धान की सीधी बिजाई तकनीक क्या है I कितनी सब्सिडी (Direct seeded rice subsidy) व् लाभ

धान की सीधी बिजाई Direct seeded rice (DSR)

धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) विधि द्वारा पानी व श्रम की बचत होती है। सीधी बिजाई भूमिगत जल को रिचार्ज करने में भी सहायक सिद्ध होती है। धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) वाली फसल रोपाई करके लगाई गई धान की फसल की तुलना में 7 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है जिस कारण धान की पराली संभालने व कनक की बिजाई करने के लिए अधिक समय मिल पाता है।

सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) वाले खेत में बीमारियों की समस्या भी कम देखने को मिली है। सीधी बिजाई वाली नई तकनीक जिसमें तर बतर एवं सूखे खेत में धान की सीधी बिजाई की जाती है।

तर-बतर तकनीक में पहला पानी बिजाई के लगभग 21 दिन बाद लगाया जाता है जबकि सूखे खेत में बिजाई के बाद तुरंत बीज जमाव हेतु सिंचाई की जाती है। जिसके कई फायदे हैं जैसे कि

पानी की ज्यादा बचत (15-20 %) ।

खरपतवारो की कम समस्या।

जड़े गहरी चले जाने के कारण लोह तत्व की समस्या बहुत कम आती है। पैदावार रोपाई करके लगाए गए धान के बराबर आती है अगर पैदावार में थोड़ी कमी आए तो भी मुनाफा अधिक है क्योंकि इस तरीके से लागत कम है।

तर बतर खेत में धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) वाली फसल सफलतापूर्वक लेने के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें:

जमीन

धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) रेतीली जमीनों में ना करें व धान की सीधी बिजाई उन्हीं खेतों में करें जिसमें किसान पहले से ही धान की फसल ले रहे हैं। रेतीली जमीनों में लोह तत्व की कमी अधिक आती है व खरपतवारों की समस्या भी रोपाई करके लगाए गए धान से अधिक आती है।

किस्मों का चयन Variety for direct seeded rice (DSR)

धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) के लिए कम समय में पकने वाली किस्में पूसा बासमती 1509, 1401, 1121, पी आर 126, एवं कोई संकर किस्म की धान का ही चयन करें क्योंकि यह किस्में अधिक समय लेने वाली किस्मों की तुलना में तेजी से बढ़ती है जिससे कई फायदे हो सकते हैं जैसे कि

पानी की अधिक बचत होती है। अगली फसल के लिए खेत जल्दी तैयार किया जा सकता है व फसल की बुवाई समय पर की। जा सकती है।

पराली कम होने के कारण उसे खेत में अच्छे से मिलाया जा सकता है जिससे अगली फसल के उगने में भी कोई कमी नहीं आती। खरपतवारों का फसल के ऊपर प्रभाव कम समय तक रहता है व पानी की भी बचत होती है I

इसे भी पढ़े – बाजरा की ज्यादा पैदावार वाली किस्मे

बिजाई करने का उचित समय Time for direct seeded rice (DSR)

जून माह का पहला पखवाड़ा 1 से 15 जून धान में बिजाई के लिए उपयुक्त है। कम समय में तैयार होने वाली किस्में जैसे कि पी आर 126 व् पी बी 1509 की बिजाई जून के दूसरे पखवाड़े 16 से 30 जून में भी की जा सकती है।

जो किसान धान के बाद आलू व मटर की फसल लेना चाहते हैं वह किसान पी आर 126/ पी बी 1509 की बिजाई जून के पहले हफ्ते में भी कर सकते हैं।

जून माह से पहले धान की अगेती बिजाई न करें क्योंकि इससे पैदावार में भी कमी आएगी व पानी की लागत भी अधिक होगी।

बीज की मात्रा  seed requirment in direct seeded rice (DSR)

धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ उचित है। बिजाई करने से पहले बीज को 8 से 12 घंटों के लिए पानी में भिगो दें व उसे छाया में सुखाकर 3 ग्राम स्प्रिंट 75 डब्ल्यू एस (कावेंडाजिम 25 व मैंकोजेब 50 %) से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

खेत की तैयारी land preparation for direct seeded rice (DSR)

सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) वाले खेत में पहले लेजर लेवलर लगा दें जिससे पानी की बचत के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण होगा व बीज अच्छे से खेत में उगेगा।

लेजर लेवलर लगाने के बाद खेत में पानी लगा दे। जब खेत तरबतर में आ जाए तो हल्का कल्टीवेटर लगाकर दो बार सुहागा लगाने के तुरंत बाद बिजाई कर दें।

बिजाई करने का तरीका  direct seeded rice (DSR) method

खेत तैयार करने के बाद तरबतर खेत में धान की सीधी बिजाई direct seeded rice (DSR) कर सकते हैं। खेत की तैयारी व धान की सीधी बिजाई दोपहर के समय ना करें।

