Kela kaise pakate hai केला पकाने की विधि और खेती

केला हमारे देश का एक प्राचीन फल है जिसका सेवन लगभग सभी राज्यों में किया जाता है ! इस लेख में बताया गया है की kela kaise pakate hai और केले की खेती से जुडी अन्य जानकारी दी गई है !

जलवायु और मिट्टी

उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी केले की खेती के लिए बहुत अच्छी होती है ! ऊसर भूमि में केले की खेती नहीं होती है! केला गर्मी के मौसम का फल है। गर्म हवा और पाले का पौधों की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

किस्में

केलों को पकाकर खाई जाने वाली किस्मों में हरी छाल, रोबस्टा, चीनिया, माल भोग, अल्पान मुख्य है और सब्जी वाली किस्मों में कोठिया, कम्पेयरगंज, हजारा, काबुली प्रमुख हैं।

केले की पौध तैयारी व् रोपाई

केले की रोपाई पुत्तियों द्वारा की जाती है। रोपण के लिए 2-3 महीने की आयु को तलवार नुमा पुत्तियों का प्रयोग किया जाता है ! रोपण के लिए चुनी पुत्तियों की पत्तियों को काट देना चाहिए और उन्हें 7-10 दिन तक खुले में सूखने के लिए रखना चाहिए।

रोपण के पूर्व इन पुत्तियों को 0.2 प्रतिशत डायफोल्टान में डुबोकर उपचारित कर लेना चाहिए ! पौध की वृद्धि के अनुसार 2-3 मीटर की दूरी पर पौध को रोपित किया जाता है।

पौध के रोपण का उपयुक्त समय आधे जेष्ठ (जून) से लेकर आधे अषाढ़ (जुलाई) तक होता है ! इसलिए रोपण से पहले गड्ढे भरने का कार्य बैसाख के महीने में किया जाता है।

खाद एवं उर्वरक

केले के एक पौधे के लिए 200 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस, 250 ग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है।

पोषक तत्वों उक्त मात्रा में से पूरा फास्फोरस एवं एक तिहाई नाइट्रोजन पौध लगाते समय दिया जाता है।

एक तिहाई नाइट्रोजन श्रावण, भादों (अगस्त, सितम्बर) तथा शेष आधी पोटाश और तिहाई नाइट्रोजन अगले वर्ष जेष्ठ (जून) में फूल आने के समय देना चाहिए।

उर्वरक के साथ गोबर की खाद, नीम की खली, हड्डी का चूरा देने से पौधों में वृद्धि एवं फलत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

सिंचाई

केले के पौधों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है ! गर्मी के महीने में सप्ताह में एक बार तथा जाड़े में 15 दिन के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।

बरसात से पहले नालियों की जगह मेड़ें बना देनी चाहिए ! ऐसा करने से पानी के रुकने की सम्भावना नहीं रहती है। और तेज हवा से पौधे गिरते भी नहीं हैं।

केला पकाने की विधि Kela kaise pakate hai

बिना केमिकल –

फूल आने के लगभग 4 माह के बाद फल तोड़ाई के लिए तैयार हो जाता है ! फलियों की चारों धारियाँ जब तिकोनी न रहकर गोलाई लेने लगती हैं तो ऐसी स्थिति में पूरी घौद (गहर) को तेज औजार से काट लिया जाता है !

किसी बन्द कमरे में केले की पत्तियों को बिछाकर उसके ऊपर घौद को रखकर पत्तियों से ढक दिया जाता है ! फिर एक कोने में उपले जलाकर अथवा जलती अंगीठी रखकर कमरे को गीली मिट्टी से सील बन्द कर दिया जाता है।

आमतौर से 48-72 घंटे में इस प्रक्रिया से केला पककर खाने के लिए तैयार हो जाता है।

केमिकल द्वारा

(1) प्रायः बन्द कमरे में कार्बाइड चूर्ण को पुड़िया में रख दिया जाता है ! कार्बाइड से पकी फलियाँ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं।

(2) लुभावने रंग एवं शीघ्र पकाने के लिए 2.5 मि.ली. इथरैल प्रति लीटर पानी में घोल कर तथा उसी में कास्टिक सोडा की 5-10 गोलियाँ मिलाकर कमरे अथवा लकड़ी के बक्से में घौद के साथ रखने से 24 घंटे के अन्दर फल पककर तैयार हो जाता है।

तो उपर दिए गये उपायों से पता चला की kela kaise pakate hai ! इसके अलावा घर पर ओवन में भी केले को पकाया जा सकता है ! इसके लिए केले को फॉयल में लपेटकर 15 से 30 मिनट तक ओवन में रखा जा सकता है !

कटाई छटाई

रोपण के दूसरे वर्ष अप्रैल-मई तक जो पुत्तियाँ निकलें, उन्हें निकालते रहना चाहिये ! जून में निकलने वाली एक पुत्ती को प्रत्येक पौधे के पास छोड़ देना चाहिये तथा शेष को निकाल देना चाहिये।

केले में फूल के रोपण के 12 माह बाद अगले जून जुलाई में फूल आयेंगे ! इनमें फल का टिकाव 2 माह में पूर्ण हो जाता है ! घौद के निचले भाग में नर फूल का गुच्छा रहता है ! इसकी कटाई कर देनी चाहिये। इससे पत्तियों की वृद्धि अच्छी एवं शीघ्र होती है।

हानिकारक कीट एवं रोग

बीटल

यह कोमल पत्ती तथा फलों का छिलका खाती है ! इसकी रोकथाम हेतु असाढ़-सावन (जुलाई, अगस्त) में नुवाक्रान अथवा थायोडान 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर दो बार छिड़काव करना चाहिये।

केले का घुन

यह कीट भूमिगत पुत्ती में छेद करके खाता है ! पुत्ती सड़ने लगती है और बाद में पूरा पौधा सड़ जाता है ! रोकथाम हेतु पुत्तियों 0.1 प्रतिशत डाई एल्ड्रिन में डुबो कर लगाना चाहिए ! इसके बाद कीट ग्रस्त पौधों के चारों तरफ 30-50 ग्राम एल्ड्रिन धूल बिखेरना चाहिए ! बन्ची टापः यह विषाणु जनित रोग है ! पौधों की पत्तियाँ छोटी होकर गुच्छे का रूप धारण कर लेती हैं ! पौधों की वृद्धि तथा फलत रुक जाती है ! जिस बाग के पौधों में यह रोग लगता है, वहाँ से रोपण हेतु पुत्तियाँ नहीं लेनी चाहिये ! रोगग्रस्त पौधों को निकाल देना चाहिये।

उपज Banana Yield

यदि उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक पेड़ों को दी जाय तो 200-250 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त हो जाती है।

इसे भी पढ़े – पपीता की खेती से फायदा click here

शेयर करे

2 thoughts on “Kela kaise pakate hai केला पकाने की विधि और खेती”

Leave a comment

error: Content is protected !!