मालाबार नीम की खेती भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में की जाती है ! मालाबार नीम एक नकदी नीम परिवार से संबंधित है मालाबार नीम Meliaceae परिवार का सदस्य है !
इस पेड़ की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है ! इसकी खेती के लिए पानी की कम आवश्यकता होती है! मालाबार नीम लगाने के 2 साल के अंदर 40 फुट तक ऊँचा हो जाता है ! यह पेड़ काफी तेजी से बढ़ता है।
भारत में इसकी खेती ज्यादातर कर्नाटक के आसपास के किसान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में में की जा रही है ! इसका प्रयोग सस्ती वुड (plywood इंडस्ट्री) के रूप में भी किया जा रहा है।
अगर इसके पेड़ो को उचित सिंचाई मिलती रहे तो 5 वर्ष में कटाई योग्य हो जाता है और प्लाई के लिए प्रयोग किया जासकता है ! इसके पेड़ 800 मिमी और उससे अधिक की वार्षिक बारिश के साथ रेतीले दोमट, लाल और पार्श्व मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित होते हैं।
इसको मिलिया दुबिया या मिलिया कंपोजिट के रुप में भी जाना जाता है ! मालाबार नीम की लकड़ी वेनेर, प्लाईवुड, पल्प, मैच स्टिक और पैकिंग बॉक्स उद्योग में बहुत मांग है। इन उद्योगों में एक उच्च मांग-आपूर्ति अंतर है।
मालाबार नीम से कमाई (उत्पादन)
पेड़ 5 साल का होने पर 15 क्यूबिक फीट का हो जाता है ! जब पेड़ 5 वें वर्ष से अधिक का हो जाता है तो 350 प्रति घन फुट की दर से कमाई दे सकता है !
जब पौधे की अच्छी देखभाल की जाती है तो विकास दर 20 से 25 सेमी प्रति वर्ष होती है और अप्रबंधित वृक्षारोपण में 6 से 8 सेमी प्रति वर्ष होती है ! 5 साल के पेड़ से 12 से 15 क्यूबिक फीट (0.4 से 0.5 क्यूबिक मीटर) लकड़ी का उत्पादन होने की उम्मीद होती है।
मालाबार नीम के 50 से 120 cm मोटे लठे का प्रति टन मूल्य 7500 रु तक भी मिल जाता है ! 120 cm से अधिक मोटे पेड़ का प्रति क्यूबिक फीट 370 रूपए मिल जाता है !
मालाबार नीम के नाम
मराठी – कुरीपुत, गुजराती – कडुकाजर, तेलुगु – मुन्नतीकरक्स, तमिल – मलाई वीम्बु, कन्नड़ – हेब्बेबेटल, करिबवम, मलयालम – मालवम्बु, उड़िया – बत्रा और इसे मेलिया दुबिया भी कहा जाता है।
(Other names of Malabar Neem :- Marathi – kuriaput, Gujarathi – Kadukajar,
Telugu – Munnatikaraks, Tamil – Malai vembu, Kannada – Hebbevtl, Karibvam,
Malayalam – Malavembu, Oriya – Batra and also called Melia Dubia. )
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नर्सरी
बीज द्वारा
मालाबार का बीज मार्च – अप्रैल के दौरान बोना सबसे अच्छा है ! साफ और सूखे बीजों को खुली नर्सरी बेड में 5 सेंटीमीटर की दुरी पर ड्रिल की गई लाइनों में बोना चाहिए !
रेत में बीज अंकुरित नहीं होते हैं इसलिए उन्हें मिट्टी और FYM खाद के 2: 1 के अनुपात में या फिर 1: 1 अनुपात में मिलाकर लगाया जा सकता है ! नर्सरी बेड के लिए लगभग 1500 की संख्या वाले 6-7 किलोग्राम सूखे drupes की आवश्यकता होती है।
बोए गए बीजों को नियमित रूप से, दिन में दो बार पानी दिया जाना चाहिए! उन स्थानों पर जहां दिन का तापमान बहुत अधिक नहीं है, या जहां नर्सरी बेड छाया में हैं, नर्सरी बेड को मध्यम में तापमान बनाए रखने के लिए तिरपाल शीट से ढंकना चाहिए ! 90 दिनों के अंदर बीज का अंकुरण हो जाता है।
कलम द्वारा
मालाबार नीम की कलम 1000 – 2000 पीपीएम IBA (तरल) के प्रति अच्छा response देते हैं। पुराने पेड़ों के कोपिस कलम में जड़े आसानी से आती है।
कलम से पौधा उगाने के लिए पेंसिल जितनी मोटी कटिंग लेनी पड़ती है। पतली कलम जड़ सड़न के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं! कलम को रेत के में लगाया जा सकता है और दिन में दो बार पानी दिया जाता है।
जल निकासी के लिए उचित प्रावधान होना चाहिए क्योंकि जल भराव कलम को नष्ट कर देता है! कलम में जड़ निकलने के लिए सीज़न भी प्रमुख भूमिका निभाता है ! सुखा सीज़न जड़ निकलने के लिए अनुकूल हैं! इस विधि द्वारा लगभग 75 प्रतिशत रूटिंग प्राप्त की जा सकती है।
मालाबार नीम प्रबंधन
मालाबार नीम में 5×5 मीटर की दुरी को अच्छा माना गया है जबकि 8×8 मीटर का अंतर आदर्श है। रसायनिक खाद की मदद से पौधे की वृद्धि और विकास को बढ़ाया जा सकता है।
पौधो के तेज विकास के लिए नियमित सिंचाई की जरुरत होती है! पौधे के शुरुआती तेज विकास के लिए तीन महीने तक के लिए नियमित सिंचाई और तीन महीने में एक बार रसायनिक खाद का इस्तेमाल जरुरी है !
