अरहर खरीफ के मौसम की प्रमुख दलहनी फसल है ! इसकी भरपूर फसल लेने के बाद गेहूँ की भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है ! अरहर-गेहूँ का सभी फसलों से अच्छा फसल चक्र साबित हुआ है ! नई किस्में तकरीबन 20-29 प्रतिशत ज्यादा पैदावार देती हैं ! अतः हम किसानों को उन्नत किस्मों की बीजाई के लिए प्रेरित करते हैं ! अरहर की उन्नत किस्में

अरहर की निम्नलिखित किस्मों की सिफारिश की गई है !
1. टाई-21 : यह किस्म काफी ऊँची बढ़वार लेती है और 160-170 दिनों में पक कर तैयार होती है ! यह किस्म अप्रैल (गेहूँ की कढ़ाई के बाद) से मध्य जून तक बोई जा सकती है ! इसका दाना मध्यम आकार का होता है ! इसकी पैदावार 20 मन प्रति एकड़ होती है !
2. उपास-120 : यह किस्म 140-145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है ! इसकी ऊँचाई 250 सें.मी. तक होती है ! इसका दाना मध्यम आकार व हल्का भूरे रंग का होता है ! इसकी पैदावार 15-17 मन प्रति एकड़ तक होती है !
3. मानक : यह अगेती पकने वाली किस्म है व 135-140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है ! यह किस्म 200-220 सें.मी. तक ऊँची होती है ! इसका दाना मध्यम आकार का व हल्का भूरे रंग का होता है ! औसत पैदावार 17-18 मन प्रति एकड़ होती है !
4. पारस : यह नई किस्म है और मानक से काफी मिलती है ! इसकी ऊँचाई 250 सें.मी. तक होती है व 140-145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है ! इस किस्म की शुरू की बढ़वार ज्यादा है अतः यह किस्म पछेती बीजाई (जुलाई) के लिए भी उपयुक्त है ! इसकी पैदावार 18-20 मन प्रति एकड़ तक होती है !
भूमि व खेत की तैयारी
अच्छी जल निकास वाली दोमट से हल्की दोमट, अम्लीय व क्षारीय रहित भनि इस फसल के लिए उपयुक्त होती है ! 2-3 जुताई करके और सुहागा लगाकर अच्छी तरह खेत तैयार करें ताकि खरपतवार व ढेले न रहें !
बिजाई का समय
सिंचित दशा जहाँ दो फसलें लेते हों, वहाँ पर टाईप-21 की बिजाई मध्य मार्च से मध्य जून, उपास-120 मार्च से जुलाई के प्रथम सप्ताह; मानक व पारस जून से मध्य जुलाई !
राईजोबियम ठीके से बीज उपचार
200 मि.ली. या दो कप पानी में 60 ग्राम गुड़ या शक्कर मिलाकर घोलें ! घोल को 5-6 किलो बीज पर डालें और ऊपर टीका छिड़क दें फिर बीज को हाथ से अच्छी तरह मिला लें और छाया में सुखाकर बिजाई करें !
बीज की मात्रा व बिजाई का तरीका
40-45 सें.मी. लाइन से लाइन का फासला रखें ! 5-6 किलो बीज प्रति एकड़/ मिश्रित फसल की दशा में लाइन से लाइन का फासला 50 सें.मी. रखें व बीच में एक लाईन मूंग या उड़द की बीजें !
खाद
मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद का प्रयोग करें और वैसे आम सिफारिश 8 किलो शुद्ध नत्रजन (16-18 किलोग्राम यूरिया), 16 किलोग्राम शुद्ध फास्फोरस (100 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ है ! सिंगल सुपर फास्फेट आखिरी जुताई के समय पोर करें व यूरिया (या 35 कि.ग्रा. डी.ए.पी.) छिड़क कर सुहागा लगाने के बाद पोर से लाइनों में बिजाई करें !
निराई गुड़ाई
25-45 दिनों बाद अच्छी तरह गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न उग सके !
सिंचाई
अगर हो सके तो फूल आने पर एक सिंचाई करें ! यदि गर्मी में मिलवा फसल है ! तो सिंचाई मिलवा फसल के अनुसार करें !
हानिकारक कीड़े
फली बेधक कीड़ा इस फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है ! इसलिए इस कीड़े की रोकथाम काफी आवश्यक है ! 50 प्रतिशत फली या जब सूण्डी दिखाई देने लगे तब इन दवाइयों का छिड़काव करें !
300 मि.ली. मोनोक्रोटोफास 36
या
75 मि.ली. साइपरमेथरीन 25 ई.सी.
या
120 मि.ली. फेनवलरेट 20 ई.सी.
215 मि.ली. डे मैथरीन 28 ई.सी. 300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें !
क्योंकि यह फसल ऊँची बढ़ती है इसलिए छिड़काव की सुविधा के लिए 7 मीटर अरहर की पट्टी के बाद 3 मीटर खाली छोड़े, जिसमें खड़े होकर छिड़काव किया जा ! सके ! तीन मीटर खाली जगह में मूंग या उड़द की बिजाई करें !