सब्जी पोषण वाटिका (vegetable garden)
उत्तम स्वास्थ्य एवं समृद्धि सब्जियों को “सुरक्षात्मक भोजन” माना जाता है और मनुष्य को संतुलित आहार प्रदान करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक संतुलित आहार में पर्याप्त ऊर्जा स्त्रोत, विटामिन, खनिज, वसा और आवश्यक एमिनो एसिड होना अत्यंत आवश्यक है।
इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद ने 280 ग्राम प्रति दिन प्रति व्यक्ति सब्जी की खपत की सिफरिश की है। इसमें 110 ग्राम पत्तेदार सब्जियां, 85 ग्राम कंद और मूल वाली सब्जियां एवं 85 ग्राम अन्य सब्जियां शामिल है।
चूंकि बाजार में आने वाली अधिकांश सब्जियों में कीटनाशक अवशेषों के उच्च स्तर पाए गए हैं इसलिए उपभोक्ताओं द्वारा स्वयं के लिए सब्जियां उगाने में विशेष रूचि जाग्रत हुई है।
असंतुलित आहार के सेवन से सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी बड़ी संख्या में लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इसमें तीन पोषण संबंधी समस्याएं बहुत गंभीर है उनमें लोह, विटामिन-ए और आयोडीन की कमी शामिल है। यह स्थापित किया गया है कि सब्जियां कुपोषण से मुकाबला करने में मदद करती है।
आहार विवधीकरण आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति को बढ़ाकार आहार को संतुलित करता है जिससे स्वास्थ्य में सुधार, सोचने की क्षमता और कार्य करने की दक्षता में बढ़ोतरी होती है।
सब्जी पोषण वाटिका में इस तरह का फसल चक अपनाया जाता है जिससे की वर्षभर बगीचे से एक सामान्य परिवार की सब्जी की पूर्ति होती रहें। वाटिका के लिए ऐसी फसल और किस्मों का चयन किया जाता है जो अत्यधिक पौष्टिक हो एवं उनमें कीट और बीमारियों की समस्या कम से कम आए।
सालाना लगभग 300 किलोग्राम सब्जियां पैदा की जाएं, जो एक औसत आकार के परिवार के आहार भत्ते को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
ताजी सब्जियों के प्रयोग से विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं। हमारे देश के अधिकतर परिवारों में जो भी भोजन ग्रहण किया जाता है वह पौष्टिकता की दृष्टि से संतुलित नहीं होता जिसके कारण तरह-तरह की जानलेवा बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। जिसे हम थोड़ी-सी जानकारी व मेहनत से ठीक कर सकते हैं।
मौसमी साग-भाजी को हम अपने घर-आंगन की बगियां में एवं छतों पर आसानी से उगा सकते हैं। जिनके पास पर्याप्त जगह नहीं है वे सब्जियों को गमलों, बेकार खाली डिब्बों, घर की छतों या छप्पर पर चढ़ाकर आसानी से उगा सकते हैं जिससे सभी को पौष्टिक-ताजी हरी सब्जियां उपलब्ध हो सकती है।
थोड़ी-सी समझ एवं मेहनत से परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और घर के आसपास का पर्यावरण भी हरा-भरा एवं सौहार्दपूर्ण बना रहेगा।
पोषण वाटिका में पौष्टिकता की दृष्टि से उगाने के लिए उपयुक्त सब्जियां ( Vegetables for Garden)

सब्जियां अनेकों पौष्टिक तत्वों का भंडार है परंतु किस तत्व के लिए किन-किन सब्जियों का चयन किया जाए इसके बारे में विस्तृत विवरण इस प्रकार है
1) प्रोटीन: मटर, सेम, फ्रेंचबीन, लोबिया, ग्वार, चौलाई, बाकला आदि।
2) कार्बोहाइड्रेट: आलू, शकरकंद, अरबी, चुकन्दर आदि।
3) विटामिन-ए: गाजर, पालक, शलजम, चौलाई, शकरकंद, कद्दू, पत्तागोभी, मैथी, टमाटर, धनियां आदि।
4) विटामिन-बी: मटर, सेम, लहसुन, अरबी आदि।