वर्षा आधारित असिंचित क्षेत्र में पौधे के विकास की गति धीमी हो जाती है (लगभग 100% कम) ! जमीन से 8-10 मीटर की ऊंचाई पर पेड़ की शाखाएं आती है ! हर छह महीने में कटाई छंटाई करने से टहनिया नियंत्रित होती है! मालाबार नीम का तना सीधा, गोल तथा बिना किसी गांठ के होता है !
उपयुक्त मिट्टी
मालाबार नीम अलग अलग प्रकार की मिट्टी पर आसानी से उगाया जा सकता है ! उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी अच्छा विकास दिखाती है !
कृषि वानिकी
मालाबार नीम की खेती में अन्य फसले आसानी से ली जा सकती है ! इसकी खेती की अवधि में अनेक प्रकार की फसले उगाई जा सकती है! मूंगफली, मिर्च, हल्दी, काले चने, पपीता, केला, खरबूजा, गन्ना आदि फसलों की खेती की सफलतापूर्वक की जा सकती है।
मालाबार नीम बीजोपचार
पकने वाले फलों को (जनवरी – फरवरी) से एकत्र किया जाता है बीजों को पकने के बाद धोकर और सुखाने के बाद सील किए गए टिनों में संग्रहित किया जाता है ! बीज की अंकुरण क्षमता 25% से कम होती है।
नर्सरी में, बीज को नर्सरी बेड में बोया जाता है ! सबसे अच्छा बीज उपचार एक दिन के लिए बीज को गाय के गोबर के घोल से उपचारित करना माना जाता है! फिर उपचारित बीजों को उठे हुए नर्सरी बेड के ऊपर बोया जाता है।
बीज को अंकुरित होने में एक या दो महीने लगते हैं ! सिंचाई नियमित रूप से की जानी चाहिए। अंकुर को अपनी नर्सरी अवस्था को पूरा करने में 6 महीने लगते हैं।
मालाबार नीम की खेती में सिंचाई
पेड़ गैर-बरसात के मौसम में हर 10 – 15 दिनों में एक बार सिंचाई करने से अच्छा विकास होता है।
मालाबार नीम का उपयोग
मालाबार नीम की लकड़ी अच्छी लकड़ी है ! प्लाईवुड उद्योग के लिए यह सबसे पसंदीदा लकड़ी है।
इसका उपयोग पैकिंग के लिए, छत, भवन निर्माण, कृषि उपकरण, पेंसिल, माचिस की डिब्बी, मोचियों, संगीत यंत्रों और चाय के बक्सों के लिए भी किया जाता है !
क्योंकि मालाबार नीम की लकड़ी दीमक रोधी होती है ! अत: इसकी बहुउद्देशीय उपयोगिताओं के कारण मालाबार नीम का एक तैयार और सुनिश्चित बाजार है ! प्रजाति भी अत्यधिक अनुकूलनीय है। प्लाई वुड निर्माण उद्योगों में प्रजाति की बहुत मांग है।
मालाबार नीम के अन्य फायदे
पौधे की पत्तियां झड़ने के कारण खेत मे जैविक खाद तैयार होती है
इसको 9×9 फ़ीट की दूरी से लगाते है, बीच मे खाली पड़ी जगह में दूसरी फसल लगा सकते है और उसको कम पानी की आवश्यकता होती है ! क्योंकि इसकी छाया के कारण नमी बनी रहती है
खेत की मेड़ के चारों तरफ इसको लगाने पर फसल को तेज हवाओं, गर्मी में लू और सदियों में ठंड हवाओं से काफी हद तक बचाया जा सकता है
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