चंदन (Sandalwood) का परिचय
- सामान्य नाम – चंदन
- अंग्रेजी नाम – SANDALWOOD PLANT
- उच्च वर्गीकरण – Santalum
- वैज्ञानिक नाम – Santalum Album Lill
- समूह – वनज पौधा
- श्रेणी – सुगंधीय
- वनस्पति का प्रकार – वृक्ष
- कुल (family) – SANTALACEAE
- प्रजाति – S Album
सामान्य स्वरूप
यह एक सामान्य वृक्ष है ,इसकी पत्तिया लम्बी होती है व शाखाए लटकती हुई होती है । इस पौधे की जड़े एक होस्टोरिया के सहारे दुसरे पौधो की जड़ो से जुड़ कर भोजन, पानी व खनिज लेती है |
चन्दन के पर पोषको में नीम ,अमलतास,केजुरिना आदि पेड़ो की जड़े मुख्य है | चंदन के साथ में अरहर की खेती हो सकती है ,चंदन का दूसरी फसलो पर कोई नकारात्मक असर नही पड़ता है।

- चंदन (Sandalwood) का परिचय
- सामान्य स्वरूप
- चंदन उत्पत्ति Sandalwood origin
- प्रस्तावना
- चंदन का धार्मिक महत्व Religious importance of sandalwood
- चंदन का औषधिय महत्व Medicinal Importance of Sandalwood
- मस्तिष्क के लिए लाभप्रद चंदन
- खुजली में लाभप्रद चंदन Sandalwood Beneficial in itching
- बालो के लिए चंदन
- आर्थिक महत्व चंदन Economic importance of Sandalwood
- जलवायु चंदन Climate requirement for Sandalwood
- चंदन की किस्म Variety of Sandalwood
- चंदन के लिये भूमि का चयन Soil for Sandalwood
- चंदन के लिए दुरी का निर्धारण distance in sandalwood
- चंदन खेती के लिए भूमि की तैयारी Land Preparation for sandalwood
- चंदन में होस्ट प्लांट का महत्व Importance of Host Plant in Sandalwood
- चंदन मे सिचाई प्रबंधन Irrigation in Sandalwood
- चंदन पौधे लगाने का समय Time of sandalwood Planting
- पौधे लगाते समय सावधानिया Precaution at the time Sandalwood Planting
- चंदन में इंटरक्रॉप Intercropping in sandalwood
- चंदन पौधे लगाने के बाद दवाई की ड्रिंन्चिंग Fungicides Drenching in Sandalwood
- चंदन की कटिंग Pruning in Sandalwood
- चंदन की बीज बहार seeds in sandalwood
- चंदन मे खाद प्रबंधन fertilizer management in Sandalwood
- रोग व कीट नियंत्रण Insect Pest control
- चंदन हार्डवड का विकास Development of hardwood in Sandalwood
- चंदन कटाई harvesting of sandalwood
- चंदन उत्पादन (आमदनी ) एक नजर में Income from Sandalwood & Production
- चंदन बाजार sandalwood market
- चंदन उपसहार Sandalwood epilogue
चंदन उत्पत्ति Sandalwood origin
चंदन मूल रूप से भारत मे पाया जाने वाला पौधा है ,इसका उत्त्पत्ति स्थान भारत ही है। भारत के शुष्क क्षेत्र में विन्ध्य पर्वत माला से लेकर दक्षिणी क्षेत्र कर्णाटक व तमिलनाडु में पाया जाता है।
गुजरात ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र,राजस्थान आदि राज्यों की जमीने चंदन (Sandalwood) के लिए उपयुक्त मानी जाती है। भारत के अलावा यह ऑस्ट्रेलिया , मलेशिया ,इंडोनेशिया आदि देशो में पाया जाता है।
प्रस्तावना
भारतीय चंदन का संसार में सर्वोच्च स्थान है ,चंदन को अंग्रेजी में sandalwood ( santalum album ) कहते है।
यह पेड़ मुखतः कर्नाटक के जंगलो पाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्यप्रदेश की जमीन चंदन (Sandalwood) की खेती के लिए बहुत उपयुक्त साबित होती है !