बिजाई करने के लिए लक्की सीड ड्रील उपयुक्त है जिससे की बिजाई के साथ-साथ खरपतवारनाशी का छिड़काव भी किया जा सकता है।

प्रेस व्हील वाली सीड ड्रील से बिजाई करने से भी कई फायदे हैं जैसे कि इसमें करंड की समस्या बहुत कम आती है, खेत में नमी अधिक समय तक रहती हैं, खरपतवारों पर नियंत्रण भी अधिक समय तक होता है।

अगर यह मशीनें उपलब्ध न हो तो धान की बिजाई वाली आम ड्रिल से धान की सीधी बिजाई करके तुरंत खरपतवारनाशक का स्प्रे कर दें। बिजाई करते समय कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें और बिजाई 3 से 4 सैंटीमीटर गहराई पर करें।

खरपतवारों की रोकथाम weed control in direct seeded rice (DSR)

बिजाई के तुरंत बाद स्टॉम्प 30 ई सी (1.25 लीटर ) को 200 लीटर पानी के हिसाब से प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अगर बिजाई के लिए लक्की सीड ड्रील का उपयोग कर रहे हो तो खरपतवारनाशी का छिडकाव बिजाई के साथ संभव है। खरपतवारनाशी का छिड़काव सुबह व शाम के समय करें।

स्टॉम्प खरपतवारनाशी के प्रयोग से घास जाति व कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है इसके बाद अगर आवश्यकता पड़े तो गुडाई द्वारा व नीचे दी गई सारणी में से उपयुक्त खरपतवारनाशी के प्रयोग द्वारा खरपतवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

जबकि सूखी बिजाई में बिजाई एवं सिंचाई के लगभग 48 से 72 घंटे के दौरान खरपतवारनाशी दवा का प्रयोग करना चाहिए।

उपर दिए गए किसी भी खरपतवारनाशी का प्रयोग बिजाई के 15 से 25 दिन बाद जब खरपतवार दो से चार पत्तियों की अवस्था में हो तो 150 लीटर पानी के हिसाब से प्रति एकड़ में छिड़काव कर सकते हैं।

सारणी: धान की सीधी बिजाई में खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश खरपतवारनाशी

क्रमांकखरपतवारनाशकमात्रा प्रति एकड़खरपतवार की रोकथाम
1नोमनी गोल्ड 10 एस सी ( बिसपायरीबेक सोडियम)100 mlसावंक, डीला
2राइस स्टार 67 ई सी (फेनोक्साप्रोप पी इथाइल )400 mlचीनी घास, चिड़िया घास, तकड़ी घास,मधाना
3अलमिक्स 20 डब्लू पी ( क्लोरीम्युरान इथाइल मेटसल्फ्युरोन मिथाइल )8 gmचौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, गांठ वाला डीला
4विवाया 6 ओ डी ( साइफलॉक-ब्युटाइल 5.1 % पेनोक्ससोलम 1.02 % ) (PAU लुधियाना द्वारा सिफारिस )900 mlसांवक, डीला,चीनी घास,चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार
5कॉन्सिल एक्टिव डब्लू जी (ट्राईफामोन 20 % एथोक्सीसुल्फ्युरान 10 %) (PAU लुधियाना द्वारा सिफारिस )90 gmसांवक, चीनी घास,डीला, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार , मधाना

नोटः फसल के अंत में अगर खरपतवार उग जाते हैं तो इससे पैदावार पर अधिक असर नहीं पहर परंतु हमें इन खरपतवारों को बीज बनने से पहले खेत से बाहर निकाल देना चाहिए ताकि अगलं फसलों में खरपतवारों की समस्या को कम किया जा सके।

सिंचाई irrigation in direct seeded rice (DSR)

तर बतर खेत में बिजाई के बाद पहला पानी बिजाई के तकरीबन 21 दिन बाद लगाएं। देर से पानी लगाने से पौधों की जड़ें गहरी चली जाएगी व जमीन का उपरी भाग शरुआती दौर में कम बढ़ेगा।

पहली सिंचाई देरी से करने से खरपतवारों की समस्या भी कम आती है क्योंकि जमीन की उपरी सतह सुख जाती है जिससे खरपतवार कम उगते हैं पानी देरी से लगाने से जड़ों की वृद्धि अधिक होती हैं जिससे वे आसानी से पोषक तत्व ले सकती हैं।

सीधी बिजाई वाली धान की फसल अगर बरसात के कारण उगने से पहले करंड हो जाए तो उसकी करड को खुरपे द्वारा खत्म कर दें व इस अवस्था में भी पहला पानी 21 दिन बाद ही लगाएं।

