली फसलो या दलहनी फसलो की बिजाई कर सकते है !
एक आँख वाले टुकड़े अगर लगाये तो 3 इंच का साइज़ हो जिसमे एक इंच आँख से उपर और 2 इंच आँख से निचे हो !
बीज को लगाने से पहले प्रति एकड़ 80 kg नाइट्रोजन,
30 kg फॉस्फोरस,
25 kg पोटाश खुडो में डालना चाहिए ! बुवाई के समय नाइट्रोजन का आधा हिस्सा डाले , फोस्फोरस व् पोटाश पूरी दे !
पहले बताये अनुसार बीज उपचार करे !
खेत में
90 से 100 दिन तक खरपतवार न उगने दे हर बार सिंचाई के बाद गुड़ाई जरुर करे !
रसायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए 800 ग्राम एट्राजीन 240 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के एक सप्ताह के अन्दर स्प्रे करे !
चौड़ी पट्टी वाले खरपतवार के लिए 2-4 डी 1 किलो 100 ग्राम 240 लीटर पानी में बुवाई के 45 दिन बाद तक छिडकाव कर सकते है !
खड़ी फसल में चौड़ी एवं संकरी पत्तियों वाले खरपतवार की रोकथाम के लिए 1.1 किलोग्राम 2-4-डी व् 400 ग्राम metribuzin 240
लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 45 दिन उपरान्त छिडकाव कर सकते है !
तना छेदक का प्रकोप ज्यादा अक्टूबर से नवम्बर में ज्यादा होता है !
इसका मुख्य किट pyrilla है जो की पत्तियों से रस चूसता है और काला चिपचिपा पदार्थ पत्तियों पर छोड़ता है ! जिससे पौधे अपना खाना नही बना पते और उत्पादन प्रभावित होता है ! इस किट से बचाव के लिए क्युनाल्फोस 2 ml प्रति लीटर पानी , एक एकड़ में 25 EC quinalphous 600 ml का छिडकाव करना चाहिए !
गन्ने के लाल सडन रोग- इस रोग में पत्तिय पिली पड़कर किनारों से मुड जाती है और सूखने लगती है इस रोग के नियंत्रण के लिए बीजोपचार जरुर करे,
समय पर बुवाई करे , बुवाई उचित दुरी पर करे,
रोग रोधी किस्मो का चयन करे !
गन्ना कटाई लायक हुआ या नही जांचने के रेफ्लेक्टोमीटर का प्रयोग करे अगर रीडिंग18 या अधिक हो तो है पकाई का संकेत है और फसल कटाई के लिए तैयार है !