सफ़ेद चंदन की खेती किसानो के लिए कामधेनु साबित हो रही है। इसकी खाश तरह की खुशबू और इसके ओषधिय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है।
रामायण , महाभारत, वेद,पुराण,आदि धर्मो ग्रंथो में चंदन का उल्लेख है, चरक मुनि आदि संतो ने चंदन को
औषधी के रूप में उल्लेख किया है। भारत का चंदन दुनिया भर में उत्तम कहा जाता है। भारत में उत्पादित होने वाले चंदन की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बड़ी माँग है।
सामान्यतः चंदन की हार्डवुड का मूल्य 6000 से 12000 रुपए प्रति किलो होता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसका मूल्य 25000 रुपए तक है। हमारे देश में चंदन की चोरी करने वाले चोरो ने चंदन के जंगलो को काट के समाप्त कर दिया है, इस कारण भारत सरकार और राज्य सरकारों में चंदन पर से नियंत्रण हटा दिया है।
चंदन लगाने के पश्चात किसान पटवारी के समक्ष अपनी पावती पर रिकॉर्ड करवा ले , चंदन कटाई के समय सक्षम अधिकारी से कटाई की अनुमति लेकर किसान अपने चंदन को बेच सकता है।
चंदन का धार्मिक महत्व Religious importance of sandalwood
धार्मिक तौर पर देखा जाये तो जब हम चंदन को अर्पण करते है तो उसका भाव यह है की हमारा जीवन ईश्वर की कृपा से सुगंध से भर जाये तथा हमारा व्यव्हार शीतल रहे, चंदन (Sandalwood) का तिलक ललाट पर या छोटी सी बिंदी के रूप में दोनों भोहो के मध्य लगाया जाता है, जो शितलता देता है।
हिन्दू धर्म में चंदन का तिलक शुभ माना जाता है और माना जाता है की चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापो का नाश होता है तथा हम कई तरह के संकटो से बच जाते है ।
पुरानो में कहा जाता है की तुलशी और चंदन की माला से विष्णु भगवन मंत्र का जाप करना चाहिये । गणेश की उत्पति पार्वती द्वारा चंदन के मिश्रण से हुई है।
चंदन के वृक्ष में साप लिपटे होने के बावजूद इसमे जहर नहीं होता है जैसा की रहीम जी ने अपने दोहे में कहा है ।
जो रहीम उत्तम प्रकति का करी सकत कुसंग चंदन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग।
कविबर रहीम कहते है की जो उत्तम स्वाभाव और द्रढ़ चरित्र वाले व्यक्ति होते है, बुरी संगती भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। जिस प्रकार चंदन के वृक्ष से लिपटे विशेले सर्प भी अपना प्रभाव उस पर नहीं छोड़ पाते।
इसे भी पढ़े सागवान कीमत और उत्पादन Teak Price And Production
चंदन का औषधिय महत्व Medicinal Importance of Sandalwood
चंदन की लकड़ी ,बीज, जड़े सभी का औषधीय महत्व है।आयुर्वेद के चिकित्षा ग्रंथो में इसे लघु रुक्ष तथा शरीर के अमाशय आत एव यकृत के लिए वल्य बताया गया है !