पहले पानी के बाद जमीन की किस्म व बारिश को ध्यान में रखते हुए अगले पानी 5 से 7 दिनों के अन्तराल पर दे सकते हैं। कटाई से 10 दिन पहले अंतिम सिंचाई दे।

सीधी बिजाई वाली वाले खेत में पानी खड़ा करने की जरुरत नहीं है, केवल खेत में नमी बनाये रखें।।

खाद का इस्तेमाल

सीधी बिजाई वाली परमल धान की किस्मों में 130 किलोग्राम यूरिया को तीन बराबर भागों में बिजाई के 4, 6 व 9 हफ्ते बाद डालें।

बासमती धान की किस्मों में 5 किलोग्राम यूरिया को बिजाई के 3, 6 व 9 हफ्ते बाद खेत में डालें। लोह तत्व की कमी आने पर फेरस सल्फेट एक प्रतिशत (एक किलोग्राम फेरस सल्फेट को 100 लीटर पानी में घोलकर) का खेत में दो बार एक सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करें। पोटाश व फास्फोरस तत्वों का प्रयोग भी मिट्टी की जांच के आधार पर करें।

लक्की सीड ड्रिल की संभाल

लक्की सीड ड्रिल/ लक्की सीडर गेहूं/धान की बिजाई से साथ साथ खरपतवारनाशीयो का छिड़काव भी सवचालित तरीके से कर सकती है।

लक्की सीड ड्रिल के इस्तेमाल के साथ-साथ इसकी संभाल करनी भी जरूरी है। इस मशीन में तिरछी प्लेटे से बीज केरा जाता है. ध्यान रखे की ये प्लेटे अच्छी तरह से फिट हो अन्यथा धान का बीज टूट सकता है, जिससे फसल का जमाव भी कम होगा। इसलिए इन प्लेटो को अच्छी तरह से कस लेना चाहिए।

मशीन के सभी बुश व पिस्टलों को रोजाना तेल लगाए व बेरिगो को 2-3 दिनों के अंतराल पर गरीस करे।

मशीन में लगे सवचालित सिस्टम की वायरिंग के साथ छेड़छाड़ न करे ।

इस मशीन में लगे कंप्रेसर/मोटर का कवर न उतारे ताकि इस उपकरण को जलने से बचाया जा सके।

लक्की सीडर पर लगे 250 लीटर तक की भण्डारण क्षमता वाले पी. बी. सी. ड्रम के ढककन वाला फिल्टर कभी भी बाहर न निकाले व हमेशा छिड़काव करने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करे।

पानी वाले टैंक मे – काट्रिज नामक फिल्टर व नोजलो के अंदर लग्गे फिलटरो को 1 -2 दिनों के अंतराल पर साफ कर ले। ये फिल्टर मशीन के लिए गुर्दो का काम करते है।

लक्की सीडर के छिड़काव का सारा सिस्टम ट्रेक्टर की बैटरी से पावर लेता है। इसलिए पावर के नुकसान से बचने के लिए सवचालित छिड़काव सिस्टम की तारो को सीधे टेक्टर की बैटरी के टर्मिनल से जोड़े।

नई मशीनो को स्प्रेयर व बीज की मात्रा जानने के लिए कैलिब्रेट कर ले।

लक्की सीड ड्रिल के ट्रेक्टर के टायर के पीछे चलने वाले फॉलो के नीचे आधा इंच की बीट वेल्डिंग करवाकर बाकि फॉलो से नीचा कर दे ताकि सारी लाइनो में बीज एक ही गहराई पर गिरे।

धान की सीधी बिजाई पर अनुदान direct seeded rice subsidy

कृषि विभाग ढांड ( कैथल ) – नरेश एटीएम हथीरा वाले ने बताया की कृषि विभाग द्वारा धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा समय समय पर सहायता राशी भी दी जाती है ताकि किसानो का इस तकनीक के प्रति ज्यादा से ज्यादा रुझान बढे और पानी को भी बचाया जा सके I

4000 रूपए प्रति एकड़ दिए जायेंगे

Assistant technology manager हथीरा वाले नरेश ने बताया की पंजाब सरकार द्वारा वहा के किसानो के लिए 1500 प्रति एकड़ सहायता देने की घोषणा की है I अन्य राज्यों जैसे हरियाणा में धान की सीधी बिजाई पर पिछले वर्ष भी अनुदान दिया गया था इस वर्ष भी सरकार द्वारा 4000 रुपये प्रति एकड़ दिए जा रहे है । इस बार बिजाई की कोई सीमा भी तय नही की गई है I सरकार द्वारा अनुदान दिया जाये या नही लेकिन ये विधि जरुर किसान द्वारा अपनानी चाहिए I

शेयर करे

1 thought on “धान की सीधी बिजाई तकनीक क्या है I कितनी सब्सिडी (Direct seeded rice subsidy) व् लाभ”

Leave a comment

error: Content is protected !!