रागी (ragi) एवं जौ भारत में पारंपरिक आहार है, जिनका उपयोग शिशु आहार में दूध को गाढ़ा बनाने में एवं दूध पेय पदार्थों को तैयार करने में किया जाता है।
देश के कुछ हिस्सों में रागी (ragi) का उपयोग बीयर बनाने में भी किया जाता है !भारत, दुनिया में रागी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, फिर भी अधिकांश शहरी घरों में इसका उपयोग काफी कम है ! इसका मुख्य कारण है कि लोग इसके पोषक तत्वों तथा स्वास्थ्य लाभों के बारे में नहीं जानते हैं।
रागी (ragi) से रागी-गेहूं रोटी, रागी रोटी, रागी मालपुआ, रागी कुकीज, रागी-ओट्स लड्डू, रागी-गेहूं डोसा, बेक्ड रागी चकली इत्यादि खाद्य पदार्थ बनाये जा सकते हैं।
रागी (ragi)के स्वास्थ्य लाभ Ragi health benefits
यह प्राकृतिक कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो बच्चों एवं बुजुर्गों में हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है !
नियमित रूप से इसका (ragi) सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों को दूर रखता है और फ्रैक्चर के खतरे को कम कर सकता है।
रागी (ragi) में उपलब्ध एल्केलॉइड, एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि में योगदान करते हैं, जो स्वास्थ्य, उम्र बढ़ने और चयापचय संबंधी रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करती हैं।
रागी में उपलब्ध फायटो कैमिकल्स पाचन क्रिया को धीमा करने में मदद करते हैं ! यह मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है ! रागी आधारित आहार मधुमेह रोगियों की मदद करता है, क्योंकि इसमें चावल और गेहूं की तुलना में अच्छा फाइबर होता है।
यह प्राकृतिक आयरन का एक बहुत अच्छा स्रोत है, जिसके सेवन से एनीमिया को ठीक करने में मदद मिलती है।
उच्च कैल्शियम और आयरनयुक्त होने के कारण रागी गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह अत्यधिक अनुकूल है।
हरी रागी (ragi) रक्तचाप, यकृत विकार, अस्थमा और हृदय की कमजोरी में फायदेमंद है।
कम दूध की स्थिति में स्तनपान करवाने वाली माताओं को भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
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रागी (ragi) का महत्व
जलवायु परिवर्तन और तेजी से बढ़ती जनसंख्या कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार में महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं ! इन कारकों का मुख्य प्रभाव उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों, खासकर विकासशील देशों में अधिक स्पष्ट होगा, जहां खाद्य उत्पादन में अधिकतम नुकसान की आशंका है ! इस संदर्भ में कृषि उत्पादकता में सुधार एवं खाद्य विविधीकरण से पोषण संबंधी विकृतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
रागी (ragi), भारत जैसे विकासशील देशों में सूखे क्षेत्रों की एक प्रमुख फसल है ! इसके विभिन्न गुणों को देखते हुए कृषि प्रणालियों में रागी को शामिल करने से खाद्य विविधीकरण के माध्यम से कुपोषण कम करने में मदद मिल सकती है तथा कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी यह सहायक हो सकता है।
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