जीवाणु खाद (Biofertilizers) क्या है

जीवाणु खाद (Biofertilizers) – कम लागत अधिक लाभ

जीवाणु खाद (Biofertilizers)


जीवाणु खाद एक विशेष माध्यम में लाभदायक जीवाणुओं की बड़ी जनसंख्या है। किसान भाई इसे टीका के नाम से भी जानते हैं। पौधों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश अति आवश्यक तत्त्व हैं। इनमें से किसी एक की कमी से पौधे की वृद्धि रुक जाती है तथा पैदावार कम होती है। मृदा में प्रायः इनकी कमी होती है तथा अधिक पैदावार लेने के लिए यह तत्त्व हमें रासायनिक उर्वरकों के रूप में डालने पड़ते हैं। जीवाणु खाद उत्पादन इकाई, सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने भिन्न-भिन्न फसलों के लिए इन तत्त्वों की पूर्ति करने वाले उपयुक्त जीवाणुओं की खोज की है। इन जीवाणुओं को करोड़ों की संख्या में 50 मि.ली. की बोतल में भरकर किसानों को 10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्ध करवाया जाता है। इनकी कार्यक्षमता इनकी कीमत से कई गुणा अधिक है।

रासायनिक खादों की कीमत जीवाणु खाद की अपेक्षा कहीं अधिक है। जीवाणु खाद जमीन की उपजाऊ शक्ति, जैविक शक्ति व प्रदूषण रहित वातावरण बनाए रखती है। इसके उपयोग से नाइट्रोजन व फास्फोरस वाली रासायनिक खादें जैसा कि यूरिया एवं सिंगल सुपर फास्फेट की कम से कम 25 प्रतिशत की बचत की जा सकती है। इसके अतिरिक्त 5 से 15 प्रतिशत तक फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। सूखाग्रस्त इलाकों में तो जीवाणु खाद अमृत समान है। जहाँ पानी की कमी रहती हो वहाँ किसान भगवान भरोसे ही रहता है क्योंकि अगर वर्षा होगी तो फसल भी अच्छी होगी अन्यथा नहीं। ऐसे हालात में किसान महंगी खाद का इस्तेमाल करने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहता और न ही उसके पास इतने पैसे होते हैं।

जीवाणु क्या करते हैं ? (Action of microorganisms)

जीवाणु खाद (Biofertilizers)

हमारे चारों ओर वायुमंडल में प्रति हैक्टेयर भूमि के ऊपर लगभग 80,000 टन नाइटोजन मात्रा होती है। इस नाइटोजन को पौधे प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर पाते। तैयार किए गए टीको के जीवाणु जैसे राईजोबियम (राईजोटीका), ऐजोटोबैक्टर (ऐजोटीका) एवं ग्लूकोनऐसीटोबैक्टर (बायोटीका) इस नाइट्रोजन को पौधों की जड़ों को ग्रहण करने योग्य बना देते हैं। जीवाणु खाद (Biofertilizers) ऐसे हैं जो मिट्टी में पाए जाने वाले फास्फोरस या सिंगल सुपर फास्फेट के अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील फास्फोरस में परिवर्तित कर देते हैं जैसे कि फास्फोटीका। कुछ जीवाणु जड़ों द्वारा फैलने वाले फफूंदी एवं सूत्रकृमि को फैलने से रोकते हैं जैसे कि बायोटीका।

जीवाणु खाद की किस्मे (Types of biofertilizers)

जिस प्रकार फसल को दाल वाली व बिना दाल वाली फसल के आधार पर दो भागों में बांटा है उसी प्रकार नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए नाइट्रोजन वाले टीकों को दो भागों में बांटा गया है यानि कि “राईजोटीका एवं ऐजोटीका” । जैसे कि नाइट्रोजन के बाद फास्फोरस दूसरा अह्म तत्त्व है वैसे ही इसकी पूर्ति के लिए फास्फोटीका ईजाद किया गया है।

राईजोटीका (Rhizoteeka)

जीवाणु खाद (Biofertilizers)

राईजोबियम एक विशेष प्रकार के जीवाणु का नाम है जो फलीदार पौधों की जड़ों पर गुलाबी रंग की ग्रंथियां बनाते हैं व पौधे के साथ मिलकर वायुमंडल की नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार यह जीवाणु न केवल फलीदार पौधों की नाइट्रोजन की आवश्यकता पूरी करते हैं बल्कि बाद में बोई जाने वाली गेहूँ, सरसों, बाजरा, धान इत्यादि फसलों के लिए भी नाइट्रोजन उपलब्ध करवाते हैं। यह जीवाणु अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग प्रकार के होते हैं। अतः इन्हें उसी फसल के लिए प्रयोग करें जिसके लिए ये बनाए गए हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग निम्नलिखित फसलों के लिए राईजोटीका बनाता है।
दलहन : मूंग, उड़द, लोबिया, अरहर, चना, मटर, मसर।
तिलहन : मूंगफली, सोयाबीन।
चारा : ग्वार, बरसीम, रिजका।

ऐजोटीका (Azoteeka)

