लाख की खेती कर करे कमाई ! Lac farming guide

लाख प्राकृतिक राल है जिसे सूक्ष्म मादा कीट अपने शरीर के बाह्य आवरण के रूप में निर्मित करती है। ये कीट पोषक वृक्ष का रस चूसकर जीवित रहते हैं, इनके शरीर में विशेष ग्रन्थियां पाई जाती हैं जिनसे तरल पदार्थ नवित होता है जो सूख कर ठोस बन जाता है। लाख आर्थिक महत्व का उत्पाद है। लाख की खेती से हमें लाख, मोम व रंग मिलता है।

पलास वृक्ष पर रंगीनी लाख की वर्ष में दो फसलें ली जाती हैं-

बैसाखी (ग्रीष्मकालीन)

कतकी (वर्षाकालीन)।

बैसाखी फसल हेतु अक्टूबर- नवम्बर माह में तथा कतकी फसल हेतु जून- जुलाई माह में वृक्ष पर लाख कीट संचारित किया जाता है। बैसाखी फसल आठ महीने उपरान्त जून-जुलाई में व कतकी फसल चार महीने उपरान्त अक्टूबर- नवम्बर में तैयार हो जाती है।

ग्रीष्मकालीन रंगीनी फसल मुख्य व्यवसायिक फसल है, वर्षाकालीन फसल का उपयोग मुख्यतः बीहन उत्पादन के लिए किया जाता है।

खण्ड विधि से लाख की खेती

खण्ड विधि से खेती करके लाख की अच्छी उपज ली जा सकती है। पलास के वृक्षों पर एक किलो से लगभग पांच किलो तक लाख मिल जाती है।

खंड विधि में उपलब्ध वृक्षों को तीन खंड में बांट लेते हैं। प्रत्येक खंड में वृक्षों की लगभग बराबर संख्या रखी जाती है। दो तिहाई अच्छे व स्वस्थ वृक्ष, जो ठंडी जगह या तालाब के आसपास हों, उन वृक्षों का उपयोग बीहन उत्पादन के लिए किया जाता है।

शेष तीसरे खंड के वृक्ष जिन पर सामान्यतः गर्मी में लाख कीट मरने की संभावना हो, बैसाखी अरी या कच्ची लाख उत्पादन हेतु उपयोग किया जाता है।

खंड विधि से लाख की खेती में लाभ

वृक्षों को विश्राम मिलने से उसकी पोषक क्षमता बनी रहती है।

उत्पादन अधिक और नियमित होती है।

बीहन लाख की कमी नहीं होती है।

लगातार अच्छी फसल मिलने आमदनी का स्रोत बना रहता है।

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कीट पालन की कार्य विधियां

  1. वृक्षों की कटाई-छंटाई
  2. कीट संचारण
  3. फूंकी उतारना 
  4. फसल संरक्षण/ दवा का छिड़काव
  5. फसल कटाई  
  6. लाख छिलाई

वृक्षों की कटाई छंटाई

काट छांट से वृक्षों के आकार की वृद्धि से तेजी से होती है जिसके फलस्वरूप कीट पालन के लिये नरम टहनियां अधिक संख्या में प्राप्त हो जाती हैं।

वृक्षों की काट-छांट इस तरह करना चाहिए कि उनका आकार न बिगड़े। पलास की कतकी फसल के लिए मध्य फरवरी में व बैसाखी के लिए अप्रैल में काट-छांट की जाती है।

पलास वृक्षों में कांट-छांट के उपरांत लगभग 6 माह का विश्राम दिया जाता है। वृक्षों की काट छांट के लिए मुख्य रुप से दावली (कलम करने की छुरी), ट्री नर, सिकेटियर का प्रयोग करते हैं।

काट-छांट हल्की होनी चाहिए।

सामान्यतः 2.5 से.मी. से अधिक व्यास अथवा अंगूठे से अधिक मोटी डाली नही काटना चाहिए। परन्तु यदि पुराने वृक्षों की काट-छांट करना हो अथवा जब वृक्ष की मोटी शाखा ऐसी हो जिस पर चढ़ कर जिन डालियों पर लाख लगाना है उन तक पहुंच न सके, ऐसी अवस्था में थोड़ी मोटी डालियों को भी काटा जा सकता है।

