चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिश के अनुसार कृषि विभाग हरियाणा को राज्य में 9 तरह के कीटनाशक चावल की फसल में इस्तेमाल न करने की सलाह दी है !
कृषि विश्वविद्यालय ने कहा है की यूरोपियन संघ जो की बहुत अधिक मात्रा में भारत व् दुसरे देशो से बासमती चावल खरीदता है ने चावल में कीटनाशक पाए जाने पर ऐतराज जताया था और दुबारा से चावल में कीटनाशक के स्तर के मापदंड बनाये है! उसमे 9 तरह के कीटनाशक भी है जो की भारत में काफी मात्रा में इस्तेमाल किये जाते है !

चावल में इनके पाए जाने पर एक्सपोर्ट करने में भारी परेशानी होगी और यूरोपियन मार्किट में भारत का चावल नही बिकेगा ! इसलिए इन 9 तरह के कीटनाशको का इस्तेमाल चावल की फसल में किसानो को करने से रोकने की सलाह दी जाती है !
CCSHAU डायरेक्टर रिसर्च के कृषि विभाग को लिखे पत्र के अनुसार :-
बासमती चावल में एसिफेट, ट्रायजोफोस, थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी और थियोफैनेट मिथाइल की सिफारिश सीसीएस एचएयू, हिसार द्वारा नहीं की जाती है। इन कीटनाशकों को चावल / बासमती फसल में प्रयोग करने के लिए राज्य में उपयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कीटनाशक बुप्रोफेजिन, कार्बोफ्यूरान, कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी, Tricyclazole 75% WP और Propiconazole को स्टेट में recommended किया हुआ है जिनकी MRL वैल्यू यूरोपीय संघ द्वारा वर्तमान में कम की गई MRL मूल्यों की तुलना में अधिक है (यानी 0.01 पीपीएम से अधिक)।
MRL एक अधिकतम अवशेष स्तर (एमआरएल) – कीटनाशक अवशेषों का उच्चतम स्तर है जो भोजन या फ़ीड पर सहन किया जाता है
सागवान कीमत और उत्पादन Teak Price and Production
यूरोपीय संघ द्वारा चावल और बासमती आयात के संबंध में लिए गए निर्णय के आधार पर इन नौ कीटनाशकों के एमआरएल मूल्यों को कम करके भी कीटनाशकों को राज्य के किसानों द्वारा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जो चावल और बासमती के निर्यात क्षमता को देखते हैं।