भिन्डी की खेती अच्छी किस्मे रोग व् उपचार Bhindi/Bhendi/Okra/Lady Finger

भिन्डी / OKRA / lady finger

Bhendi (Abelmoschus esculentus

भिन्डी फल वाली एक महत्वपूर्ण सब्जी है जो देश के लगभग सभी भागों में उगाया जाती है। भिन्डी का उपयोग मुख्य रुप से सब्जी के रुप में करते है। इसके अतिरक्त इसका उपयोग केनिग तथा फ्रोजन करके भी किया जाता है।

जलवायु (Climate requirement for Okra/Bhindi)

इसकी सफल खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेन्टीग्रेट का तापमान उपयुक्त होता है। बीजों का जमाव 15 डिग्री पर अच्छा होता है ज्यादा तापमान होने पर फूल झडने लगते हैं।

औषधिय गुण ( Medicinal Value of Okra/Bhindi)

भिन्डी में उच्च रेशे पाये जाने के कारण यह खून में सूगर की मात्रा को नियंत्रीत करती है ! भिन्डी के रेशे उपयोगी जीवाणओं प्रोबक्टेरिया के लिए अच्छा आहार है। जो आँत के लिए फायदमद होता हैं।

उन्नत किस्में (Improved Variety of Okra/Bhindi)

पूसा मखमली (Pusa Makhmali) – इसके फल हलके हरे होते है ! इस किस्म में येलो मोज़ेक वायरस ज्यादा आता है !

परभानी क्रान्ति (Parbhani Kranti) – भिन्डी मध्यम लम्बी तथा मुलायम होती है ! इस किस्म की भिन्डी की क्वालिटी अच्छी होती है ! ये किस्म 120 दिन में 85 से 115 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की औसत पैदावार देती है !

पंजाब पदमिनी (Punjab Padmini) – इस किस्म की भिन्डी गहरे हरे रंग की बालो वाली लम्बे समय तक फ्रेश रहती है ! बिजाई के 55 से 60 दिन बाद तैयार हो जाती है ! येलो मोज़ेक वेन वायरस के प्रतिरोधी किस्म है !

अर्का अनामिका (Arka Anamika) – भिन्डी की ये किस्म IIHR बंगलोर द्वारा रिलीज़ की गई है ! इस किस्म पर फल दो बार में आते है ! पहली बार बिजाई के 45 से 50 दिन बाद मुख्य तने पर लगती है तथा दूसरी बार मुख्य तने से निकली टहनियों पर ! भिन्डी अच्छी क्वालिटी की होती है ! YVMV  येलो मोज़ेक वायरस के प्रतिरोधी है तथा 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार 130 दिन में देती है !

अर्का अभय (Arka Abhay)

अर्का उपहार (Arka Uphar)

पी०-7 (P7)

आई. आई. वी. आर.-10 (IIVR 10)

Hybrid – Avantika, Hyb-016, Tulsi

Arka Nitika F1 hybrid – ये किस्म 43 दिन लेती है फल देने में तथा 210 से 240 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार देती है ! इस किस्म का समय 125 से 130 दिन तक है !

भूमि एवं भूमि की तैयारी (Land Preparation for bhindi/okra)

अच्छे जल निकास तथा जीवांशयुक्त बुलुई दोमट अथवा दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पी.एच. मान 6.0-7.5 के बीच होना चाहिए।

बीज की मात्रा तथा बुवाई का समय (Seed Rate of Okra/Bhindi)

गर्मी में बुवाई के लिए 10-15 किग्रा. प्रति हैक्टर बीज की आवश्यकत होती है।

बुवाई का ढंग (Sowing method of Okra/bhindi)

बीज के अच्छे जमाव के लिए बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर छाया में सुखाने के बाद बोना चाहिए। बुवाई से पूर्व बीज को थायरम नामक रसायन (2.0ग्राम/किग्रा. बीज) से शोधित करना चाहिए। बीज को 25-30 सेमी., गहराई पर बोते हैं। वर्षाकालीन फसल के लिए पौधे व कतार से कतार की दुरी 45X30 या 60X30 सेमी. तथा ग्रीश्मकालीन फसल के लिए 30X20 या 45X30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए !

खाद एवं उर्वरक(Fertiliizer in Okra)

200-250 क्विंटल गली सडी गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त 100 किग्रा. नाइट्रोजन, 50 किग्रा. फास्फोरस तथा 50 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए। फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा अन्तिम जुताई के समय खेत में मिला देते हैं। नत्रजन की शेष मात्रा को बुवाई के 30 एवं 50 दिन बाद खडी फसल ड्रेसिंग के रुप में देना चाहिए।

सिंचाई (irrigation in Okra)

गर्मी में प्रत्येक 6-7 दिन पर तथा वर्षा ऋत में वर्षा न होने पर सिंचाई करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण (weed control in Okra/Bhindi)

रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए मेटाक्लोर 50 ई.सी. की 2 लीटर या स्टाम्प की 3.3 लीटर मात्रा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से बुवाई के 48 घण्टे के अन्दर छिड़काव करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।

तुड़ाई (Harvesting of Okra/Bhindi)

भिन्डी की प्रथम बार फलियां बनने के प्रत्येक 2-3 दिन बाद फलियों की तुड़ाई करते हैं।

उपज (Yield of Okra/Bhindi)

ग्रीष्मकालीन वर्षाकालीन फसल से प्रति हैक्टेयर क्रमशः 50 क्विंटल और 100 क्विंटल उपज मिल जाती है।

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प्रमुख रोग व कीट (Disease & Insect Pest of Okra/Bhindi)

रोग

पीत शिरा मोजैक

यह भिन्डी का सवसे भयंकर रोग है जो विषाणु द्वारा फैलता है। जिसका संचरण बेमिसिया टोबेकाई नामक सफेद मक्खी से होता है। रोगग्रस्त पौधों के पत्तियों की शिराए चमकीली व पीले रंग की हो जाती है। उत्तरी भारत में यह रोग वर्षा ऋतु में अधिक होता है।

रोकथाम

(1) रोग ग्रस्त पौधों का उखाड़ कर जला देना चाहिए।

(2) खेत के आस-पास सफाई रखना चाहिए।

(8) मेटासिस्टाक्स 36 ई.सी. 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अन्तर पर तीन बार छिडकाव करना चाहिए।

कीट

फुदका (जैसिड)

इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनों पत्तियों एवं नरम भागों से रस चूसते हैं जिससे पत्तियां पीली पड़कर मुड जाती हैं और झुलसी हुई दिखती हैं।

रोकथाम

1. बुवाई के समय खेत में 30 किग्रा. प्रति हैक्टर की दर से कार्बोफ्यूरान मिला दें।

2. बीज जमने के एक माह बाद मैलाथियान 0.02 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए।

तना एवं फल छेदक

यह कीट पौधों की नयी शाखओं एवं फलों में घुसकर नुकसान पहुचाते हैं। जिससे प्रभावित फल टेढे हो जाते हैं तथा खाने योग्य नहीं रह जाते हैं।

रोकथाम

रोग के नियंत्रण के लिए कारबेरिल (0.15 प्रतिशत) का तथा 10 दिन के अंतराल पर इन्डोक्साकार्ब 15.8 प्रतिशत EC 250 ml/  छिड़काव करना चाहिए।

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