ऐस्पैरागस की खेती Asparagus Farming

पिछले काफी समय से हमारी सरकार व सरकारी विभाग लोगों को उनके आहार में सब्जियों की महत्ता के बारे में जानकारी दे रहे हैं। लोगों का स्वास्थ्य के प्रति रूझान बढ़ा है और लोग इन सब्जियों को, जिन्हें विदेशी सब्जी भी कह सकते हैं और जो ज्यादा पोषक, सुगंधित व स्वादिष्ट हैं, में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं और वे इन सब्जियों का उचित मूल्य भी दे सकते हैं। बहुउद्देशीय कृषि पर आधारित फूड प्रोसेसिंग इकाईयां भी आ चुकी हैं। इन सब्जियों की विदेशों में काफी मांग है। यह विदेशी मुद्रा कमाने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

Asparagus ऐस्पैरागस की खेती

मुख्यतौर पर इनकी मांग यूरोप एवं सुदूर पूर्वी देशों में है। इन सब्जियां में मुख्यतौर पर ऐस्पैरागस, ब्रसल्स, सप्राउट, चाइनीज कबज एवं सैलरी इत्यादि हैं। यह उचित समय है कि इस प्रदेश के किसानों को इन सब्जियों की कृषि क्रियाओं संबंधी जानकारी दी जानी चाहिए। किसान इन उन्नतशील कृषि क्रियाओं को अपनाकर अच्छा धन कमा सकते हैं।

ऐस्पैरागस

यह एक बहुवर्षीय सब्जी है और इसकी खेती नए उगे हुए कोमल तनों के लिए जिसको स्पीयर कहते हैं, की जाती है। यह विटामिन ‘ए” का अच्छा स्रोत है। इसके “स्पीयर” सलाद एवं सूप के तौर पर प्रयोग में लाए जा सकते हैं। इस सब्जी को लगाने के तीन साल बाद हम उपज लेना प्रारंभ करते हैं और बारह वर्ष तक लेते रहते हैं। जिन इलाकों में तापमान 16 सेंटीग्रेड से 22 सेंटीग्रेड रहता है वहां इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। अधिक तापमान एवं धूल भरी आंधियां इसके लिए हानिकारक होती है।

मिट्टी

इसकी सफल खेती के लिए दोमट उपजाऊ मिट्टी जिसकी पी.एच 6-6.7 हो और पानी को निकालने का उचित प्रबंध हो, उत्तम मानी गई है।

ऐस्पैरागस बिजाई

इसकी बिजाई रोपण बीज द्वारा एवं क्राउन (एक वर्ष पुराने पौधे) द्वारा खाईयों में की जाती है। अगर स्पीयर सफेद रंग के चाहिए तो पौधों के चारों तरफ मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए। बीज के जल्दी फटाव के लिए बीज को 30-35 सेंटीग्रेड वाले गुनगुने पानी में 3-5 दिन तक भिगोकर रखें। इसकी औसत उपज 15-20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक मिल सकती है।

किस्म – प्रफैक्शन

बिजाई का समय – फरवरी-मार्च

बीज की मात्रा – 800-1,000 ग्राम

हैक्टेयर दूरी- 45 x 45 सै.मी. नर्सरी में, 45-60 सै.मी. पौधे से पौधा खाईयों में 1-1.3 मीटर की दूरी।

खाद

खाद- 20 टन गोबर की खाद, 60 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 25 कि.ग्राम फास्फोरस, 50 कि.ग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर सिंचाई- 5-15 दिन के अंतराल पर

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