पालक की खेती से अधिकतम उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र एवं जलवायु के आधार पर किस्मों का चयन करना चाहिए। पालक की कुछ प्रचलित किस्में palak ki unnat kisme इस प्रकार हैं, जैसे
ऑल ग्रीन – palak ki unnat kisme (All Green)
इस किस्म के पौधे एक समान हरे, पत्ते मुलायम और 15 से 20 दिनों के अन्तराल पर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी 6 से 7 कटाइयां आसानी से की जा सकती हैं। यह एक अधिक उपज देने वाली किस्म है। इसमें सर्दी के दिनों में करीब ढाई महीने बाद बीज व डंठल आते हैं।
पूसा पालक (Pusa Palak)
इस किस्म (palak ki unnat kisme) को ‘स्विसचार्ड’ से संकरण करवाकर विकसित किया गया है। इसमें एक समान हरे पत्ते आते हैं। इसमें जल्दी से फूल वाले डंठल बनने की समस्या नहीं आती है।

पूसा हरित (Pusa Harit)
इस किस्म को पहाड़ी इलाकों में पूरे वर्ष उगाया जा सकता है। इसके पौधे ऊपर की तरफ बढ़ने वाले, ओजस्वी, गहरे हरे रंग के और बड़े आकार वाले होते हैं। इसकी कई बार कटाइयां की जा सकती हैं। इसमें बीज बनाने वाले डंठल देर से निकलते हैं। इस किस्म को विभिन्न प्रकार की जलवायु एवं क्षारीय भूमि में भी आसानी से उगाया जा सकता है।
पूसा ज्योति (Pusa Jyoti)
यह एक प्रभावी किस्म है। जिसमें काफी संख्या में मुलायम, रसीली तथा बिना रेशे की हरी पत्तियां आती हैं। पौधे काफी बढ़ने वाले होते हैं, जिससे कटाई बहुत कम अन्तराल पर की जा सकती है। इस किस्म में ऑल ग्रीन की अपेक्षा पोटेशियम, कैल्शियम, सोडियम तथा एस्कार्बिक अम्ल की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस किस्म की कुल 6 से 7 कटाइयां आसानी से की जा सकती हैं।
जोबनेर ग्रीन (Jobner Green)
इस किस्म में एक समान हरे, बडे, मोटे, रसीले तथा मुलायम पत्ते आते हैं। पत्ती पकाने पर आसानी से गल जाती है। इस किस्म को क्षारीय भूमि में भी उगाया जा सकता है।
हिसार सलेक्शन 23 (Hisar Selection 23)
इसकी पत्तियां बड़ी, गहरे हरे रंग की मोटी, रसीली तथा मुलायम होती हैं। यह एक कम समय में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पहली कटाई बुआई के 30 दिनों बाद शुरू की जा सकती है और 6 से 8 कटाइयां 15 दिनों के अंतर पर आसानी से की जा सकती हैं।
ये थी कुछ palak ki unnat kisme I