आलू के प्रमुख रोग, किट तथा उनका नियंत्रण – अगात झुलसा, पिछात झुलसा, लाही

आलू की फसल के रोग एवं कीट की पहचान एवं प्रबंधन – aalu ke rog kit upchar

वर्तमान समय में मौसम में परिवर्तन यथा कोहरा (कुहासा). तापमान में उतार-चढ़ाव एवं उच्च सापेक्षिक आर्द्रता की स्थिति बन रही है, जिसके कारण किसान भाइयों के खेत में लगे आलू फसल में झुलसा रोग के साथ लाही की आक्रमण की संभावना बनी रहती है।

किसान भाई निम्नांकित (aalu ke rog kit upchar) कीट / व्याधि के प्रबंधन से अपने आलू फसल की सुरक्षा कर सकते है:-

अगात झुलसा (Alternaria Solani) – aalu ke rog

aalu ke rog

तापमान में अत्यधिक गिरावट एवं वायुमंडल में आर्द्रता की अधिकता के कारण इस रोग का फैलाव तेजी से होता है।

इस रोग से प्रभावित पौधों के प्रायः पत्तियों पर भूरे रंग का रिंगनुमा कन्सेंट्रिक गोल धब्बा बनता है एवं धब्बों के बढ़ने से पत्तियाँ झुलस जाती है। प्रायः जनवरी के दूसरे-तीसरे सप्ताह में दिखाई देता है।

प्रबंधन :-

(क) स्वस्थ एवं स्वच्छ बीज का व्यवहार करें।

(ख) फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही जिनेव 75% घु०चू० 2 किलो ग्राम प्रति हेo या मैंकोजेब 75% घु०यू० 2 किलोग्राम प्रति हे० अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 50% घु०चू० 2.5 किलोग्राम प्रति हे० या कैप्टान 75% घु०चू० 1.66 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए ।

पिछात झुलसा (Phytophthora Infestans) – aalu ke rog

वायूमंडल का तापमान 10°C से 19°C रहने पर आलू में पिछात झुलसा रोग के लिए उपयुक्त वातावरण होता है।

इस तापमान को किसान “आफत” भी कहते हैं। फसल में संक्रमण रहने पर तथा वर्षा हो जाने पर बहुत कम समय में यह रोग फसल को बर्बाद कर देता है।

इस रोग से आलू की पत्तियाँ किनारे से सूखती है। सूखे भाग को दो अंगुलियों के बीज रखकर रगड़ने से खर-खर की आवाज होती है।

aalu ke rog

प्रबंधन :-

(क) हमेशा स्वस्थ एवं स्वच्छ तथा प्रमाणित बीज का ही व्यवहार करें।

(ख) फसल की सुरक्षा के लिए किसान 10-15 दिन के अन्तराल पर मैंकोजेब 75% घु०चू0 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या जिनेब 75% घु०चू० 2 किग्रा० प्रति हे० की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

(ग) संक्रमित फसल में मेटालैक्सिल 8% + मैंकोजेब 64% डब्लू०पी० संयुक्त उत्पाद का 2.5 किग्रा० प्रति हे० अथवा कार्बेन्डाजिम 12% एवं मैंकोजेब 63% घु०चू० संयुक्त उत्पाद का 1.75 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

लाही (Aphid)

आलू में लाही कीट का आक्रमण देखा जा रहा है। यह लाही गुलाबी या हरे रंग का होता है। यह पौधे की पत्तियों से रस चुसकर पौधे को कमजोर कर देता है जिस कारण पत्तियों एवं तने छोटे एवं विकृत हो जाते हैं।

यह आलू में “Potato Leaf rollVirus” व्याघि के वाहक का भी काम करता है। यह आलू फसल के अतिरिक्त सरसों एवं अन्य फसलों के भी प्रमुख कीट है।

प्रबंधन: –

(क) मित्र कीट का संरक्षण किया जाये ।

(ख) आलू फसल पर ऑक्सीडिमेटान- मिथाइल 25% ई०सी० का 1 लीटर / हे० या Thiamethoxam 25% WG 100 ग्रा० / हे० के दर से पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें।

नोटः कीटनाशक के छिड़काव हेतु 500 लीटर प्रति हेक्टेयर पानी का व्यवहार करें ।

संयुक्त निदेशक, पौधा संरक्षण, बिहार, पटना।

शेयर करे

Leave a comment

error: Content is protected !!