यूनानी चिकितसा में चंदन दस्त, अतिसार, चिडचिडापन एवं मानशिक रोगों में अत्यंत प्रभाव कारी ओषधि है। चंदन की लकड़ी एक सुंगधित और प्राकृतिक लकड़ी होती है जिसका उपयोग उपचार हेतु आयुर्वेद में सदियों से हो रहा है ।
प्राचीन काल से ही चंदन का उपयोग सुन्दरता बढाने के लिए होता आ रहा है। चंदन (Sandalwood powder) का पाउडर न केवल चेहरे को मुलायम व चमकदार बनाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से त्वचा सम्बन्धी समस्याओ का समाधान भी होता है |
मस्तिष्क के लिए लाभप्रद चंदन
चंदन के टीके को माथे के बिच में लगाने से मस्तक को शांति, ठंडक और ताजगी मिलती है, जिससे मस्तिष्क सम्बन्धी समस्या नहीं होती है और एकाग्रता भी बढ़ती है।
चन्दन के औषधीय गुण सिरदर्द से भी छुटकारा दिलाते है , इसका तेल मस्तिष्क के सेल्स को उत्तेजित करता है, जिसके करण दिमाग और याददास्त तेज हो जाती है।
(Sandalwood oil) चन्दन का तेल का दवाओ के अलावा धुप बत्ती ,अगरबत्ती | ,साबुन ,परफ्यूम आदि के निर्माण में प्रयोग हो रहा है।
खुजली में लाभप्रद चंदन Sandalwood Beneficial in itching
चंदन में कीटाणुनाशक गुण होते है ,शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली खुजली व उससे पड़ने वाले लाल निशान को हटाने में कारगर है।
चन्दन का हल्दी और नींबू के रस के साथ पेस्ट बना कर लगाने से इस तकलीफ से छुटकारा मिलता है।
चंदन को चाहे पाउडर के रूप में या फिर किसी भी रूप में चंदन (Sandalwood) के फायदे जिंदगी को इसकी खुशबू की तरह भर देता है।
बालो के लिए चंदन
अगर आपके बाल रूखे और कमजोर हो रहे हो तो चंदन के पावडर का लेप बना कर इसे सप्ताह में दो बार लगाया करे और आधे घंटे बाद धो लिया करे ऐसा करने से आपके बाल ना केवल मजबूत होंगे बल्कि घने और सुन्दर भी होंगे।
चंदन (Sandalwood) के तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की एठन दूर हो जाती है और हाइपरटेंशन , हाई ब्लड प्रेशर में भी चंदन का प्रयोग लाभ दायक साबित हो रहा है। इसकी कुछ बूंद दूध में डाल कर रोज पिने से ब्लड प्रेशर संतुलित हो जाता है।

आर्थिक महत्व चंदन Economic importance of Sandalwood
अंतराष्ट्रिय बाजार में बढ़ती मांग और सोने जेसे बहुमूल्य समझे जाने वाले चंदन की उंची कीमत होने के कारण वर्तमान में चंदन की खेती करना आर्थिक रूप से लाभप्रद है।
अन्य देशो की तुलना में भारत में पाए जाने वाले चंदन में खुशबू और तेल का अनुपात 1 से 6% तक अधिक होता है। भारत में चंदन (Sandalwood) की लकड़ी (हार्ड वुड) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रति किलो है।
एक चंदन (Sandalwood) के पेड़ से 12 से 20 किलो लकड़ी (हार्ड वुड) प्राप्त होती है साथ ही हार्डवुड के उपर जो सेफवुड होती है वह हमें एक पेड़ से 20 से 40 किलो मिलती है, जिसका बाजार मूल्य 600 से 800 रुपए किलो होता है और साथ ही बार्क वुड जो पेड़ की लकड़ी की उपरी परत होती है वह हमें 30 से 60 किलो मिलती है जिसका मूल्य 50 रुपए प्रति किलो होता है।
इस प्रकार एक एकड़ में चंदन (Sandalwood) के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है। पौधे की परिपक्वता आयु 12 से 15 वर्ष होती है। इस प्रकार हम आकलन कर सकते है की हमारे किसान भाई प्रति पौधा या प्रत्रि एकड़ चंदन की खेती से कितना मुनाफा कमा सकते है।
