अगेती पकने वाली किस्में (Early maturing varieties)
को. 0238 (करण 4) CO 0238
वंशावली कोलख 8102 x को. 775
यह किस्म एक अगेती किस्म के रूओप में व्यापारिक खेती के लिए विमोचित की गई ! यह उपोषणकटिबन्धीय भारत में ज्यादा क्षेत्र को ग्रहण किये हुए है ! इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान,उत्तराखंड और उत्तर परदेश के पश्चिमी और मध्य क्षेत्र में उगाने और जल्द पिराई के लिए उपयुक्त किस्म है !
सामान्य लक्षण :-
यह एक लम्बी बढ़ने वाली,माध्यम से अधिक मोती की बेलनाकार लम्बी पारियों वाली किस्म है जिसकी पत्ती खोल परिपक्वता होने पर अपने आप गिर जाती है ! इसकी बढवार बहुत तेजी से होती है ! गर्मी में इसकी पत्तियों का सुखना सामान्य बात है ! यह एक बिना काँटों वाली किस्म है ! इसके पत्ते धूसर भूरे/हरे रंग के होते है ! इसकी आँखे गोल व् छोटी होती है ! पत्तियों में खांचा कम गहरा होता है ! सूखे जलमगन एवं लवणीय परिस्तिथियों के लिए उपयुक्त किस्म है !
किट व् रोग के प्रति प्रतिरोधिता
यह किस्म लाल सडन रोग के प्रति प्रतिरोधी है !
उपज co 0238
गन्ने की ये किस्म प्रति हेक्टेयर 81.08 टन की उपज देती है ! प्रति हेक्टेयर व्यापारिक चीनी की उपज 9.95 टन की है ! इसमें सुक्रोज 17.99 % और रेशा 13.05 % होता है ! इसका गुड A 1 ग्रेड का होता है !
को जे 64 (CoJ64):
यह अगेती पकने वाली किस्म है। इसमें खांड का अंश 18-20 प्रतिशत है। इसका जमाव बहुत अच्छा होता है व यह मोढ़ी की फसल के लिये भी अच्छी है परन्त सूखे से अधिक प्रभावित होती है। अच्छी पैदावार लेने के लिए समुचित पानी, कीडों एवं बीमारियों से बचाव जरूरी है। इसमें तना छेदक एवं अगोला बेधक अधिक लगता है तथा यह लाल सड़न के लिये भी संवेदनशील है। इसकी औसत पैदावार 200 क्विंटल प्रति एकड है।
को एच 56 (CoH 56):

यह एक अगेती पकने वाली व अधिक पैदावार वाली किस्म है। इसमें खांड अंश 18.0 प्रतिशत है। इसका गन्ना मध्यम मोटाई का व पत्तियां चौड़ा व हल्के हरे रंग की होती हैं। यह न गिरने वाली व अच्छे फटाव वाली किस्म है। यह घसैला रोग के लिए अति संवेदनशील है। अतः इसका बीज गर्म व तर हवा द्वारा उपचारित करके ही प्रयोग में लाना चाहिए। यह लाल सड़न के लिए संवेदनशील है। अतः इसे खड़े पानी की परिस्थितियों में न उगायें।
को एच 92 (CoH 92):
यह एक अगेती पकने वाली किस्म है। इसमें खांड अंश 18-20 प्रतिशत है। इसका जमाव अच्छा परन्तु फुटाव कम है। इस किस्म का गन्ना मोटा, ठोस तथा लम्बी बढ़वार वाला होता है। अच्छी पैदावार के लिए जड़ बेधक कीड़े की रोकथाम का समय पर प्रबन्ध आवश्यक है। इसकी औसत पैदावार 250 क्विंटल प्रति एकड़ है।
मध्यम पकने वाली किस्में (Medium maturing varieties)
को 7717 (Co 7717):

यह एक अगेती पकने वाली किस्म है जो नवम्बर के अन्त में पककर तैयार हो जाती है। इसमें खांड अंश लगभग 17 प्रतिशत है। यह अच्छे फुटाव वाली, न गिरने वाली तथा सीधी बढ़ने वाली किस्म है। इसकी मोढ़ी की फसल बहुत अच्छी होती है। यह अधिक खाद देने पर अच्छी उपज देती है। इसकी औसत पैदावार लगभग 350 क्विंटल पर एकड़ है। इसका गुड़ काफी अच्छा होता है। यह किस्म कांगियारी एवं सूखे की प्रतिरोधी है पर लाल सड़न एवं घसैला रोग के लिये संवेदनशील है।
को एच 99 (CoH 99):

