Ratanjot ki kheti – रतनजोत बहुवर्षीय, लघु आकार का बहुउपयोगी क्षमता वाला एवं अखाद्य तिलहनी झाड़ीनुमा पौधा है ! इसके बीजों में 30-40 प्रतिशत तैलीय वसा होती है !
उदयपुर, डूंगरपुर बांसवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ जिलों में इसके पौधे बहुतायत में मिलते हैं इसके अन्य नाम जंगली काली अरण्डी एवं काली बित्ती है।
जलवायु एवं भूमि climate for ratanjot
Ratanjot ki kheti सूखाग्रस्त, असिंचित, कम गहराई एवं कम उपजाऊ भूमियों में सुविधापूर्वक की जा सकती है ! जल भराव वाली भूमियां अनुपयुक्त है।
मिट्टी का पी.एच. मान 5.5 से 8.5 होना आवश्यक है ! इसकी खेती हेतु 0.5 प्रतिशत ढाल वाली भूमि विशेष रूप से उपयुक्त रहती है ! क्षेत्र जहां औसत वार्षिक वर्षा 500 मिलीमीटर या इससे ऊपर है, अधिक उपयुक्त रहता है।
भूमि उपचार
ratanjot ki kheti में खेत की तैयारी के समय ट्राइकोडर्मा 2.5 किलो प्रति 100 किलोग्राम कम्पोस्ट में मिलाकर प्रति हैक्टर में कूड में प्रयोग करे।
बीज की बुवाई Ratanjot sowing
एक हैक्टर ratanjot ki kheti के रोपण हेतु 5-6 किलो बीज की आवश्यकता होती है ! पौध क्यारियों या पॉलीथीन की थैलियों में मार्च-अप्रैल माह में तैयार करें।
क्यारियों में बुवाई 10-15 सेमी की दूरी पर करें! प्रति थैली में दो बीज बोयें तथा झारे से सिंचाई करें। ध्यान रखें कि बीज 1-2 सेमी. से अधिक गहरा न जाये ।
रोपण दो तरीके से करते हैं ! सीधे बीज से तथा पौध नर्सरी से। रोपण/बुवाई मानसून आगमन के साथ जुलाई से अगस्त माह के निर्धारित दूरी पर 30 X 30 सेमी का गड़ढ़ा खोदकर करें।
सिंचित कृषि योग्य भूमि पर सघन वृक्षारोपण हेतु कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर रखें, जबकि असिंचित, बंजर, परती तथा चारागाह भूमि पर यह दूरी 2 मीटर रखें।
Ratanjot ki kheti में उर्वरक उपयोग
नाइट्रोजन प्रति/पौधा – 20 ग्राम यूरिया
फास्फोरस प्रति/पौधा – 150 ग्राम SSP
पोटाश प्रति/पौधा – 20 ग्राम MOP
1 किग्रा FYM प्रति/पौधा
यूरिया दो भागों में बांटकर रोपण के एक एवं दो माह उपरांत देंवे।
निराई एवं गुड़ाई
एक वर्ष में 2-3 बार पौधों की प्रारम्भिक बढ़वार के समय निराई गुड़ाई कर खरपतवार अवश्य निकाल दें।
सिंचाई irrigation in ratanjot
Ratanjot ki kheti सूखे के प्रति काफी सहनशील होती है! यह पानी की कमी व अधिक गर्मी को सहन कर लेता है।
मानसून समाप्ति पश्चात् प्रति माह सिंचाई देने से अधिक उपज प्राप्त होती है ! यदि सिंचाई की सुविधा नहीं हो तो कटाई-छंटाई के बाद एक सिंचाई अवश्य कर दें।
अन्तराशस्य (Ratanjot ki kheti में intercropping)
रतनजोत की रोपाई 4 X 3 मीटर की दूरी पर करने तथा खाली जगह में मूंग, उड़द, ग्वार इत्यादि बोने से अधिक उपज एवं आमदनी प्राप्त होती है।
कटाई-छंटाई Training and pruning
मार्च माह में पौधों को धरातल से 50 से.मी. की ऊंचाई से ऊपर का भाग काट दें ! दूसरे वर्ष मार्च माह में पौधों की शाखाओं की एक तिहाई को छोड़कर शेष दो तिहाई भाग को काट दे ! ऐसा करने से पौधा छतरी के आकार का हो जाता है !
फल तुड़ाई ratanjot fruit harvesting
रोपण के बाद पौधों में फलन दो वर्ष बाद होता है ! फल गुच्छे के रूप में लगते हैं ! जब फल काले पड़ जाये तब तोड़कर सुखा लें ! ऊपर का छिलका हटा कर काले रंग के बीज निकाल लें।
फसल संरक्षण Ratanjot Plant protection
तम्बाकू की लट : यह पत्ती खुरच कर खाती है व उसे जालीनुमा बना देती है। इसके नियंत्रण हेतु थायोडिकार्ब 75 एस.पी. 1.75 ग्राम या क्लोरपाइरिफास 20 ई.सी. 2 मिली या एसीफेट 75 एस.पी.2 ग्राम या क्विनालफॉस 25 ई.सी. 2 मिली का प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
नीली व हरी बग – यह फलों की रस चूसती है ! रोकथाम के लिए डाईमिथोएट 30 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
जड़ गलन रोग – इसमें जड़ गल जाती है व पौधा सूख जाता है। पानी भराव वाले स्थानों पर पौधों को बंड पर लगावें।
बीजों का कार्बेन्डाजिम 4 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बोयें ! पत्ती धब्बा रोग फर्कंद जनित रोग है ! पत्ती पर ताम्र रंग के धब्बे बनते हैं। कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
रतनजोत की उपज Ratanjot Yield
असिंचित व सिंचित दशा में पौधा क्रमशः तीसरे व दूसरे वर्ष फल देना शुरू कर देता है। छटे वर्ष बाद सिंचित परिस्थितियों में 3.50 से 4.00 किलो प्रति पौधा (50-60 क्विंटल प्रति हैक्टर) तथा असिंचित परिस्थितियों में 2.50 से 3.00 किलो प्रति पौधा (20-30 क्विंटल प्रति हैक्टर) बीज प्राप्त होते हैं ! इस प्रकार बीज प्राप्ति सतत रूप से 35 वर्ष तक होती रहती है।
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Yes sir
सर मुझे इसकी खेती करना है बीज कहा से मिलेंगे