हल्दी पाउडर कैसे बनाते है (Processing of turmeric)
Haldi powder kaise banate hai – हल्दी प्रक्रियाकरण में मुख्यतः चार चरण होते हैं – उबालना, सुखाना, पॉलिश तथा रंगाई।
उबालना Boiling of turmeric
Haldi powder बनाने के लिए कंदों को अच्छी तरह धोने के उपरांत उन्हें उबाला जाता है ! उबालते समय चूने के पानी अथवा सोडियम बाईकार्बोनेट का प्रयोग किया जाता है।
हल्दी उबालने का कार्य गेल्वेनाइज्ड लोहे के पात्रों/कड़ाहियों में या मिट्टी अथवा तांबे के पात्रों में किया जाता है ! उबालने की क्रिया लगभग 45-60 मिनट तक की जाती है (जब तक झाग आना अथवा एक विशेष प्रकार की गंध आना प्रारम्भ न हो जाए)।
यह ध्यान रखना चाहिए कि हल्दी की गांठें पूर्णतया उबल जाएं (उबली हुई गांठों को अंगुली अथवा लकड़ी से दबाकर देखा जाता है ! यदि उबली हुई गांठ पूर्णतया दब जाए तो इसका अर्थ है कि उबलने की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है) उबालने का कार्य फसल की खुदाई के 2-3 दिन के अंदर पूरा कर लिया जाना चाहिए।
मूल कंद (मदर राइजोम) तथा साथी कंदों (फिंगर्स) को अलग-अलग उबालना भी उपयुक्त होता है ! अच्छी प्रकार से उबाल लेने से हल्दी सूखने की प्रक्रिया 10-15 दिन में पूरी हो जाती है, अन्यथा इसमें 30-35 दिन का समय लगता है ! उबालने से कंदों के अंदर के रंग में एकरूपता आ जाती है।
सुखाना Drying of turmeric
उबले हुए कंदों को बांस की चटाई अथवा दरी आदि पर 5-7 सैंटीमीटर मोटाई की परत बनाकर धूप में सुखाया जाता है ! इन्हें रात्रि के समय इकटठा कर लेना चाहिए अथवा किसी तिरपाल आदि से ढ़क दिया जाना चाहिए ! धूप की स्थिति तथा गहनता के अनुसार कंद 10 से 15 दिनों में पूर्णतया (6 प्रतिशत तक नमी) सूख जाते हैं।
हल्दी की किस्म तथा अन्य परिस्थितियों के अनुसार सूखी हल्दी, गीली हल्दी की तुलना में प्राय: 20 से 30 प्रतिशत तक रह जाती है।
पॉलिशिंग (चमकाना) polishing of turmeric
सुखाने के बाद हल्दी देखने में लुभावनी नहीं लगती अतः इसके बाहरी आवरण को पॉलिश किया जाना आवश्यक होता है ताकि इसमें चमक आ जाए। इसके लिए सूखी हुई गांठों को आपस में रगड़कर इनकी पॉलिशिंग की जाती है।
इसके लिए हस्तचालित या मशीनों से चलाए जाने वाले ड्रम/पॉलिशर भी प्रचलन में है ! इन ड्रमों को घुमाने से हल्दी की गांठे (कंद) आपस में घर्षण करती हैं, जिससे कि पॉलिश की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
रंगाई coloring of turmeric
हल्दी को आकर्षक बनाने के लिए इसकी रंगाई करना अति आवश्यक है ! इसके लिए हल्दी के सूखे कंदों में 2 किलोग्राम हल्दी पाऊडर, 140 ग्राम अरण्डी का बीज तथा 30 ग्राम सोडियम बाईसल्फेट प्रति क्विंटल की दर से मिलाया जाता है ! इससे हल्दी का रंग अच्छा हो जाता है।
इस तरह से हमने जाना की haldi powder kaise banate hai इसके अलावा इस लेख में नीचे जानकारी दी गई है की कैसे हम हल्दी के बीजो को अगले साल इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रख सकते है !
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आगामी वर्ष हेतु हल्दी के बीजों का संग्रहण
खुदाई कर लेने के बाद फसल का कुछ भाग (आवश्यकतानुसार) अगले वर्ष में बीजाई करने के लिए बीज के रूप में संग्रहित करना आवश्यक होता है ! यह बीज एक गहरे गड्ढे में रखा जाता है।
संग्रहित करने से पूर्व इन बीजों (कंदों) को कवकनाशी दवाई से उपचारित किया जाता है ! उपचारित करने के बाद इन कंदों को छाया में सुखाया जाता है। ये गड्ढे यथासंभव ऐसी जगह पर तैयार किए जाने चाहिए. जो सर्य की सीधी रोशनी से दूर हों।
ये गड्ढे प्रायः 1 मीटर चौड़े, 2 मीटर लम्बे और 30 सैंटीमीटर गहरे होने चाहिए ! इन गड्ढों में सर्वप्रथम नीचे 5 सैंटीमीटर की मोटाई तक की धान की भूसी (पैडी स्ट्रा) या सूखे पत्ते बिछा देने चाहिए तथा इसके ऊपर हल्दी के बीज वाले कंद रखकर इसे मिट्टी से ढक दें ! गड्ढे की मिट्टी तथा गोबर से लिपाई से पहले गर्म हवा के निकास के लिए एक छोटा पाईप अवश्य लगायें।
इस प्रकार संग्रहित किए कंद चार माह तक सुरक्षित रहते हैं ! इस प्रकार यदि हल्दी उगाने के लिए उत्तम तकनीक अपनाई जाए तो हल्दी की अच्छी पैदावार मिलेगी और किसानों को अधिक लाभ होगा।
स्त्रोत – प्रेम चंद शर्मा और मनोज गुप्ता हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय
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Mujhe kachhi haldi se haldi pakane ka plant bana he uski process batane ka kast karen 9997588797
haldi ko dryier me sukhne par kya gunwatta me koi fark padega