कांग्रेस घास को (congress grass) को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि चटक चांदनी, गाजर घास सफेद फूली घास, गांधी बूटी आदि ! यह घास न होकर एक झाड़ीदार पौधा है जो समूह में फैलता है ! पचास के दशक में गेहूँ आयात के साथ दुर्घटनावश यह खरपतवार हमारे देश में प्रवेश कर गया और 1956 में पूना में इसके बारे में वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी थी ! यह खरपतवार नहरों, सड़कों, रेलमार्ग की पटरियों के पास खाली जगहों, निर्जन भूखंडों और यहाँ तक कि फसल में खाली जगह हो तो गन्ना, मक्का, ज्वार, बरसीम, ग्वार, सब्जी और बागों में भी पाया जाता है !

यह एस्टरेसी [Asteraceae (compositae)] परिवार से है ! इसकी ऊँचाई दो मीटर तक हो सकती है ! साल में इसकी तीन-चार पीढियाँ बनती हैं ! एक पौधे से 62.4 करोड़ परागकण, 600 से 800 के समूह में हवा में उड़ते हैं ! बर्फिले इलाके को छोड़ यह सारे देश में फैल चुका है ! इसके बीज पानी, हवा, गोबर की खाद, चलती रेल आदि से आसानी से फैलते है !
गाजर घास का उन्मूलन क्यों आवश्यक है?
इस पौधे के पत्ते, तने से स्पर्श या परागकणों के कारण मनुष्य, कुत्ते, बिल्ली, भैंस, गाय आदि सभी में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं ! इससे उत्पन्न होने वाले रोग एलर्जी, खुजली, फफोले, दमा, पौलेनोसिस और गैगरिन (मवाद भरा घाव जो भरता नहीं) आदि होते हैं ! | यह आंखों, कोहनी, गर्दन या उघड़े बदन पर ज्यादा असर दिखाता है ! कई बार रोगी ! की मौत भी हो जाती है ! दुधारू पशुओं में बाल झड़ने, त्वचा पर चकते पड़ने, बदबूदार दूध, थन खराब होने के नुकसान भी इसके कारण से हो सकते हैं !
यह दलहनी फसलों की जड़ों में 60 प्रतिशत गांठे खत्म कर देता है ! चारे में तो इससे कई फसलों में 90 प्रतिशत तक नुकसान पाया गया है ! इसके परागकणों के कारण मिर्च, टमाटर, बैंगन, मक्का व दालों आदि में 50 प्रतिशत तक फल लगना खराब हो जाता है ! | इससे होने वाले रोगों का इलाज अखिल भारतीय मैडिकल इंस्टीट्यूट दिल्ली में किया गया, पर जैसे ही मरीज ठीक होकर गांव लौटे तो 15 दिन बाद फिर वही हालत होकर मरीज वापस इलाज के लिए आ गए ! जाहिर है कि यह घास सब जगह है तो फिर मरीज को कहा भेजें ! कोई वैक्सीन टीका अभी तक इसका नहीं है ! पहले पाया गया था कि यह अपना प्रभ 40 वर्ष की आयु से ऊपर के आदमियों पर करता है ! पर अब तो छोटे बच्चों और औरत भी इसके शिकार हो रहे हैं ! अतः हमारी नैतिक जिम्मेवारी है कि फूल आने से पहले ही जहाँ कहीं इस पौधे को देखें नष्ट कर दें !
नियन्त्रण के उपाय
इसके नियन्त्रण हेतु कई तरीकों को हम आवश्यकता के अनुसार अपना सकते हैं !
1. यांत्रिक विधि :
खाली चरागाह, पार्क, बाग व सब्जियों व नालियों पर नलाई, गुडाई,
2. रसायनों का प्रयोग :
ट्रैक्टर हैरो चलाकर फूल आने से पहले इस नष्ट कर दें ! कस्सी आदि से भी इसे काट दें और एकत्र करके सूखने पर जला दें ! जो संवेदनशील बच्चे हैं वे हाथ से स्पर्श न करें और मुंह पर कपड़ा तो सभी बांधे और आंख पर चश्मा लगाएं तो और भी अच्छा है !
इस खरपतवार का बार-बार सिर उठाना रोकने के लिए कई जगहों, दफ्तरों आदि में निम्न किसी एक रसायन का प्रयोग करके नष्ट कर दें !
