
विदेशी सब्जिया विदेशी मुद्रा कमाने का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विदेशी सब्जियों की मांग यूरोप एवं सुदूर पूर्वी देशों में है। इनमें मुख्यतौर पर एस्पेरेगस, ब्रसल्स, सप्राउट, चाइनीज कैबेज एवं सैलरी इत्यादि हैं। किसान इन उन्नतशील कृषि क्रियाओं को अपनाकर इस सब्जियों की खेती से अच्छा धन कमा सकते हैं।
स्प्राउटिंग ब्रोकली सब्जी
एक वार्षिक शीतकालीन गोभीवर्गीय सब्जी है और इसकी खेती फूल गोभी की तरह की जाती है। यह सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है परंतु दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, ब्रोकली के लिए अच्छी मानी गई है।
बीज बोने के बाद उसकी पौध 20-25 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके खाने वाले हिस्से की कटाई तब की जाती है जब इसका फूल सघन अवस्था में हो, जब इसका बीज वाला कर्ड काट लेते हैं तब बराबर से नए कर्ड उत्पन्न होते हैं और उन्हें भी उसी तरह से काट कर मंडी में भेजा जा सकता है। इस फसल में तीन कटाईयां ली जा सकती हैं।
किस्म- इटेलियन ग्रीन
बिजाई का समय- सितंबर – अक्तूबर
बीज की मात्रा- 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर
दूरी- 60 x 60 सै.मी. या 60 x 45 सै.मी.
खाद- 60 टन गोबर की खाद, 45 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 50 कि.ग्राम फास्फोरस, 30 कि.ग्राम पोटाश सिंचाई- 8-10 दिनों के अंतराल पर
ब्रसल्स स्प्राउट सब्जी

यह भी एक शीतकालीन सब्जी है और यह उन इलाकों में अच्छी तरह पैदा हो सकती है जिसमें जलवायु ठंडी एवं नम हो और इसमें कुछ हद तक पाला भी सहन करने की शक्ति हो।
इसको छोटी बंदगोभी के नाम से भी जाना जाता है। इसके खाने वाले हिस्से को स्प्राउट कहते हैं जो कि 3-5 सै.मी. ब्यास के होते हैं और गृहणियां इसको बंदगोभी की तरह ही बना सकती है।
इनमें विटामिन ‘ए” एवं “एस्कोर्बिक एसिड” भरपूर मात्रा में मिलता है। इसकी कटाई मशीनों द्वारा या हाथों द्वारा भी की जा सकती है। इसकी कटाई नीचे से ऊपर की ओर होती है। इसकी लगभग 50-100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक औसत उपज ली जा सकती है।
किस्म – हरक्यूलिस, हिल्स आइडियल ए-1 क्रोस, पेन बैंट गार्डन
बिजाई का समय – अगस्त – सितंबर
बीज की मात्रा- 400-500 ग्राम प्रति हैक्टेयर
दूरी – 60 x 45 सें.मी. खाद- 50 टन गोबर की
खाद, 125 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 50 कि.ग्राम फास्फोरस, 50 कि.ग्राम पोटाश
सिंचाई- 8-10 दिन के अंतराल पर
लेट्युस सब्जी
यह एक महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय सलाद के गुणों से भरपूर पत्तेदार सब्जी है। इसमें विटामिन “ए”, कैल्शियम और आयरन जैसे खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। यह भी एक शीतकालीन सब्जी है और बिजाई से लेकर फूल आने तक जलवायु से प्रभावित होती रहती है। इसकी खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो और उपजाऊ हो, इसके लिए उत्तम मानी गई है। मिट्टी की पी.एच 5.5-6.5 तक होनी चाहिए।

इसकी बिजाई खेत में सीधी भी की जा सकती है। इसकी जड़े ज्यादा गहरी नहीं जाती और इसी कारण इसको खाद की ज्यादा मात्रा चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए 3-4 निराई-गुड़ाई काफी रहती है। इस फसल का पकाव तापमान पर निर्भर है तथा यह 50-120 दिन में तौयार हो जाती है। पत्ते वाली किस्मों की उपज 60-90 क्विंटल प्रति हैक्टेयर एवं हैड बनाने वाली किस्मों की उपज 100-140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है। मंडीकरण करने से पहले इसकी अच्छी तरह से काट-छांट एवं सफाई करें।
किस्म – सिम्पसन, आइसबर्ग ग्रेट लेक्स, इंपीरियल44
बिजाई का समय- सितंबर -नवंबर
बीज की मात्रा – 400-500 ग्राम नर्सरी एवं 2-2. 500 कि.ग्राम सीधी बिजाई
दूरी- 45 x 45 सै.मी. या 45 x 30 सै.मी.
