सुअर पालन

भारतवर्ष में सुअर पालन का विशेष महत्त्व है ! सुअर पालन यहाँ के ग्रामीण जनजातीय समुदाय की सामाजिक व आर्थिक दशा सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है ! परन्तु अभी तक यह उद्योग हमारे यहाँ शिशु अवस्था में है ! अन्य पशुओं की तुलना में सुअरों की संख्या में कोई महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हो पाई है !

सुअर पालन suar palan

मुगी का मांस अधिक महंगा होने के कारण हर आदमी इसका प्रयोग नहीं कर सकता ! सुअर ही एक ऐसा पशु है जो भोजन में मांस की इस बढ़ती हुई जरूरत को कम लागत से पूरा कर सकता है ! सुअर मांस के उत्पादन पर खर्च भी ज्यादा नहीं करना पड़ता !

सुअर पालन का महत्त्व  !

भारतीय ग्रामीण जीवन में एक बहुत बड़ा निर्धन व पिछड़ा वर्ग जो बहुमूल्य गायों और भैंसों को न पाल सका, उसने सुअर को अपना सह-धंधा बनाकर उसे अपनी अतिरिक्त आय का साधन .. बनाया ! चिरकाल तक यह धंधा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तक सीमित रहने के कारण उपेक्षित रहा और इसकी प्रगति की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया ! किन्तु देश की निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ-साथ बढ़ती हुई खाद्य सामग्री की मांग और उससे भी जान्तव प्रोटीनयुक्त पदार्थों की मांग ने जनसाधारण को सुअर-पालन की ओर आकर्षित किया है ! आर्थिक रूप से इस जाति की कुछ विशेषताएं हैं जैसे –

1. तीव्र बढ़वार
2. अच्छी खाद्य परिवर्तन क्षमता
3. छोटा वंशावली वर्द्धन काल
4. अधिक प्रजननशीलता

इन विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए आर्थिक दृष्टि से यह एक लाभदायक धंधा है जिसमें अधिक पूंजी नहीं लगानी पड़ती !

आमतौर पर गाँवों में सुअरों को जहां चाहे चरने छोड़ दिया जाता है ! इससे उन्हें पौष्टिक खुराक नहीं मिलती ! इससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहता और मांस भी अच्छा नहीं होता है ! आमतौर पर गाँवों में पाए जाने वाले देशी सुअर का ढ़ाई साल की उम्र में 70-80 किलो वजन होता है जबकि यदि सही खुराक दी जाए तो यह वजन 8 महीने की आयु में ही हो सकता है !

हरा चारा या हरी घास चराने से सुअर को दाना कम खिलाना पड़ता है ! सुअर उत्पादन 75 प्रतिशत से अधिक व्यय खुराक पर होता है ! खुराक पर होने वाले व्यय को न्यूनतम करने से ही सुअर उत्पादन लाभप्रद धंधा हो सकता है ! आजकल बाजार में सुअर के मांस की बहुत मांग है ! क्योंकि मुर्गी का मांस बहुत महंगा है तथा हर आदमी इसे खरीद नहीं पाता, इसलिए राशन सस्ता व संतुलित होना चाहिए, जो कि शरीर को जरूरत के आवश्यक तत्त्व प्रदान कर सके ! शरीर की जरूरत के लिए आवश्यक प्रोटीन उम्र व भार के हिसाब से प्राप्त होनी चाहिए ! एक सुअर के छोटे बच्चे जिसकी उम्र 2-3 सप्ताह है, के लिए 18.0 प्रतिशत, 4 से 6 सप्ताह के लिए प्रोटीन 16 प्रतिशत व सात सप्ताह से ब्यांत तक 14 प्रतिशत प्रोटीन मिलनी चाहिए !

आवश्यक आहार तत्त्व

पानी :

शरीर में पानी की मात्रा काफी होती है ! शरीर में पानी की आवश्यकता भोजन को पचाने आदि क्रिया में एवं मलमूत्र व अन्य अनावश्यक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के काम आता है !

कार्बोहाईड्रेट :

इसकी आवश्यकता खुराक में इसलिए होती है कि यह शरीर में शक्ति और शरीर का तापमान बनाए रखता है ! अधिक मात्रा में देने से यह चर्बी में परिवर्तित हो जाता है ! यह ध्यान रखने योग्य बात है कि जो दाना दिया जाए उसमें फाइबर 5-7 प्रतिशत से अधिक न हो !

प्रोटीन :

इसकी आवश्यकता बढ़ते हुए जानवरों के शरीर में मांस बनाने के लिए होती है ! प्रोटीन में 16 प्रतिशत तक नाइट्रोजन की मात्रा होती है ! स्टोर राशन में इसकी मात्रा 22-24 प्रतिशत तक होती है !

बैअनर्स दूध देने वाली सुअरी, ग्याभिन सुअरी को 14-15 प्रतिशत तक प्रोटीन की आवश्यकता होती है !

चर्बी एवं तेल :

भोजन में इसकी आवश्यकता शरीर का तापमान बनाए रखने व शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए होती है ! अधिक मात्रा में देने से यह शरीर में चर्बी के रूप में जमा हो जाता है ! भोजन में चर्बी की मात्रा दाने में 1 से 1% प्रतिशत तक काफी होती है !