जलवायु चंदन Climate requirement for Sandalwood
चंदन की खेती के लिए मध्यम वर्षा और भरपूर मात्रा में धुप मिलना चाहिये | मध्यप्रदेश, राजस्थान गुजरात ,महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ का मौसम इसकी खेती के लिए अत्यंत ही उचित है ।
यह 5 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के प्रति भी सहनशील पेड़ है। 7 से 8.50 Ph मान तक की भूमियो में इसे उगाया जा सकता है। खनिज एवं नमी युक्त भूमियो में इसका विकास कम होता है , किसी भी प्रकार के जल जमाव को यह वृक्ष सहन नहीं करता है , इसे दलदली भूमि पर नहीं उगाया जा सकता।
चंदन की किस्म Variety of Sandalwood
चन्दन में सिर्फ दो प्रकार की किस्मे होती है लाल चंदन (Red Sandalwood) एव सफ़ेद चंदन (White Sandalwood) । इसे अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग नामो से जाना जाता है। यहाँ पर हम अभी केवल सफ़ेद चंदन (White Sandalwood) कि ही बात कर रहे है।
चंदन के लिये भूमि का चयन Soil for Sandalwood
चंदन (Sandalwood) मुख्य रूप से काली ,लाल दोमट मिट्टी , रूपांतरित चट्टानों में उगता है। 7 से 8.50 Ph मान की मिट्टी में यह उगाया जा सकता है। जिस भूमि में चंदन (Sandalwood) लगाया जाए वहा जल निकास का उचित प्रबंधन होना चाहिये ।
चंदन का पौधा जल जमाव व जल भराव को सहन नहीं करता इसे दलदली भूमि पर नहीं उगाया जा सकता।
चंदन के लिए दुरी का निर्धारण distance in sandalwood
पौधा लगाने के लिए लगभग दुरी 12*15 रखना उचित माना जाता है । इसमें पौधे से पौधे की दुरी 12 फीट और क्यारी से क्यारी की दुरी 15 फीट रहेगी ।
पौधा लगाते समय होस्ट प्लांट दो चंदन के पौधो के मध्य लगाना चाहिये । हर पौधे के साथ होस्ट ( जजमान ) पौधा अनिवार्य लगाये |
चंदन खेती के लिए भूमि की तैयारी Land Preparation for sandalwood
चंदन (Sandalwood) की खेती के लिए पहले खेत की अच्छी से गहरी जुताई करे उसे दो या तीन बार पलटी हल से मिट्टी को अच्छे से पलटवार करे फिर उसमे रोटावेटर चलाकर जमीन को समतल बना ले, फिर 12 x 15 फीट की दूरी पर पौधा लगाने के लिए जगह को चिन्हित करे, इसमें पौधे से पौधे की दुरी 12 फीट और क्यारी से क्यारी की दुरी 15 फीट रहेगी । तत्पश्चात उसमे 2*2 फिट का गडडा बनाकर उसे 15 से 20 रोज सुकने दे जिससे उस गड्डे में कुछ हानिकारक किट जो पोधे को नुकसान पंहुचाते है वह समाप्त हो जायेगे जिससे पोधे को कोई नुकसान नहीं होगा |
गड्डो में कम्पोस्ट खाद व रेती को मिक्स कर के डालना चाहिये , जहा पर पहले से तीली भूमि है वहा रेत डालने की आवश्यकता नही है।
चंदन में होस्ट प्लांट का महत्व Importance of Host Plant in Sandalwood
चंदन एक परजीवी / परपोषित पौधा है यह स्वयं अपना भोजन नही बनाता बल्कि किसी अन्य पौधे की जड़ो से अपनी जड़ो द्वारा रस व पोषण लेता है, जिस पौधे से वह पोषण लेता है उसे होस्ट कहते है। इसी करण चंदन (Sandalwood) को होस्टेरिया प्लांट भी कहते है।
होस्ट प्लांट अनिवार्य है अन्यथा चंदन के पौधे का विकास नही होगा । होस्ट प्लांट के रूप में नीम ,केजुरिना ,अमलतास ,सिताफल ,अमरुद ,आदि पौधे महत्वपूर्ण है।
चंदन मे सिचाई प्रबंधन Irrigation in Sandalwood