5) विटामिन-सी: टमाटर, शलजम, हरी मिर्च, फूलगोभी, गांठगोभी, करेला, मूली की पत्तियां, चौलाई आदि।
6) कैल्शियम: चुकन्दर, चौलाई, मैथी, धनियां, कद्दू, प्याज, टमाटर आदि।
7) पोटैशियम: शकरकंद, आलू, करेला, मूली, सेम आदि।
8) फास्फोरस: लहसुन, मटर, करेला आदि।
9) लौह तत्व: बथुआ, पालक, करेला, चौलाई, मैथी, पुदिना, मटर आदि।
सब्जी पोषण वाटिका की योजना (vegetable garden plan)
यह योजना परिवार के सदस्यों की संख्या, उपलब्ध संसाधनों तथा समय के आधार पर करनी चाहिए।
सब्जी पोषण वाटिका में किनारे की तरफ हम फलदार वृक्ष जैसे- केला, पपीता, मीठी नीम, करौंदा, अनार आदि भी लगा सकते हैं जिससे हमें फल भी प्राप्त होते रहते हैं तथा बहुवर्षीय सब्जियों को हमें मचान बनाकर चढ़ा देना चाहिए (परवल, कुंदरू, सेम आदि)।
छाया वाले स्थानों पर अदरक, हल्दी आदि लगाया जा सकता है। क्यारियों में मेड़ों पर मूली, गाजर, चुकन्दर, शलजम आदि को उगाना चाहिए। वहीं सिंचाई वाली नाली की मेड़ों को लटा वाली सब्जियों के लिए उपयोग में लिया जाना चाहिए।
मौसम के अनुसार एक साथ एक से अधिक फसलें एक क्यारी में बोना चाहिए जिससे कि हमें कम क्षेत्रफल में अधिकतम सब्जी प्राप्त हो सकें।
वाटिका की जगह का चयन (soil for vegetable garden)
एक ऐसे सुविधाजनक स्थान का चयन करना चाहिए जहां खाली समय में परिवार के सदस्य उसकी देख-रेख कर सकें। उस स्थान पर सिंचाई के साधन उपलब्ध हो एवं वहां सूर्य का प्रकाश पर्याप्त होना चाहिए।
वाटिका की मिट्टी रोग जनकों रहित करने के लिए सौर्गीकरण करें। इसके लिए मिट्टी को हल्का गिला करें और पॉलिथीन की चादर से मई-जून माह में ढककर रखें।
स्वस्थ फसल उत्पादन के लिए रोग मुक्त बीज रोग मुक्त बीज का प्रयोग करने से स्वस्थ फसल उत्पादन होगा, वहीं कम बीमारी होने की आशंका रहेगी। स्वस्थ फसल उत्पादन के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करके, कीटनाशकों के प्रयोग से भी बचा जा सकता है।
अधिकतम उपज एवं गुणवत्ता हेतु फसल चक (vegetable rotation in garden)
एक भूमि के टुकड़े पर वर्षभर में तीन अलग-अलग वार्षिक सब्जियां उगाई जा सकती है। इस मॉडल को अपनाकर हम वर्षभर सब्जियों की निरंतर पूर्ति कर सकते हैं, वहीं इसमें अपनाएं गए फसल चक द्वारा मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और आसानी से कीट एवं रोग प्रबंधन किया जा सकता है।
बेहतर उपज के लिए स्वस्थ मृदा, खाद व समय पर सिंचाई (Fertilizer and irrigation in vegetable garden)
मृदा को गहराई से खोदें और उसमें से खरपतवार निकालकर उसे अच्छे से तैयार कर लें। मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के लिए उसमें सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।
फसल की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैविक खाद का प्रयोग करें, इसकी कमी हो तो उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है।
वर्षा ऋतु में ऊंची उठी हुई क्यारियों का निर्माण करना चाहिए। ग्रीष्म एवं शीत ऋतु में समतल क्यारियों में सिंचाई हेतु सतह सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करें।
उचित पौध दूरी एवं सहारा देना (Spacing in vegetable)
कद्वर्गीय, टमाटर, मिर्ची, बैंगन आदि सब्जियों के पौधों को अधिक जगह की आवश्यकता होती है जबकि कंद व पत्ते वाली सब्जियों जैसे- पालक, प्याज, लहसुन आदि के लिए कम जगह ही पर्याप्त है।
