आलू की खेती (Potato Farming) उन्नत किस्मे व् खाने से फायदा ! आलू चिप्स

आलू का महत्व और उन्नत किस्मो से खेती (importance of potato & improved potato varieties) 

मनुष्य द्वारा प्रयोग की जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों में आलू (Potato) का प्रमुख स्थान है तथा आलू भारतीय भोजन में सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है। आलू का वैज्ञानिक नाम solanum tuberosum है ! इसमें कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा के साथ-साथ खनिज लवण, विटामिन तथा अमीनो अम्ल की मात्रा पायी जाती है जो कि शारीरिक वृद्धि व स्वास्थ्य के अनुरक्षरण के लिए आवश्यक है।

आलू में प्रोटीन कैलोरी का उच्च अनुपात पाया जाता है व मुख्यतः स्टार्च के साथ फास्फोरस, कैल्शियम, लोहा व विटामिन सी व ए भी पाये जाते हैं।

आलू में प्रोटीन के साथ कैल्शियम अनुपात ज्यादा होता है। दैनिक खाद्य पदार्थ के रूप में आलू की सब्जी की बेहद खपत होती है। इसके अलावा इसका उपयोग स्टार्च, एल्कोहल, डेप्टनिन और पशु आहार आदि रूपों में किया जाता है।

अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्नैकिंग (छोटा नाश्ता) के चलन में आने आलू के चिप्स और वैफर्स काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि के साथ आलू वैफर्स और चिप्स की बाजार में अच्छी विकास संभावनाएं हैं व ग्लोबल पैक मार्केट के अनुसार कुल मसालेदार स्नैक्स बाजार के औसत में 35 प्रतिशत आलू के व्यंजनों का सेवन किया जाता है !

आलू एक उच्च पोषण आहार है। आलू की फसल प्रमुख खाद्यान्न के मुकाबले कम समय में ही अधिक खाद्य प्रति इकाई में पैदा की जा सकती है। 90 से 100 दिनों में फसल का उत्पादन किया जा सकता है। इसकी व्यापक अनुकूल क्षमता रोपण व कटाई में दो फसलों के बीच बढ़ने के लिए आदर्श फसल बनाती है।

1950 दशक के बाद मुख्य रूप से प्रसंस्करण उद्योग से मजबूत मांग व रिटर्न के कारण आलू फसल में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गयी है। दुनिया के कुल उत्पादन में भारत का योगदान 5-7 प्रतिशत के आसपास है।

आलू में बनने वाले मुख्य व्यंजनों में चिप्स काफी लोकप्रिय है। चिप्स को उपयोग स्नैक्स के तौर पर व उपवास के समय किया जा सकता है। बाजार में उपलब्ध चिप्स में अनिमियत परिरक्षकों का प्रयोग किया जा सकता है!

घर पर बनाये गये चिप्स तैयार कर इन्हें वर्षभर के लिये संरक्षित किया जा सकता है। तथा गृहणियों द्वारा उद्यमिता विकास के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है।

आलू की खेती (Potato Farming) उन्नत किस्मे व् खाने से फायदा ! आलू चिप्स वाली किस्मे और बनाने का तरीका

जलवायु व भूमि (Climate requirement for Potato)

आलू के लिए शीतोष्ण जलवायु तथा कन्द बनाने के समय उपयुक्त तापक्रम 18 से 20 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए। यह फसल पाले से प्रभावित होती है।

आलू की फसल सामान्य तौर पर सभी प्रकार की भूमि पर उगाई जा सकती है परन्तु हल्की बलुई दोमट मिट्टी वाला उपजाऊ खेत जहां जल विकास की सुविधा हो इसके लिए विशेष उपयुक्त रहता है।

खेत का समतल होना भी आलू की फसल के लिए आवश्यक है। आलू को 6 से 8 पी.एच. वाली भूमि में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है परन्तु लवणीय व क्षारीय भूमि इस फसल के लिए पूर्णतया अनुपयुक्त रहती है।

उन्नत किस्में (Potato varieties)

