पशु/भैंस हीट/गर्मी में न आना,क्या है कारण और उपाय Anoestrus

अमदकाल या हीट में न आना क्या होता है

अमदकाल से प्रभावित भैंस के जननांग में पुटीय डिम्बग्रन्थि

पशु/भैंस हीट/गर्मी में न आना,क्या है कारण और उपाय Anoestrus

• इस स्थिति में मादा पशु (गाय/भैंस) गर्मी में नहीं आते हैं।

• अपर्याप्त आहार, गर्मी से तनाव तथा सूक्ष्म खनिजों एवं पोषक तत्वों की कमी के कारण अमदकाल की समस्या आती है। प्रसव के पश्चात निम्न आहार देने से कम हए शारीरिक भार के कारण भी पशु गर्मी में नहीं आते हैं।

• हरे चारे की कमी एवं अधिक तापमान भी गर्मी के दौरान अमदकाल की समस्या को बढ़ाती है।

• हार्मोन सम्बन्धी असन्तुलन भी अमदकाल का कारण हो सकता है।

• टयुबरकुलोसिस, पैराट्यूबरकुलोसिस जैसे चिरकालिक क्षय रोग जननांगों का संक्रमण एवं परजीवियों के कारण आई कमजोरी भी अमदकाल को बढ़ावा देती है।

लक्षण

• प्रसव के 90 दिन बाद भी जो गाय एवं भैंसे गर्मी में नहीं आती हैं वे अमदकाल से ग्रसित मानी जाती

• पीड़ित पशु परिपक्वता की प्रत्याशित आयु में पहँचने के बाद भी गर्मी में नहीं आती हैं।

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उपचार

पशुओं को पर्याप्त मात्रा में हरे चारे की उपलब्धता

• पशु के आहार में पर्याप्त मात्रा में हरा चारा व दाना खिलाएं।

• प्रत्येक पशु को रोजाना 50 ग्राम क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण खिलाएं। इससे पशु में आवश्यक खनिज तत्वों की कमी 1.5 से 2 माह में पूरी हो जाएगी और गर्मी में आने के आसार बढ़ जाएंगे।

• गर्मी के दिनों में भैंसों को पानी में लोटने की सुविधा

दी जाए या उनके ऊपर पानी की बौछारें डालने की व्यवस्था करें तथा पीने के लिये ठंडा पानी उपलब्ध करायें। पशुओं को सूर्य की किरणों एवं गर्मी के तनाव से बचाने के लिये छप्पर | उचित आवास उपलब्ध करायें।

• पशु चिकित्सक की सलाह से पशुओं को हर्बल तत्वों से तैयार प्रजना, जानोवा आदि औषधियाँ दे सकते हैं।

• जब ये सभी उपचार कारगर न हो तो पशु चिकित्सक द्वारा हार्मोनयुक्त चिकित्सा प्रयोग में लाई जा सकती है।

पशु/भैंस हीट/गर्मी में न आना,क्या है कारण और उपाय Anoestrus

रोकथाम

• प्रत्येक पशु को 50 ग्राम क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण खिलायें।

• पड़ियों / बछियों एवं गर्भवती भैंसों / गायों को उचित आहार दें।

• ग्रीष्मकालीन मौसम के दौरान भैंसों को गर्मी से बचायें। गर्मी से बचाव हेतु पशुशाला उपलब्ध करायें और भैंसों को पीने के लिए ठंडा पानी दें।

• पशुओं को नियमित रूप से पेट के कीड़े मारने की दवाई पिलायें।

• पशु को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा खिलायें।

सुअर पालन

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