पत्ते व सलाद वाली सब्जियों की बुवाई थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर अलग-अलग जगह करनी चाहिए ताकि इनकी उपलब्धता ज्यादा समय तक रहें। कुछ सब्जियों की गुणवत्ता व बेहतर उत्पादन के लिए उन्हें सहारा देना आवश्यक है, जैसे- टमाटर, लौकी, गिलकी, करेला आदि।
खरपतवार प्रबंधन (weed management in vegetable garden)

फसल की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार नियंत्रण अतिआवश्यक है। वाटिका में उगने वाले खरपतवारों को निकालते रहें। बगीचे में कम से कम कीटनाशकों का प्रयोग करें।
घरेलु उपयोग हेतु कटाई एवं तुड़ाई (Harvesting of vegetable for home use)
पत्तेदार सब्जियों की 10-15 दिन के अंतराल पर कटाई करना चाहिए। वहीं टमाटर की तुड़ाई जब करें जब वह पूरे लाल रंग का हो जाए एवं लौकी, भिंडी, मटर की तुड़ाई नरम व हरी अवस्था पर करनी चाहिए।
तुड़ाई जल्दी सुबह या देर शाम में करें। यदि फल एवं सब्जियां आवश्यकता से अधिक हो जायें तब उनका संरक्षण किया जा सकता है जिससे की उनका उपयोग बाद में किया जा सके।
फलों से जेली, जैम या स्कैवेश बनाया जा सकता है। टमाटर का केचप तथा कई अन्य सब्जियों का सुखौता बनाकर उनका संरक्षण हो सकता है।
गाजर का हलवा बनाया जा सकता है एवं काली गाजर की कांजी बनाकर भी कुछ दिनों तक संरक्षित की जा सकती है।
सब्जियों का मिश्रित आचार बनाकर भी संरक्षण किया जा सकता है। कुछ सब्जियों को नमक के घोल में डुबाकर भी सुरक्षित तथा लंबे समय तक रखा जा सकता है।
अगली बुवाई हेतु बीज की बचत (saving for next season)
अगर जरूरत रहें तो कुछ फलों को पौधे पर पकने के लिए छोड़ दें जिनसे कि हम अगली बार के लिए बीज निकाल सकें। निकले हुए बीजों को अच्छी तरह से सुखाकर कागज के लिफाफों में डालकर किसी सुरक्षित जगह रखें।
वाटिका में लगने वाली लागत ( cost in vegetable garden)
घर में ही सब्जी पोषण उद्यान बनाने के लिए अधिक निवेश की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए आपकों विभिन्न सब्जियों के थोड़े-थोड़े बीज की जरूरत रहेगी जो कि आपको किसी भी संस्थान अथवा बाजार में उपलब्ध दुकानों पर आसानी से मिल जाएंगे। इनका व्यय लगभग 300-400 रूपये आएगा।
इसके अलावा आपको जैविक खाद तथा उर्वरक की आवश्यकता रहेगी, जिसका व्यय लगभग 400 रूपये रहेगा।
बाकी का सारा काम घर के सदस्यों द्वारा खाली समय में आसानी से किया जा सकता है जिससे श्रम की लागत बच जाएगी। इस बगीचे की देखभाल के लिए औसतन 5-6 घंटे प्रति सप्ताह पर्याप्त है।
Spacing in Vegetable garden
सब्जी का नाम | दूरी (से.मी.) | सब्जी का नाम | दूरी (से.मी.) |
लौकी | 80 X 45 | कलमी साग | 20 X 20 |
टमाटर | 80 X 30 | धनिया | 15 X 10 |
प्याज | 15 X 7.5 | सरसों साग | 15 X 10 |
पुदीना | 15 X 15 | बैंगन | 45 X 30 |
मूली | 45 X 7.5 | मटर | 30 X 7.5 |
चाइनीज गोभी | 30 X 20 | लब-लब | 45 X 30 |
लहसुन | 15 X 7.5 | भिंडी | 45 X 15 |
ककड़ी | 80 X 30 | बसेला | 20 X 20 |
सलाद | 45 X 30 | मैथी | 15 X 10 |
ब्रोकोली | 45 X 30 | गाजर | 45 X 7.5 |
चौलाई | 45 X 30 | पालक | 15 X 5 |
खीरा | 80 X 30 | लोबिया | 30 X 15 |
शिमला मिर्च | 60 X 30 | गिलकी | 80 X 45 |
मिर्ची | 60 X 45 |
विभिन्न मौसम में ली जाने वाली सब्जियां (Vegetable Garden According to season)
वर्षा या खरीफ ऋतु में (जुलाई से अक्टूबर तक) : (kharif/ rainy season vegetable garden)
