कृषि विज्ञानं केंद्र झाबुआ यानि कड़कनाथ रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है की आदिवासी आँचल के प्रसिद्ध कड़कनाथ मुर्गे का मांस मध्यप्रदेश के इंदौर में अगले महीने होने वाले IIFA अवार्ड में भाग लेने वाले स्टार व् अन्य अतिथियों को परोसने की मांग की है !
कृषि विज्ञानं केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक I.S तोमर ने शनिवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है की आपने एक ब्लॉग में 27 से 29 मार्च 2020 को होने वाले IIFA अवार्ड आदिवासियों को समर्पित किया है ! इस सम्बन्ध में मेरा सुझाव है की आदिवासी आँचल के झाबुआ के प्रसिद्ध मुर्गे का मांस अवार्ड में भाग लेने वाले सितारे व् अतिथियों को कम से कम एक दिन परोसा जाये क्योंकि ये इस मुर्गे के मांस में कम से कम फैट और अधिक मात्रा में प्रोटीन और आयरन होता है !

झाबुआ मध्यप्रदेष का आदिवासी बाहुल्य जिला है। इस जिले की पहचान यहां पर पाई जाने वाली मुर्गी की प्रजाति कड़कनाथ के कारण पूरे देश में है।
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कड़कनाथ कुक्कुट आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिला ही नहीं अपितु मध्यप्रदेश राज्य का गौरव है तथा वर्तमान में कड़कनाथ पक्षी झाबुआ जिले की पहचान बना हुआ है कड़कनाथ की उत्पति झाबुआ जिले के कठ्ठिवाड़ा, अलीराजपुर के जंगलों में हुई है।
क्षेत्रीय बोली में कड़कनाथ को कालामासी भी कहा जाता है क्योंकि इसका मॉस, चोंच, कलंगी, जुबान, टांगे, नाखुन, चमड़ी इत्यादि काली होती है। जो कि मिलैनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है जिससे हदय व डायवटीज रोगियों के लिए उत्तम आहार है।
इसका मॉस स्वादिश्ट व आसानी से पचने वाला होता है इसकी इसी विषेशता के कारण बाजार में इसकी माँग काफी होती है एवं काफी उची दरों पर विक्रय किया जाता है।