ऐजोटीका में ऐजोटोबैक्टर नाम के जीवाणु होते हैं। ये जीवाणु स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं व वायु से नाइट्रोजन खींचकर इसे पौधे के ग्रहण करने योग्य बना देते हैं। इसके उपयोग से नाइट्रोजन की बचत के साथ-साथ फसलों पर वातावरण का अनुकूल प्रभाव भी पड़ता है। उपचारित बीजों को अंकुरण में सहायता मिलती है। ऐजोटीका के जीवाणू जडों के पास मिट्टी में रासायनिक पोषक तत्त्व उपलब्ध करवाते हैं जो पौधों की जड़ों द्वारा आसानी से शोषित किए जा सकते हैdaजोसीका पौधों को जड़ों में होने वाली फफंदी की बीमारियों से बचाने में भी सहायक होता है ! परिणामस्वरूप पौधे स्वस्थ रहते हैं और पैदावार होती रही निम्नलिखित फसलों के लिए उपलब्ध है।

जीवाणु खाद (Biofertilizers)


अनाज वाली फसलें: गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, धान आदि ।
नकदी फसलें: कपास, गन्ना, तम्बाकू, जूट।
तिलहनी फसलें: सरसों, सूरजमुखी, तिल आदि।

फास्फोटीका (Phosphoteeka)

पौधों के विकास, दाना बनने की प्रक्रिया व उन्हें मोटा बनाने के लिए फास्फोरस की आवश्यकता होती है। फास्फोटीका के जीवाणु मिट्टी में पाए जाने वाले फास्फोरस को शीघ्र ही घोल के रूप में परिवर्तित कर देते हैं जिससे पौधों की जड़ें इस घोल को शीघ्र ही आसानी से शोषित कर लेती हैं। इससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।

प्राकृतिक रूप से क्षारीय मिट्टी में फास्फोटीका और रॉक फास्फेट के संयुक्त उपचार से फसल पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। फास्फोटीका सभी फसलों में बीजों पर तथा रोपण के समय पौधों की जड़ों पर भी उपचारित किया जाता है।

बायोटीका (Bioteeka)

कपास में सूत्रकृमि द्वारा ‘जड़ गाठन’ रोग देखने में आया है जिसकी रोकथाम बायोटीका से की जा सकती है। इसमें ग्लूकोनऐसीबैक्टर नामक जीवाणु होते हैं जो इस रोग की रोकथाम में सहायक हैं। इसी प्रकार गेहूँ में ‘मोल्या रोग’ की रोकथाम के लिए ऐजोटीका-54 का इस्तेमाल किया जाता है।

टीका उपचार करने की विधि (Method of application of biofertilizers)

सभी टीकों के उपचार करने की विधि समान है। बीज उपचार के लिए 50 मि.ली. तरल बायोफर्टिलाईजर, प्रायः एक एकड़ भूमि में पर्याप्त बीजों के उपचार के लिए काफी है लेकिन जिस फसल में बीज प्रति एकड़ 10 किलोग्राम से अधिक पड़ता है वहां प्रति 10 किलोग्राम बीज पर एक टीका (50 मि.ली.) प्रयोग करें।

बाजरा, सरसों इत्यादि फसलों में जहाँ बीज की मात्रा 1-2 कि.ग्रा. तक है, उस फसल में भी कम से कम 50 मि.ली. ऐजोटीका तथा 50 मि.ली कास्फोटीका एक एकड़ के लिए आवश्यक है। धान, गेहूँ में 200 मि.ली. ऐजोटीका तथा 200 म.ला. फास्फोटीका चाहिए। इसी तरह गन्ना जैसी फसलों में 1 लीटर ऐजोटीका एवं 1 लीटर फास्फोटिका लगाएं।

बाकला काली मटर (Fababean) की खेती

बीज उपचार के लिए 250 मि.ली. पानी में 50 ग्राम गुड़ का घोल बना लीजिये। बीज को किसी बर्तन, साफ फर्श या तिरपाल पर डालकर इस घोल के साथ मिलाए ताकि बीज चिपचिपे हो जाएं। अब तरल जीवाणु खाद की बोतल खोलकर बीजों पर छिड़कें और हाथो में मिला ताकि बीजों के ऊपर टीके की परत चढ़ जाए। बीजों को 10-15 मिनट छाया में सुखाकर बो दें।

जीवाणु खाद (Biofertilizers)

पौध उपचार के लिए पौध की रोपाई करने से पूर्व पौधों की जड़ों को जीवाण खाद के घोल में आधा घंटा बोकर उपचारित किया जाता है। अम्लीय या क्षारीय मिटी में टीके का प्रभाव कम होने की संभावना रहती है। ऐसी दशा में बीजों पर टीका उपचारित करने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट या कैल्शियम सल्फेट की परत चढ़ा देने से जीवाणु सुरक्षित रहते हैं।

सावधानियाँ (Precautions)

जीवाणु खाद (Biofertilizers) का टीका केवल उसी फसल के बीज पर लगाएं जिस फसल का नाम बोतल पर लिखा हो। बोतल पर लिखी उत्पादन विधि’ से तीन महीने के भीतर ही प्रयोग करें। टीके/शीशी को हमेशा छाया में रखें। बीज उपचार करते समय ही शीशी को खोलें। कीटनाशक/फफूंदीनाशक दवाइयों को बिजाई से 12 से 24 घंटे पहले बीजों पर उपचारित करें और इनके उपचार के बाद बीजों को बायोफर्टिलाईजर से बिजाई के समय उपचारित करें।

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