खाद- 35 टन गोबर की खाद, 75 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 35 कि.ग्राम फास्फोरस, 35 कि.ग्राम पोटाश सिंचाई – 8-10 दिन के अंतराल पर
सैलरी
यह भी एक सलाद की एक महत्त्वपूर्ण फसल है और अपने लंबे डंठलों के लिए जो कि खाने का हिस्सा होते हैं के लिए उगाई जाती है। इसके पत्तों व डंठलों का उपयोग चटनी एवं सूप में भी किया जा सकता है। मिट्टी का पी.एच 5.5-6.5 होना चाहिए। उन इलाकों में यह अच्छी तरह होती है जिसमें सूर्य की रोशनी भरपूर मात्रा में तथा नमी कम हो।
सबसे पहले इसकी बिजाई पौधशाला में की जाती है व बाद में पौधरोपण करते है। पानी की कमी व अधिकता दोनों ही इसके लिए हानिकारक है। सफेद रंग के डंठल प्राप्त करने के लिए पौधे के चारों तरफ मिट्टी चढ़ा देते हैं। पौधों को नरम अवस्था में काटना चाहिए। इसको तेज धूप, आंधी से बचाकर रखना चाहिए। मंडी भेजने से पहले अच्छी तरह कांट-छांट कर लेनी चाहिए। औसत उपज 300-500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक ली जा सकती है।
किस्म
जियाऐंट पासकल, गोल्डन सेल्फ बलाच
बिजाई का समय – अक्तूबर- नवंबर का पहला पखवाड़ा
बीज की मात्रा – 100-125 ग्राम प्रति हैक्टेयर
दूरी- 60 x 45 सै.मी. या 45 x 45 से.मी.
खाद
20 टन गोबर की खाद, 175 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 75 कि.ग्राम फास्फोरस सिंचाई – 8-10 दिन के अंतराल पर
चाइनीज कैबेज
यह भी एक शीतकालीन वार्षिक सब्जी है जो कुछ हद तक बंदगोभी से मिलती-जुलती है। यह दो प्रकार की होती है।
पत्तों वाली जिसमें पत्ते लंबे पतले व गहरे हरे रंग के होते हैं।
दूसरी
जिसमें हैड बनते हैं और यह हैड बड़े सघन, लंबे व अंडाकार होते हैं।
उपजाऊ जमीन जिसमें पानी की निकासी व संरक्षण अच्छा हो, इसके लिए उत्तम रहती है। मिट्टी की सतह पर पुराल बिछाने से उपज में बढ़ोतरी होती है। इस फसल की बिजाई खेत में सीधी भी की जा सकती है। आमतौर पर इसकी बिजाई पहले पौधशाला में करते हैं व फिर पौधरोपण करते हैं। अच्छे गुणों वाली उपज लेने के लिए समय पर सिंचाई करना अति आवश्यक है। इसकी कटाई तब करें जब हैड पूरी बढ़वार ले चुकें हो। औसत उपज 150-200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहती है।
किस्मः लीफी पाक चोई, शंतागं, हैडिंग टाईप, चैफो, वोंगवोक
बीज की मात्रा – 600-700 ग्राम नर्सरी, 3-3.5 कि.ग्राम
सीधी बिजाई बिजाई का समय – अगस्त – सितंबर
दूरी- 45 x 45 सै.मी. खाद- 40 टन गोबर की खाद, 125 कि.ग्राम नाईट्रोजन, 50 कि.ग्राम फास्फोरस व 50 कि.ग्राम पोटाश
सिंचाई – 7-10 दिन के अंतराल पर
डॉ. राजेश लाठर, वंदना, गुरनाम सिंह व
रविंद्र सिंह चौहान कृषि विज्ञान केंद्र, पंचकूला हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार0 Body Text