Chiku kaise ugaye/lagaye – चीकू एक स्वादिष्ट फल है जिसे घाटियों और निचले पवर्तीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है।
जलवायु
chiku उष्ण कटिबन्धीय फल है तथा 800 मीटर तक की ऊंचाई तक इसे व्यापारिक स्तर पर उगाया जा सकता है। गर्म जलवायु और 125 से 250 सें.मी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र इसके लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं। chiku पाले के प्रति अधिक संवेदनशील है इसलिए आरम्भ के वर्षों में सर्दियों में पौधों को ठण्ड और पाले से बचाना जरूरी होता है।
मिट्टी
Chiku कई किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है परन्तु पौधे गहरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में ज्यादा अच्छे चलते
Chiku variety – किस्में
काली पत्ती : chiku की ये किस्म अधिक पैदावार तथा उत्तम गुणों वाली होती है, इसके फल अण्डाकार तथा कम बीजों वाले होते है ।
छत्तरी: चीकू की ये किस्म भी काली पत्ती की तरह ही, परन्तु कुछ कम गुणवत्ता वाला फल होता है ! यह किस्म अधिक पैदावार वाली किस्म है।
ढोला दीवानी: chiku की इस किस्म के फल उत्तम गुणों वाले तथा सफेद अण्डाकार होते है।
क्रिकेट बॉल: यह किस्म कलकत्ता लार्ज के नाम से प्रसिद्ध है ! इसके chiku बड़े तथा गोल होते है ! इसका गूदा दानेदार होता है ! इस वैरायटी के फल ज्यादा मीठे नहीं होते है।
बारामासी: यह उत्तरी भारत की लोकप्रिय किस्म है ! इसके फल गोल तथा मध्यम आकार के होते है ! यह chiku की बारह महीने फल देने वाली किस्म है ।
पॉट स्पोटा: पौधे पर गमले में ही फल लगना प्रारम्भ हो जाते है ! इसका chiku छोटा और अण्डाकार होता है जिसका शीर्ष भाग नुकीला होता है ! इसके फल बहुत मीठे और सुगन्धित होते है ।
पौधा रोपण का समय – Chiku kaise ugaye/lagaye
जुलाई महीने में वर्षा ऋतु के आरम्भ में पौधरोपण किया जा सकता है।
Chiku ke liye दूरी
पहले से तैयार किये गये 1x1x] मीटर आकार के गड्ढों में 8-10 मीटर की दूरी पर पौधे लगायें। कम उपजाऊ मिट्टी और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में यह अन्तर कम रखा जाता है।
पौधे तैयार करना (प्रवर्धन)
बीज और एयर लेयरिंग (गूटी) द्वारा मानसून के आरम्भ में ही जुलाई महीने में पौधे तैयार किये जाते हैं। हर दो हफ्ते बाद गूटी के 10-15 सैं.मी. नीचे ‘v’ आकृति का चीरा देते रहें और 3 महीने बाद गूटी से तैयार पौधे को निकाल लें।
खाद और उर्वरक
पौधे की आयु (वर्ष) | नाईट्रोजन (ग्राम) | फॉस्फोरस (ग्राम) | पोटाश (ग्राम) |
1-3 | 50 | 20 | 75 |
4-6 | 100 | 40 | 150 |
7-10 | 200 | 80 | 300 |
11 वर्ष और उससे अधिक | 400 | 160 | 450 |
प्रतिवर्ष प्रति पौधा की दर से 40 कि.ग्रा. गोबर की खाद की जरूरत होती है। गोबर की खाद और फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा दिसम्बर में डालें। नाईट्रोजन की आधी मात्रा फरवरी और बाकी की आधी मात्रा मानसून के आरम्भ में डालें।
सिंचाई
काफी सीमा तक यह फल सूखे को सहने की क्षमता रखता है फिर भी सिंचाई करने पर अच्छी फसल होती है। यदि सुविधा उपलब्ध हो तो गर्मियों में एक या दो सप्ताह के अन्तर पर सिंचाई करें। बारानी परिस्थितियों में 15 सें.मी. मोटी मल्च पौधे के तौलिए में डालें।
फल तुड़ाई
चीकू तुड़ाई के बाद पकना शुरू होता है। फलों को जुलाई से सितम्बर तक तोड़ा जाता है। परन्तु यह ध्यान रहे कि कच्चे फल न तोड़े जायें। जब फल पर फीका संतरी या आलू का रंग उभरे और फल में दूधिया रंग की चिपचिपाहट कम हो और फल आसानी से टहनी से अलग हो जाये, उसी समय फल तोड़ना चाहिए।
chiku की पैदावार
पैदावार पौधे की आयु, किस्म, जलवायु, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति, पौध संरक्षण, आदि पर निर्भर करती है। आमतौर पर 5 से 10 साल के पौधों पर 250 – 1000 तक फल लगते हैं।
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