भिंडी, लोबिया, ग्वार फली, मिर्च, सेम, कद्दू, तोरई, करेला, खीरा, टिण्डा, कुंदरू, परवल, मूली, गाजर, पालक, अरबी, चौलाई, बैंगन, टमाटर, शकरकंद आदि।
जाड़े या रबी के मौसम में (अक्टूबर से फरवरी तक) : ( Rabi/ Winter vegetable garden)
आलू, फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, ब्रोकोली, मूली, शलजम, सलाद, बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च, गाजर, बीन्स, चुकन्दर, प्याज, लहसुन, मटर, पालक, मैथी, सरसों आदि।
गर्मी या ग्रीष्म ऋतु में (मार्च से जून तक) : (summer vegetable garden)
भिंडी, लोबिया, ग्वार फली, मिर्च, तोरई, कद्दू, लौकी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज, परवल, चौलाई, अरवी, मूली (गर्मी वाली किस्में), पालक आदि।
पौषण वाटिका से लाभ (Benefits of Vegetable garden)
1) स्वयं की मेहनत एवं पसीने से उपजी हरी-भरी, तरो-ताजा सब्जियों एवं घर के आसपास एवं छतों पर हरियाली को देखकर आपका तन-मन प्रफुल्लित होगा तो बीमारी नजदीक नहीं आयेगी।
2) सब्जियां खरीदने के लिए बाजार जाने आने के बहुमूल्य समय की बचत होगी।
3) विषमुक्त एवं मेहनत से पैदा की गई सब्जियों के प्रयोग से अच्छा स्वास्थ्य साथ ही स्वाद का आनंद प्राप्त किया जा सकेगा।
4) प्रति माह 3000-6000 रूपये की बचत की जा सकती है जिससे आर्थिक बचत में भी सहायता मिलेगी।
5) बेकार व खाली जगह में सब्जियां उगाकर उसका सही उपयोग किया जा सकेगा।
6) बच्चों के ज्ञान वर्धन में मदद मिलेगी।
7) रसोईघर से निकलने वाले अपशिष्टों एवं जल का सही-सही उपयोग हो सकेगा।
इस प्रकार पोषण वाटिका स्थापित करना परिवार के स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण कदम साबित होगा क्योंकि सब्जियों में होता है पोषक तत्वों का खजाना। वहीं ग्रामीण इलाके में पोषक स्तर बढ़ाने एवं इस महत्वपूर्ण कार्य में महिलाओं की सक्रीय भागीदारी सुनिश्चित करने तथा दैनिक आधार को संतुलित करने के लिए गृह वाटिका एक सशक्त माध्यम है।
पोषण वाटिका में पौध संरक्षण (vegetable protection)

पोषण वाटिका में लगने वाले कीट एवं रोग प्रबंधन हेतु यथा संभव रासायनिक दवाएं आर्थिक रूप से मंहगी है एवं स्वास्थ्यप्रद भी नहीं है। निम्न बातों पर ध्यान देवें तो निश्चित ही बगैर रसायन के भी पौध संरक्षण संभव है
1) ऐसी किस्मों का चुनाव करें जिसमें कम कीट व रोग लगें एवं कीट लगने पर उन्हें हाथों से पकड़कर नष्ट कर देना चाहिए।
2) रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए पौधों पर तेज पानी की फुहारें डालना चाहिए एवं पीले चिपचिपे जाल का भी प्रयोग करें।
3) पोषण वाटिका में संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें, विशेषकर पोटाश जरूर देवें एवं नत्रजन का संयमित प्रयोग ही करें।
4) सभी सूक्ष्मतत्वों की पूर्ति एवं मृदा की भौतिक एवं जैविक दशा में सुधार हेतु केचुआ खाद भरपूर मात्रा में प्रयोग करें।
5) रोगग्रस्त एवं कीटग्रस्त पौधों (कीट के अंडे, शंखी, इल्ली आदि के साथ रोगग्रस्त पत्ती, फल एवं शाखाएं आदि) को चुनकर नष्ट करें।
6) वाटिका में गोधली बेला में प्रकाश प्रपंच या बल्ब जलाकर व्यस्क कीटों को आकर्षित कर नष्ट करें।
7) पोषण वाटिका में पक्षियों के बैठने के स्थान बनाए।
8) अंतिम विकल्प के रूप में नीम तेल ( 5 मि.ली/ली.) या बिवेरिया बेसियाना (2 ग्राम/ली.) या बी.टी. कल्चर (1 ग्राम/ली.) का प्रयोग करें।
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