चंदन (Sandalwood) के पोधे को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है परन्तु शुरूवाती दिनों में वृक्षों की वृद्धि के लिए पानी की जरुरत होती है, मानसून में वृक्ष तेजी से बड़ते है परन्तु गर्मियों में सिचाई की जरुरत होती है।
इसकी खेती करने के लिए ड्रिप से सिचाई करना उचित रहता है, ड्रिप विधि से फायदा यह होता है की हम जब चाहे पानी दे सकते है व फर्टिगेशन (खाद) देने में भी आसानी रहती है।
चंदन पौधे लगाने का समय Time of sandalwood Planting
चंदन (Sandalwood) के पौधे वर्ष में हम कभी भी लगा सकते है | जून-जुलाई का समय ज्यादा उपयुक्त होता है। पौधा लगाने के बाद सिचाई अत्यंत जरुरी है ! पोधा अगर सुबह या शाम के समय लगाए तो ज्यादा अच्छा होगा।
पौधे लगाते समय सावधानिया Precaution at the time Sandalwood Planting
पौधा लगाते समय ध्यान रखे की पौधा 1 फिट से उपर होना चाहिये, पौधे को गड्डा करके ही लगाये, जिस जगह जमीन में पानी भरता हो उस जगह पर पौधे न लगाये,पौधे को लगाते समय ध्यान रखे की उस पौधे की पोली बैग को ब्लेड से काटकर निकाले और फिर लगाये और पौधा लगाने के साथ ही होस्ट लगाना अनिवार्य है नहीं तो हमारा पौधा मर जाएगा।
चंदन में इंटरक्रॉप Intercropping in sandalwood
चंदन (Sandalwood) के बीच में हम अन्य फसल ले सकते है जिसे हम इंटरक्रॉप कहते है। इंटरक्रॉप के रूप में हम विभिन्न प्रकार की सब्जियो की खेती सोयाबीन,चना, गेहू, फूलो की खेती, लसुन इत्यादि खेतिया कर सकते है,।
इंटरक्रॉप की फसलो का चंदन (Sandalwood) पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता और चंदन (Sandalwood) का भी उन फसलो पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता।
चंदन पौधे लगाने के बाद दवाई की ड्रिंन्चिंग Fungicides Drenching in Sandalwood
पौधे लगाने के बाद इसमें फंगीसाईट और भोडले की दवाई की ड्रेिन्चिंग करे
और शुरुवाती दिनो में हर सप्ताह इसमें क्लोरोपायरीफाश या coc का स्प्रे करते रहना चाहिये और साथ में ह्यूमिक भी ले लिया करे जिससे पौधे की ग्रोथ भी बढती जायेगी और पौधा मरेगा नहीं स्वस्थ रहेगा।
चंदन की कटिंग Pruning in Sandalwood
चंदन (Sandalwood) के पोधे की तीन साल तक कोई कटिंग नहीं करनी होती है, तीन साल बाद सिर्फ उसकी पुर्निंग कर साईड की ब्राचेंस को काटकर हटा देना चाहिए। चंदन (Sandalwood) के पौधे में सिर्फ एक ही स्टेम होना चाहिए, दो नहीं होना चाहिए।
अगर दो स्टेम हो तो एक को काट देना चाहिए जिससे पौधे सीधे चले और स्टेम मोटा होता है और हार्ड वुड अधिक बनता है। कटाई के बाद पौधो में बोडो पेस्ट के साथ M45 का घोल बनाकर कटे हुए भाग पर लगाना चाहिये इससे पौधो में फंगस नही होती।
चंदन की बीज बहार seeds in sandalwood
चंदन (Sandalwood) में साल में दो बार बीज आते है ,प्रथम सितम्बर से दिसम्बर तक , द्वितीय मार्च अप्रैल में | कई बार ऐसा देखने में आता है की एक ही बार सितम्बर से दिसम्बर में ही बीज आता है । यह कोई चिंता का विषय नही है | चंदन (Sandalwood) में बीज 3 वर्ष की आयु की बाद ही आता है।
चंदन मे खाद प्रबंधन fertilizer management in Sandalwood
चंदन (Sandalwood) की खेती करने के लिए वैसे तो ज्यादा फ़र्टिलाइज़र की आवश्यकता नही होती परन्तु चंदन (Sandalwood) लगाने से पहले व बाद में नियमित रूप से गोबर की खाद, नीम खली, कार्बनिक एवं जेविक खाद डालते रहना चाहिये जिससे की अच्छी बढवार हो ।
