काजू की गिरी कैसे निकली जाती है (प्रसंस्करण) cashew dehusking/processing

Cashew processing प्रसंस्करण

काजू के बीजों के प्रसंस्करण का अर्थ यह है कि कच्चे काजू के बीज से धवल श्रेणी की गिरी निकालना।

प्रसंस्करण यूनिटें अधिकतर केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में स्थित हैं।

काजू के बीजों का प्रसंस्करण बहुत ही श्रमसाध्य कार्य है और श्रमिक अधिकतर महिलाएं ही होती हैं। विधि

ड्रम में भूनना

यह सबसे पुराना और बहुप्रचलित तरीका है। काजू के कच्चे बीजों को घूमते हुए गरम ड्रम में डाला जाता है, जिसमें तापमान को नियंत्रित करके उसके खोल को जलाया जाता है।

ड्रम को 3-4 मिनट तक घुमाया जाता है और भुने हुए बीजों को उसके निचले भाग से निकाला जाता है।

तुरंत ही उस पर थोड़ा सा पानी छिड़ककर उसे राख से ढक दिया जाता है, ताकि उसका तेल तह में जम जाए। इससे बीज के खोल में शेष बचे हुए तेल को निकलने में मदद हो जाती है।

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ऑयल बाथ में भूनना

इस प्रणाली में तैयार बीजों को अति उच्च तापमान तक गरम किए हुए कन्वेयर बकेट द्वारा सीएनएसएल बाथ से 1-2 मिनट तक गुजारा जाता है। इस दौरान खोल गरम हो जाता है और यह खोल को तोड़कर तेल, बाथ में छोड़ देता है।

 तेल को निरंतर बहने वाली व्यवस्था से जमा कर लिया जाता है। भुने हुए बीजों को चिपकने वाले तेल से अलग करके ठंडा किया जाता है।

हाथ और पैरचालित खोल निकलने वाली मशीन में इसे डाला जाता है। उसके बाद एक तेज सुई से बीज कवच को खोलकर उसके भीतर की गिरी को निकाल लिया जाता है।

भाप में भूनना

कच्चे बीजों को 120-140 पाउंड वर्ग इंच दबाब में भाप में पकाया जाता है। उसके बाद दबाव से खोल के तेल को निकाला जा सकता है।

बीज को हाथ और पैरचालित खोल निकालने वाली मशीन से निकाला जा सकता है।

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