यह एक मध्यम-अगेती पकने वाली किस्म है जो नवम्बर माह के दूसरे सप्ताह में पिराई के लिए तैयार हो जाती है। इसमें खांड अंश लगभग 17.5 प्रतिशत होता है। सूखे व खड़े पानी जैसी परिस्थितियों में यह एक सर्वोत्तम किस्म है। गिरने के बाद भी पैदावार व चीनी पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता। यह कीड़ों व बीमारियों के लिये संवेदनशीन नहीं है। इसकी औसत पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ है।
को एस 8436 (CoS 8436):

यह किस्म मध्यम पकने वाली है। इसकी कम बढ़वार, ठोस मोटा गन्ना, चौड़ी पत्तियां एवं छोटी पोरियां होती हैं। इसमें खांड अंश 16-18 प्रतिशत होता है ! इसमें अच्छी पैदावार के लिए सिफारिश की गई नत्रजन की मात्रा से 25 प्रतिशत अधिक कीआवश्यकता होती है। यह पछेती बिजाई (गेहूँ के बाद) के लिये अनुपयुक्त है। इसकी औसत पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ है। पानी का समुचित प्रबंध अच्छी पैदावार के लिये अति आवश्यक है।
इस तरीके से करे गन्ने की बिजाई होगी ज्यादा कमाई video
को एच 119 (CoH 119):

यह एक मध्यम पकने वाली किस्म है। इसका गन्ना ठोस, वजन में भारी तथा मध्यम मोटाई का है। यह किस्म बसन्तकालीन बिजाई के लिए उपयुक्त है। इसकी मोढ़ी अच्छी तथा यह एक न गिरने वाली किस्म है। यह किस्म लाल सड़न रोधक है तथा इसको सारे प्रान्त के लिए अनुमोदित किया है। इसकी औसत पैदावार 320 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म की अच्छी पैदावार लेने के लिए समय पर बिजाई तथा मंजूरशुदा (सिफारिश) किया गया बीज व खाद की मात्रा का ही प्रयोग करें।
को एच 128 (CoH 128):
यह किस्म मध्यम पकने वाली है। इसकी औसत पैदावार 305 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह अच्छे फुटाव वाली किस्म है। यह किस्म गन्ने के लाल सड़न रोग की प्रतिरोधी है तथा इसमें कीड़ों का प्रकोप कम होता है। इसमें खाद की मात्रा अन्य मध्यम व पछेती किस्मों को एच 119, को 1148, को एस 767 व को 7717 के बराबर डाली जाती है।
पछेती पकने वाली किस्मे (Late maturing varieties)
को 1148 (Co 1148):
यह जनवरी के अन्तिम सप्ताह में पक जाती है। यह धीरे बढ़ने वाली, अधिक फुटाव, ठोस गन्ना एवं अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। इसकी मोढ़ी बहुत अच्छी होती है। यह पाले को सहन कर लेती है। परन्तु कनसुवे, तना बेधक एवं लाल सड़न के लिए संवेदनशील है। इसकी औसत पैदावार 320 क्विंटल प्रति एकड़ है एवं खांड अंश 17-19 प्रतिशत है। यह पछेती पिराई के लिए सर्वोत्तम किस्म है।
को एस 767 (CoS 767):

यह दिसम्बर माह में पकती है। यह अच्छे जमाव, ठोस गन्ने, न गिरने वाली, सर्वोत्तम मोढ़ी वाली किस्म है। यह पाला, सूखे एवं खड़े पानी को सहज ही सहन कर लेती है। यह कीड़ों एवं बीमारियों की प्रतिरोधी है। इसकी औसत उपज 300 क्विंटल प्रति एकड़ है और पकने पर इसका खांड अंश 16-18 प्रतिशत होता है।
को एच 110 (CoH 110):
यह पछेती पकने वाली किस्म है। इस किस्म का गन्ना मोटा वजनदार तथा लम्बा व तेज बढ़ने वाला है। इसकी मोढी नौलफ फसल से फुटाव में अच्छी पाइ गई है। यह किस्म कम उपजाऊ भूमि तथा कम पानी वाले क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। यह किस्म बहुत तेज बढ़ती है इसलिए बसन्तकालीन बिजाई के साथ-साथ ग्रीष्मकालान बिजाई के लिए भी उपयुक्त है। इसकी नौलफ फसल में नत्रजन की आधी मात्रा ही प्रयोग म लाएं। यह किस्म गन्ने की लाल सड़न बीमारी की प्रतिरोधक है। इसकी शरदकालीन बिजाई न करें तथा पछेती बिजाई में गन्ने का ऊपर का 2/3 भाग प्रयोग में लाएं। इसका औसत उत्पादन 320 क्विंटल प्रति एकड़ है।
गन्ने की उन्नत अच्छी किस्मे – source HAU Hisar