1.25 से 2.5 से.मी. व्यास की टहनियों को एक हाथ छोडकर काटना चाहिए।

सूखी और बीमार डालियों को निकाल देना चाहिए।

कटाई साफ होनी चाहिए एवं डालियां/टहनियां नहीं फटना चाहिए।

कीट संचारण

परिपक्व मादा लाख कीटों से निकल रहे शिशु कीटों को पोषक वृक्षों की टहनियों पर फैलाने की प्रक्रिया कीट संचारण कहलाती है। जब पोषक वृक्ष संचारण हेतु तैयार हो जाते हैं तब कीट संचारण किया जाता है।

स्वस्थ बीहन लाख की वह टहनी जिसपर लाख एवं गर्भवती लाख कीट हो, 15 से.मी. के टुकड़ों में काटकर प्लास्टिक सुतली से 100 ग्राम का बंडल बना लेते हैं।

इन बंडलों को 60 मेस की नायलोन की थैली में भरकर पोषक वृक्ष की नई टहनियों पर अलग अलग दूरी पर बांध देते हैं जिसमें से लाख कीट तो आसानी से बाहर आ जाते हैं परन्तु शत्रु कीट अंदर ही फंसे रह जाते हैं।

बीहन उत्पादन हेतु बैसाखी-कतकी की सम्मिलित फसल लेने पर 10-15 ग्राम बीहन प्रति मीटर लंबी मुलायम टहनी की दर से (औसतन 400-450 ग्राम प्रति वृक्ष) संचारित करें।

फुकी उतारना

जब लाख के नवजात शिश कीट कोषों से निकलकर वक्षों की टहनियों पर बैठ जाए तो बीहन लाख शिशु कीट रहित हो जाती है जिसे फंकी लाख कहते हैं, इस फंकी लाख को वृक्ष से हटाना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा इनके भीतर विधमान | शत्रु कीट नई पीढ़ी की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। बीहन लाख से शिशु कीटों का निकलना जैसे ही समाप्त हो फुकी लाख को वृक्ष से उतारकर छील लें। समान्यतः कीट संचारण के 21 दिन बाद कुंकी लाख हटा लेना उचित होता है।

लाख कीटों के संरक्षण की विधियां

लाख फसल को शत्रु कीट-व्याधि से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए कीटनाशक व फफूंदनाशक छिड़कने की आवश्यकता पड़ती है।

शत्रु कीटों का प्रकोप होने पर कीटनाशक दवा इथोफेनप्राक्स 0.02 प्रतिषत (2 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी में ) या इन्डोक्सोकार्ब 0.07 प्रतिशत (0.5 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी में ) का छिड़काव करते हैं। पहला छिड़काव कीट संचारण के एक माह बाद करते हैं। यदि आवश्यक हो तो दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के एक माह बाद करते हैं।

फफूंद का आक्रमण होने पर कार्बेन्डाजिम दवा के 0.01 प्रतिशत ( 15 लीटर पानी में 3 ग्राम दवा) घोल बनाकर छिड़काव करें।

बैसाखी फासल में कीट संचारण के 30, 60 व 90 दिनों में दवा का छिड़काव करें। 105-120 दिनों बीच दवा छिड़काव न करें क्योंकि इस समय नर कीट निकलते हैं। कतकी फसल में दवा का छिड़काव कीट संचारण के 30 व 60 दिनों में करें। 42-58 दिन के बीच दवा छिड़काव न करें। दवा छिड़काव हेतु गटूर स्प्रेयर का उपयोग करें।

लाख फसल की कटाई

बीहन के रुप में उपयोग करने हेतु कटाई फसल के पूरी तरह परिपक्व होने पर करना चाहिए।

अरी या कच्ची लाख की कटाई लाख की अच्छी मोटी पपड़ी बनने पर कभी भी की जा सकती है।

लाख के कोषों पर यदि आधा से अधिक पीला धब्बा बना हुआ दिखाई दे तो यह समझ लेना चाहिए कि एक सप्ताह के भीतर कीट निर्गमन आरम्भ हो जायेगा और फसल कटाई आरंभ कर सकते हैं।

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3 thoughts on “लाख की खेती कर करे कमाई ! Lac farming guide”

  1. बहुत अच्छी जानकारी हे सर जी
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