मिनरल्स (धातु) :

शरीर में इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है ! कैल्शियम (चूना) व फास्फोरस जो कि हड्डियों के बनने-बढ़ने में आवश्यक है ! लोहा शरीर में खून बनाने में काम आता है ! लोहे की कमी से पिगलेट एनीमिया हो जाता है !

विटामिन्स :

इसकी भी सुअर के भोजन व दाने में बहुत आवश्यकता है ! इनकी अधिक आवाश्यकता तब होती है जबकि उन्हें हरा चारा नहीं दिया जाता है या ऐसे स्थान में रखा जाता है ! जहाँ उन्हें धूप नहीं लगती हो ! विटामिन बी शरीर के संस्थान एवं बढ़ोतरी के लिए आवश्यक है !

                                      सूअर के लिए मिश्रित आहार

आहार बड़े जानवरों के लिए (%) बढ़ने वाले सुअरों के लिए (%) छोटे बच्चो के लिए (%)
मक्का 30 35 40
चावल की भूसी 30
चावल की भूसी तेल रहित 50 40
खल तेल वाली 20 20
तेल रहित खल 15
मीट तेल 3-5 4 3-5
टी.एम्. 200 ग्राम 25 ग्राम
वीटाब्लेड 90 ग्राम 90 ग्राम

दाना देने का समय

सुअर एक ऐसा जानवर है जिसके दाने का कोई समय नहीं है ! छोटे बच्चे के पास दाना हर समय रहना चाहिए ! दाना देने की मात्रा निम्न हो :

1-2 महीने तक आधा किलो

3-4 महीने तक 1.25 किलो

5-6 महीने तक 2.00 किलो

ग्याभिन सुअरी एवं नर शूकर 2.50 किलो

सुअरी जिसके बच्चे हों व दूध पर हो 3.00 किलो

भोजन तत्त्व जिनमें प्रोटीन अधिक मात्रा में होती है !

फिश मील :

इसके लिए व्हाइट फिश मील काम में लाया जा सकता है ! इस बात का ध्यान | रखें कि इसमें तेल की मात्रा 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए ! यह हल्के भूरे रंग का होता है !

दाने में इसे 10 प्रतिशत तक की मात्रा में मिलाया जाता है !

मीट मील :

इसे फिश मील की जगह काम लिया जा सकता है ! इसकी मात्रा दाने में 10-15 प्रतिशत तक होनी चाहिए ! मीट मील में हड्डियों की वजह से प्रोटीन 50-60 प्रतिशत तक कम हो जाता है ! वैसे यह फास्फोरस व कैल्शियम की कमी को दूर करता है !

मूंगफली की खल :

यह शाकाहारी प्रोटीन है ! फिश मील की जगह काम में लाया जाता है !

सेम व मटर का दाना :

यह शाकाहारी प्रोटीन है ! इसमें प्रोटीन की मात्रा उतनी ही होती है ! जितनी की मांसाहारी प्रोटीन में !

दाने के काम आने वाले तत्त्व जिनमें कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में व फाइबर कम मात्रा में पाये जाते हैं :

जौ का दाना :

ब्रीडिंग स्टाक व बच्चों में 45 प्रतिशत की मात्रा से इसे सुअरों को मोटा करने में 80 प्रतिशत तक काम में लाई जाती है !

मक्का का दाना :

इस दाने को 15-20 प्रतिशत तक देना चाहिए ! अधिक मात्रा में देने से मांस मुलायम व अधिक चिकना होता है !

गेहूं का दाना :

यदि उपलब्ध हो तो 15-30 प्रतिशत तक की मात्रा में काम में लाना चाहिए !

विभिन्न आयु के सुअरों के लिए निम्नलिखित दाने के मिश्रण सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है :

खाद्द पदार्थ                            मात्रा किलोग्राम प्रति किलो दुधारू सुअरिया
बढोतरी वाले सूअर मांस हेतु तैयार सूअर ग्रीष्मकालीन सूअर
मक्की दली हुई 52 50 52 51
जो/जई/ज्वार 22 19 19 23
गेहूं का चोकर/चावल पोलिस/सुखी रिजका 5 15 15 10
मूंगफली की खल 13 11 7 2
मछली चुरा 6 3 5 6
हड्डी का चुरा 0.5 0.5 0.5 0.5
चुना पत्थर 0.5 0.5 0.5 0.5
खनिज मिश्रण 0.5 0.5 0.5 0.5
साधारण नमक 0.5 0.5 0.5 0.5
विटामिन मिश्रण 30 ग्राम 30 ग्राम 30 ग्राम 30 ग्राम
ओरोफेक 20 ए 25 ग्राम 25 ग्राम 25 ग्राम 25 ग्राम
प्रोटीन (न्यूनतम प्रति ) 16 14 14 14

एक सुअरी एक साल में दो बार बच्चे जन सकती है क्योंकि सुअरी का गर्भकाल 116 दिन का होता है ! सुअरी एक बार में 8-9 बच्चे जनती है ! एक बच्चा 6 माह की आयु में करीब 800-1000 रुपये का बिक जाता है ! इस प्रकार सुअर पालन दलित वर्ग के उत्थान के लिए विशेष उपयोगी है !

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