पशुओं में दूध बढ़ाए बीमारी भगाये : हरा सोना अजोला /azolla/ajola के लाभ/फ़ायदे  

क्या है अजोला what is azolla

अजोला तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है, जो जल की सतह पर छोटे-छोटे समूह में सघन हरे गुच्छे की तरह तैरती रहती है।

देखने में यह शैवाल से मिलती-जुलती है। आमतौर से उथले पानी अथवा धान के खेतों में पाई जाती है।

यह मुख्य रूप से प्रोटीन की अधिकता (25 प्रतिशत) के लिए जानी जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘बी ‘ तथा बीटा कैरोटीन), कैल्शियम, फॉस्फोरस, फेरस, कॉपर, मैग्नेशियम भी पाया जाता है।

मुख्य रूप से अजोला की प्रजाति अजोला पिन्नाटा उगाई जाती है। यह काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली किस्म है।

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अजोला के लाभ benefits of azolla in hindi

अजोला एक उत्तम जैविक खाद के रूप में कार्य करता है। यह धान के सिंचित खेत से वाष्पीकरण की दर को कम करता है I

धान के खेत में अजोला छोटी-मोटी खरपतवार जैसे-चारा और निटेला को दबा देता है। इसके उपयोग से धान की फसल में 10 से 15 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि की जा सकती है।

यह रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की क्षमता को बढ़ाता है। यह सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है।

30-40 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों में शारीरिक वृद्धि और अण्डा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रतिशत वृद्धि होती है।

दुधारू पशुओं को 1.5 से 2.5 कि.ग्रा. अजोला प्रतिदिन दिया जाता है, तो दुग्ध उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा दूध की गुणवत्ता भी पहले से अच्छी हो जाती है।

azolla अजोला

भेड़ व बकरियों को 150-200 ग्राम अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि व दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।

गाय-भैंस व भेड़-बकरियों को अजोला खिलाने से उनके उत्पादन व प्रजनन क्षमता की काफी बढ़ जाती है।

फॉस्फोरस की कमी से पशु के पेशाब में खून की समस्या होती है। ऐसे पशुओं को अजोला खिलाया जाये, तो यह कमी दूर हो जाती

यह वायु मंडलीय कार्बनडाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को क्रमशः कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदल सकता है।

यह अपघटन के बाद फसल को नाइट्रोजन उपलब्ध करवाता है व मिट्टी में जैविक कार्बन उपलब्ध करवाता है।

अजोला तैयार करने की विधि method of azolla preparation

इसका उपयोग पशुओं, कुक्कुटपालन एवं मछलीपालन के चारे के रूप में किया जाता है और इसकी उत्पादन लागत भी बहुत कम होती है।

किसी छायादार स्थान पर 2-3 मीटर लंबी व आवश्यकतानुसार, 1-1.5 मीटर चौड़ा, ताकि दोनों तरफ से काम किया जा सके तथा एक फीट गहरा गड्ढा खोदकर क्यारी बनायें।

क्यारी में पानी का रिसाव रोकने के लिए गड्ढे को प्लास्टिक शीट से ढक देते हैं। जहां तक सम्भव हो पराबैंगनी किरणरोधी प्लास्टिक शीट का प्रयोग करना चाहिए।

तैयार क्यारी में 10-15 कि.ग्रा. साफ उपजाऊ मिट्टी की परत बिछा दें।। कार्बन स्रोत के लिए अजोला क्यारी में 2-4 दिनों पुराना गोबर 4 से 6 कि.ग्रा., 20 से 25 लीटर पानी में घोलकर डालते हैं, जो अजोला के लिए कार्बन स्रोत का कार्य करता है।

क्यारी में बीज डालने से पहले 40 ग्राम सूक्ष्म पोषक तत्व मिक्सर (10 कि.ग्रा. रॉक फॉस्फेट, 1.5 कि.ग्रा. मैग्नेशियम तथा 20 से 50 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का मिश्रण) को गोबर की स्लरी में मिक्स कर देते हैं।

अजोला क्यारी में पानी की गहराई लगभग 10-12 सें.मी. कर दें।

क्यारी में मिट्टी तथा पानी को हल्के से हिलाने के बाद लगभग 0.5 से 1 कि.ग्रा. अजोला इनोक्यूलम पानी की सतह पर एक समान फैला दी जाती है।

अजोला के पौधे को सीधा करने के लिए इन पर ताजा पानी छिड़का जाना चाहिए।

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अजोला की कटाई harvesting of azolla

प्लास्टिक की छलनी या ऐसी ट्रे, जिसके निचले भाग में छेद हो, की सहायता से 15-20 दिनों के बाद से प्रतिदिन कटाई की जा सकती है।

कटी हुई अजोला से गोबर की गंध हटाने के लिए ताजे पानी से धोना चाहिए।

सावधानियां

अच्छी बढ़वार के लिए तापमान महत्वपूर्ण कारक है। लगभग 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छी बढ़वार के लिए उपयुक्त रहता है।

शीत ऋतु में तापमान 8 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर अजोला की क्यारी को पुरानी बोरी के टाट अथवा प्लास्टिक मल्च से रात्रि में ढक देना चाहिए।

क्यारी में पानी के स्तर को 10-12 सें. मी. तक बनाये रखें। माध्यम का पी-एच मान 5.5 से 7 होना चाहिए।

उपयुक्त पोषक तत्व जैसे- गोबर का घोल, सूक्ष्म पोषक तत्व आदि को आवश्यकतानुसार डालते रहना चाहिए।

अच्छी उपज के लिए संक्रमण से मुक्त वातावरण तथा पर्याप्त सूर्य की रोशनी वाले स्थान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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