निम्न किस्में आलू की उपयुक्त किस्में हैं

सफेद त्वचा वाली (White Potato)

अ-75-90 दिन में पकने वाली

कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी अशोका (पी.जे. 376), कुफरी लवकर (जे.एच. 222)

ब- 90 से 105-110 दिन में पकने वाली

कुफरी ज्योति, कुफरी बहार (ई-3797), कुफरी पुखराज (जे.ई.एक्स/सी 166), कुफरी बादशाह (जे.एफ 4810), कुफरी सतलत (जे.आई. 5857)

लाल त्वचा वाली (Red Potato)

90 से 105-110 कुफरी सिंदुरी, कुफरी लालिमा

प्रसंस्करण हेतु उपयुक्त किस्में (Potato variety for processing)

90 से 105-110 कुफरी चिप्सोना 1, कुफरी चिप्सोना 2- अन्य बेहतरीन किस्में कुफरी अलंकार, कुफरी आनंद, कुफरी अरुण, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा।

खाद एवं उर्वरक (Fertilizer in Potato)

फसल की बुवाई से एक माह पूर्व 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद देवें। उर्वरकों में 120-150 कि.ग्रा. नत्रजन, 80-100 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिए।

विभागीय सिफारिशों के अनुसार उर्वरकों के प्रयोग के अतिरिक्त यदि आलू कंद बीज को 1 प्रतिशत यूरिया एवं 1 प्रतिशत सोडियम बाई कार्बोनेट के घोल में 5 मिनट डुबोने के बाद पीएसबी कल्चर एवं एजोबेक्टर कल्चर से उपचारित करके बुवाई करने से अच्छी उपज होती है।

आलू की बुवाई (Potato Plantation)

आलू की मुख्य फसल को सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंत तक बो देना चाहिए। बीज की मात्रा व बुवाई की दूरी सामान्यतः बीज की किस्म, आकार व भूमि की उर्वरकता पर निर्भर करती है।

बीज कम से कम 2.5 से.मी. व्यास के आकार का या 25 से 30 ग्राम वजन के साबुत कंद होने चाहिए। विभिन्न परिस्थितियों में एक हेक्टेयर भूमि में बुवाई के लिये 25 से 30 क्विंटल आलू के कंदों की आवश्यकता होती है।

बुवाई में पूर्व कंदों को 2 ग्राम थाइरम+1 ग्राम बावस्टिन प्रति लीटर पानी के घोल में 20 से 30 मिनट तक भिगोयें तथा छाया में सुखाकर बुवाई करें। कतार की दूरी 60 से.मी. व कंद से कंद की दूरी 20 से.मी. रखें।

सिंचाई (Irrigation in Potato)

आमतौर पर आलू की फसल के लिए 10-15 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। फसल पकने से 15 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर देवें।

निराई-गडाई

कंद की बुवाई के 30 से 35 दिन बाद जब पौधे 8 से 10 से.मी. के हो जावें तो खरपतवार निकाल कर मिट्टी दोबारा चढ़ावें।

प्रमुख कीट व व्याधियां (Insect pest & disease of Potato)

मोयला व हरा तेला– नियंत्रण हेतु डाइमेथोयट 30 ई.सी. या मिथाईल डिमेटोन 25 ई.सी. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

कमवर्म व सफेद लट नियंत्रण हेतु– क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. चार लीटर प्रति हेक्टेयर व कोर्बाफ्यरान 3 जी 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर बुरकाव करें।

कालोकसी- नियंत्रण हेतु कंदों को 3 प्रतिशत बोरिक एसिड के घोल में 30 मिनट डुबायें।

मृदु गलन– नियंत्रण हेतु बुवाई पूर्व आलू को 1 ग्राम बाविस्टीन प्रति लीटर पानी के घोल से उपचारित करें।

झुलसा रोग– नियंत्रण हेतु कवकनाशी दवायें जैसे डाइफोल्टान या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें। यह छिड़काव 10 से 12 दिन बाद दोहरावें।।