इसमें रासायनिक खादों का कम से कम उपयोग करे और हर वर्ष नियमित रूप से जैव उर्वरक़ डालते रहे ,जिससे पौधा स्वस्थ रहे और अच्छी ग्रोथ करता रहे।
रोग व कीट नियंत्रण Insect Pest control
चंदन (Sandalwood) की खेती करने में , पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्कता होती है। पहले साल में चंदन (Sandalwood) के पौधे पर रोगो का अटेक नही होने देना चाहिए ।
चंदन (Sandalwood) के पौधे में सबसे ज्यादा फंगस की बीमारी का असर होता हैं इसलिए चंदन (Sandalwood) को लगाने से लेकर तीन साल तक उसमें फंगीसाइड का स्प्रे करते रहना चाहिए।
फंगीसाइड में आप बावस्टिंन ,सीओसी , थाईफेनेट ,मिथाईल आदि फंगी साइड दवाईयों का स्प्रे करते रहना चाहिए।
वुड-बोरर –
यह चंदन (Sandalwood) की लकड़ी को खाने वाला एक कीड़ा होता हैं जिसे वुड बोरर कहते हैं इसकी रोकथाम के लिए क्लोराफाइरीफास दवाई की ड्रिचिंग व गेरू के साथ लेप कर देना चाहिए जिससे कीड़ा तने के उपर न चढ़ सके और पौधे को नुकसान न पहुचाये। अगर कही पौधे में वुड बोरर दिखे तो क्लोरोपायरिफास का इंजेक्शन और लैप लगाना चाहिये।
दीमक – Termite control in sandalwood
दीमक ऐसा कीड़ा है जो शुरुआत में जड़ो से उपर की ओर जाती है बाद में बार्क को खा जाती हैं। इसलिए पहले से ही जिस मिट्टी में ज्यादा दीमक हो तो बोडोपेस्ट के साथ क्लोरोपायरीफास मिक्स करके बार-बार लगाये।
मिलीबग mealybug in sandalwood
मिलिबग बीमारी भी चंदन (Sandalwood)के लिए बहुत हानिकारक साबित होती है ,उसकी रोकथाम के लिए डेन्टासु दवाई का स्प्रे या ड्रेन्चिंग करते रहना चाहिए फिर स्टम्प में नीचे की ओर टेपिंग लपेट देना चाहिए।
चंदन हार्डवड का विकास Development of hardwood in Sandalwood
हार्ड वुड चंदन (Sandalwood) का वह भाग है जिसमे सुगंध और तेल की मात्रा होती है,यह चंदन (Sandalwood) का सबसे महत्वपूर्ण व किमती हिस्सा है।
चंदन (Sandalwood) का हाडवूड बनने एवं विकास के लिए चंदन (Sandalwood) के पौधे को 5 साल के बाद कम से कम पानी देना चाहिए।
चंदन (Sandalwood) के पौधे को सर्दियों के मौसम में बिल्कुल भी पानी नही देना चाहिए सिर्फ फरवरी से जून तक ही देना चाहिए और 10 से 15 साल बाद पानी बंद कर देना चाहिए सिर्फ बरसात में जो भी पानी मिल जाए वह उसके लिए उपयुक्त होता हैं।
पानी नहीं देने से चंदन (Sandalwood) का पौधा नहीं मरेगा क्योंकि जमीन के अंदर आर्द्रता होती हैं ,जितनी पानी की कमी होगी उतना हाडवूड अच्छा बनेगा।
हार्ड वुड में ही चंदन (Sandalwood) के तेल की मात्रा होती है जिसका मूल्य 3 से 4 लाख प्रति लीटर होता है। सामान्यतः 12 से 15 वर्ष की आयु में चंदन (Sandalwood) का पौधा परिपक्व हो जाता है।
चंदन हार्डवूड टेस्टिंग hardwood testing in sandalwood
चंदन (Sandalwood) के पौधे में हार्डवूड बना है या नहीं उसे देखने के लिए हार्डवूड टेस्टिंग मशीन का उपयोग करना चाहिए। कभी भी हार्डवूड की जाँच ड्रिल मशीन से नही करे, इससे पेड़ को नुकसान होता हैं। हार्डवूड देखने के लिए एक राड होती हैं जिसे हाथ के द्वारा घुमाया जाता हैं और स्टेम में छेद कर देखा जाता हैं, इसमें कितना हार्डवूड बना हैं। हार्डवूड देखने के बाद छेद या उस जगह को मिटटी से लेपन कर दे जिससे उसमें कोई फंगस या बीमारी का प्रकोप न हों।