रसायन का नाम | मात्रा कि.ग्रा./हैक्टेयर यानी 2.5 एकड़ | कब छिडके | पानी मात्रा |
एट्राजीन | 1.250 | उगने से पहले | 625 लीटर / हैक्टेयर |
गलाइफ़ोसेट (राउंडअप या गलाईसेल ) | 0.500 से 1.000 | उगने के बाद व् बीज बनने से पहले | 300 से 625 लीटर /हैक्टेयर |
मेट्रीब्युजिन (संकोर 70 % घु.पा.) | 1.000 से 2.000 | – | 300 से 625 लीटर /हैक्टेयर |
इनमें से किसी एक का कृषि अधिकारी की देखरेख में प्रयोग करें ! एट्राजीन का असर 5-6 महीने रहता है ! बाकि सभी का असर ज्यादा से ज्यादा 60 दिन तक रहता है ! उपर्युक्त खरपतवारनाशियों का असर 8-10 दिन बाद गाजर घास पर दिखाई देता है ! इनका छिड़काव सही मात्रा में कट-नोजल द्वारा करें ! खरपतवारनाशी के साथ 750 ग्राम/हैक्टेयर की दर से टीपोल या ट्रीटोन या सेलवेट इत्यादि चिकना पदार्थ मिलाकर छिड़काव करने से नियन्त्रण अधिक कारगर होगा !
चेतावनी
रसायन जहर हैं और महंगे होने के साथ-साथ जल व भूमि प्रदूषण भी फैलते हैं और साथ में लाभदायक खरपतवारों को भी नष्ट करते हैं ! अतः जहाँ तक आवश्यक हो, वहाँ सोच समझकर प्रयोग करें !
3. जैविक (Biological Control) :
क. कीट समूह व फफूद द्वारा :
सर्वप्रथम कांग्रेस घास (congress grass) को खाने वाले कीड़े को 10, मैक्सिको से लाया गया ! यह Zygogramma biocolorata नामक कीट सिर्फ कांग्रेस घास (congress grass) के व पत्ते खाता है ! पर यह पूरी संख्या में छोड़ने के बावजूद पर्याप्त नियंत्रण नहीं कर पाया !
(ख) अपने देसी खरपतवारों से मुकाबला कराके नियन्त्रण :
अपने देश के कुछ ऐसे भी पौ ! हैं जो इस घास से जगह, धूप, पानी आदि के लिए मुकाबला करके इसे पनपने नहीं देते ! बंगलौर व धारवाड में डॉ. महादेवप्पा ने Cassia Sericea पौधे से इस खरपतवार को पछाड़ा ! यह पौधा पीले फूल वाला दलहनी झाड़ है और इसके शरीर से निकले जहर कांग्रेस घास (congress grass) को पनपने नहीं देते !
कुछ दिन पहले रिटायर हुए कालका सरकारी कालेज के प्रिंसिपल धवन साहब व लेखक ने जीन्द में ही 30 किस्म के ऐसे पौधे चिन्हित किए जो इस कांग्रेस घास (congress grass) उन्मूलन में सहायक होंगे ! जैसे जांडी का पेड़, बूई, देसी बथुआ, गन्धीली, देसी बांसा आदि !
5. लेखक का अपना अनुभव भी रहा है कि रामबथुआ (जिसका बीज सितम्बर में पकता है) इस खरपतवार से हमें निजात दिला सकता है ! यह कांग्रेस घास (congress grass) की तरह सूखा व रेही सहन कर लेता है ! अतः इसका बीज इकट्ठा करें और जहाँ आपको इस समस्या से निजात पानी हो वहाँ डाल दें ! अब तक रामबथुआ का कोई दुष्प्रभाव देखने में नहीं आया है ! यह आदमी व पशुओं के भोजन योग्य भी हैं !
ध्यान दें
अनुभव हमें सिखाता है कि जब हम कांग्रेस घास (congress grass) का नियन्त्रण करते हैं तो सभी खरपतवार न उखाड़े ! वरना जब हम मैदान साफ कर देते हैं तो फिर सिर्फ कांग्रेस घास (congress grass) ही पुनः पनपेंगी ! अतः बूई, बथुआ, बांसा, सतावर, जंगली चौलाई आदि के पौधे न उखाड़े ! उखाड़े तो सिर्फ कांग्रेस घास (congress grass) और पीली कंडाई (सत्यानाशी) ही उखाड़े ! युद्ध स्तर पर सभी लोग इसके नियन्त्रण का प्रयास करेंगे, तभी हम सफल हो सकते हैं !
डॉ0 यशपाल सिंह मलिक
वरिष्ठ संयोजक कृषि विज्ञान केन्द्र, पाण्डू पिंडारा (जीन्द)