पाले से सुरक्षा (Potato protection from Frost)

आलू की फसल में पाले से काफी नुकसान होता है। सर्दियों में जिन दिन शाम के समय आसमान साफ हो धीमी-धीमी ठण्डी हवा चल रही हो व तापक्रम कम हो तो पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए फसल की सिंचाई करें व खेत के मेढ़ के उत्तर पश्चिम दिशा की तरफ घास फूस जलाकर धुआं करें।

आलू की खुदाई (Potato Digging)

सामान्य तौर पर जब पौधे पीले होकर सूखने लगते हैं उस समय पौधे के तने को पत्तियों सहित काट लेते हैं तथा 10-15 दिन बाद खुदाई करते हैं। इससे कंदों में मजबूती आ जाती है व अधिक समय तक रखे जा सकते हैं।

आलू को वर्षभर तक उपयोग करने के लिए स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में चिप्स तैयार किये जा सकते हैं तथा इस प्रकार सुखाये गये चिप्स आवश्यकतानुसार तलकर उपयोग में लाये जा सकते हैं।

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आलू के चिप्स बनाने की विधि (Potato Chips making process)

potato farming

आवश्यक सामग्री

आलू, फिटकरी आलू के चिप्स कई प्रकार से बनाये जा सकते हैं जिसमें कच्चे आलू के एकदम पतले चिप्स आलू क्रिप्स, आलू के चिस्प काटकर उबालकर सुखाये हुए आलू के चिप्स शामिल हैं। आलू के सुखाकर चिप्स बनाने के लिए बड़े आकार के चिकनी परत वाला आलू अच्छा रहता है।

विधि

आलू की छंटाई (grading of potato)

सर्वप्रथम बड़े आकार के अंडाकार आकार के आलू को छांट लेना चाहिए ताकि चिप्स बड़े आकार के अच्छे बनें। इसके पश्चात आलू को धोकर, छिलकर चिप्स कटर से चिप्स तैयार कर लें।

किसी बर्तन में इतना पानी लीजिए कि चिप्स उसमें अच्छी तरह डूब जाये तथा फिटकरी को पानी में घोल लें।

कटे हुए चिप्स को तीन बार पानी बदलकर डुबाकर रखें। अब ये चिप्स फिटकरी के पानी से निकाल कर साफ पानी से धो लें।

चिप्स को उबालना (boiling of Potato chips)

अब भगोने में इतना पानी लेना है कि चिप्स पूरी तरह डूब जाये व पानी को गरम करने गैस पर रख देते हैं। 6-8 मिनट तक चिप्स को उबाल आने पर मिडियम आग पर पकाते हैं !

चिप्स के हल्के मुलायम होने के पश्चात गैस बंद कर देते हैं। इसके बाद चिप्स को छलनी में डालकर अतिरिक्त पानी हटा दिया जाता है तथा चिप्स सुखाये जाने के लिए तैयार हो जाते हैं।

चिप्स सुखाना (Drying of Potato chips)

चिप्स सुखाने के लिए पुरानी चादर इस्तेमाल कर सकते हैं या बड़ा पोलीथिन भी ले सकते हैं। सारे चिप्स चादर पर लगाकर धूप में सुखा लिये जाते हैं।

एक दिन की धूप में चिप्स काफी सूख जाते हैं। फिर भी चिप्स को दो दिन तक धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद इन्हें बंद कन्टेनर में रखा जाता है।

सावधानियां

आलू के चिप्स उबालते समय ध्यान रखें कि वे ज्यादा न उबल जाये वरना सारे चिप्स टूट जाएंगे।

आलू के चिप्स कच्चे नहीं रह जाये वरना सुखाने पर काले हो जाते हैं।

आलू के चिप्स को अच्छी तरह सुखाकर ही रखना चाहिए वरना फंगस लगकर खराब हो जाते हैं व बारिश के मौसम के जाने के बाद चिप्स को एक बार धूप में रख दें तो इनकी भंडारण क्षमता और भी बढ़ जाती है।

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