चंदन कटाई harvesting of sandalwood
चंदन (Sandalwood) की रसदार लकड़ी (हार्ड वुड ) और सुखी लकड़ी दोनो का मूल्यांकन अलग-अलग होता है। जड़े भी सुंगधित होती है इसलिए चंदन (Sandalwood) के वृक्ष को जड़ से उखाड़ा जाता है न की काटा जाता हैं ।
जब पौधा लगभग 15 साल पुराना हो जाता है तब लकड़ी प्राप्त होती है जड़ से उखाडने के बाद पेड को टुकड़ो में काटा जाता है और डीपो में रसदार लकड़ी जिसे हार्ड वुड कहते है और सेफ वुड व बार्क वुड तीनो को अलग अलग किया जाता है।
चंदन उत्पादन (आमदनी ) एक नजर में Income from Sandalwood & Production
चंदन (Sandalwood) का पेड़ धीरे धीरे बढ़ने वाला पौधा होता है लेकिन समुचित सिंचाई व्यवस्था या खाद प्रबंधन का समय समय पर ध्यान रखे तो यह 12 से 15 साल में तैयार हो जाता है।
भारत में चंदन (Sandalwood) की लकड़ी (हार्ड वुड ) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रति किलो है । एक चंदन (Sandalwood) के पेड़ से 12 से 20 किलो लकड़ी प्राप्त होती है, साथ ही हार्डवुड के उपर जो सेफवुड होती है वह हमें एक पेड़ से 20 से 40 किलो मिलती है, जिसका बाजार मूल्य 600 से 800 रुपए किलो होता है ,और साथ ही बार्क वुड जो पेड़ की लकड़ी की उपरी परत होती है, वह हमें 30 से 60 किलो मिलती है , जिसका मूल्य 50 रुपए किलो होती है।
एक एकड़ में चंदन (Sandalwood) के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है। पौधे की परिपक्वता आयु 12 से 15 वर्ष होती है ।
इस प्रकार हम आकलन कर सकते है की हमारे किसान भाई प्रति पौधा या प्रत्रि एकड़ चंदन (Sandalwood) की खेती से कितना मुनाफा कमा सकते है।
चंदन (Sandalwood) के अलावा हमने जो होस्ट प्लांट लगाया था उसकी कीमत अलग से है तथा उसमे की जाने वाली इंटर क्रॉप से मिलने वाला फायदा हमारा बोनस है।
चंदन बाजार sandalwood market
चंदन (Sandalwood) को बड़ी बड़ी कंपनिया जहा पर चंदन के प्रोडक्ट ( sandalwood products) जैसे साबुन, तेल, परफयूम, अगरबत्ती, आदि निर्माण होते है उनके द्वारा खरीदा जाता हैं जैसे डाबर, के.एस.डी.एल,कंपनी बैंगलोर आदि ।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यह निर्यात भी किया जाता है जिसकी बहुत अधिक माँग बनी हुई है।
चंदन उपसहार Sandalwood epilogue
चंदन (Sandalwood) का पौधा बहुत ही लाभकारी व उपयोगी होता हैं। इसका धार्मिक,औषधीय आदि कार्यो के साथ आर्थिक महत्व भी है |
चंदन (Sandalwood) की खेती कर काफी किसानों ने मुनाफा कमाया है, चंदन (Sandalwood) की खेती करने के लिए ज्यादा खर्च की आवष्यकता नहीं होती हैं क्योंकि यह जंगली पौधा होता है जैसे जंगलो में बिना पानी, खाद के वृक्ष जीवित रहते हैं उसी प्रकार चंदन (Sandalwood) भी बिना खाद दवाई के रह सकता है।
आज के युग में चंदन (Sandalwood) की खेती करके | किसान भाई इस खेती से लाखो रूपये कमा सकते हैं, किसान भाईयों का कहना है कि इसकी खेती करने के 15 साल बाद अच्छी इनकम की उम्मीद रहती हैं। और भारतीय चंदन (Sandalwood) की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है अतः चंदन (Sandalwood) की खेती हमारे देश में आर्थिक कामधेनु साबित हो रही है।
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Thank you very much for providing the valuable information.