महानीम से कमाई

महानीम (एलीऐंथस एक्सेल्सा) जिसे अरडू नीम व महारूख के नाम से भी जाना जाता है, वर्ष में एक बार पत्ते गिराने वाला व जल्दी बढ़ने वाला वृक्ष है ! इसे शुष्क व अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है ! महानीम को अधिक प्रकाश व कम पानी की जरूरत होती है ! इसलिए यह देश के सूखे इलाको के लिए एक उपयुक्त वृक्ष प्रजाति है !

महानीम mahaneem se kamai

प्रवर्धन

प्रकृति में महानीम का प्रवर्धन भूमिगत जड़ों (सकर्स) व बीज द्वारा होता है ! तेज हवा से इसके बीज का छिड़काव दूरस्थ स्थानों पर हो जाता है व बरसात के समय अंकुरित हो जाते हैं, तथा नये पौधे प्राकृतिक रूप से तैयार हो जाते हैं ! मई-जून के महीने में उपलब्ध पके हुए फलों से बीज निकाले जाते हैं ! बीजों को 9×6 इंच आकार के पोलीथीन की थैलियों में बीजा जाता है !

पौधा रोपण

पौध रोपण के लिए जुलाई-अगस्त का समय अच्छा रहता है ! कृषि वानिकी के तहत महानीम को 10×5 मीटर के फासले पर लगाना चाहिए ताकि फसलों पर छाया का कम प्रभाव पड़े ! खेत के चारों तरफ इसे 4 मीटर की दूरी पर लगाया जा सकता है ! बाग लगाने के लिए पौधे से पौधे की दूरी 5×5 मीटर होनी चाहिए ! पौधे 45X45X45 सें.मी. आकार के गड्ढ़ों में लगाये जाते हैं ! पौध रोपण के समय गड्ढ़ों में गोबर की गली-सड़ी खाद अवश्य ही डालनी चाहिए !

सिंचाई

महानीम के पौधे को कम पानी की आवश्यकता होती है, परन्तु प्रथम वर्ष में अधिक गर्मी व पाले से बचाव के लिए 2-3 बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है ! सिंचाई के बाद खरपतवार नियंत्रण एवं नमी की उपलब्धता के लिए निराई-गुड़ाई जरूर करें ! पौधे को वृक्ष का आकर देने के लिए समय-समय पर कटाई-छंटाई करते रहना चाहिए !

महानीम का उपयोग

चारा :

यह वृक्ष बहुत ही पौष्टिक एवं स्वादिष्ट हरा व सूखा चारा प्रदान करता है जिसे ऊंट, भेड़ व बकरियां खाती हैं ! कच्चे पत्तों को भेड़-बकरियों कम खाना पसंद करती है ! परन्तु पके पत्ते जानवरों का अच्छा चारा है ! एक हैक्टेयर से लगभग 10-12 क्विंटल हरी पत्तियां प्राप्त हो सकती है, जिनको सुखाकर चारे की कमी वाले मौसम में प्रयोग किया जा सकता है !

लकड़ी :

इसकी लकड़ी हल्की होती है और पैकिंग, प्लाईवुड, पेपर, माचिस, खिलौने व हल्के क्रिकेट के बैट आदि बनाने में काम आती है !

छाया एवं वायुरोधक :

महानीम को शुष्क क्षेत्र में छाया एवं सुन्दरता के लिए सड़क के दोनों तरफ उगाया जाता है ! इसे खेत के चारों तरफ फसलों को गरम एवं सरद हवाओं से बचाने के लिए भी लगाया जाता है !

कृषि वानिकी : कम वर्षा वाले स्थानों के कृषि-वानिकी के लिए यह एक उपयुक्त वृक्ष जाति है ! क्योकि इसे कम पानी की आवश्यकता होती है ! इसके साथ इस क्षेत्र में उगाई जाने वाली सभी फसलें सफलतापूर्वक लगाई जा सकती है ! कृषि–वानिकी के तहत इस वृक्ष को 10X5 मीटर की ! दूरी पर ही लगाएं !

आर्थिक विश्लेषण :

बावल अनुसंधान केन्द्र पर लगाए गए परीक्षणों से यह पाया गया कि महानीम का पेड़ लगभग 8-10 वर्षों में पक कर तैयार हो जाती है और एक वृक्ष से लगभग 10-15 क्विंटल लकड़ी प्राप्त हो सकती है ! यद्यपि पेड़ की बढ़वार व पैदावार खेत की भूमि, पानी, खाद व प्रबन्धन पर निर्भर करती है ! आजकल महानीम की लकड़ी का बाजार भाव लगभग 150-200 रुपये प्रति क्विंटल है !

नरेश कौशिक एवं राजपाल देशवाल चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, बावल, रेवाड़ी !

शेयर करे

Leave a comment

error: Content is protected !!